Black Magic : बिहार के पूर्णिया में तंत्रमंत्र के शक में एक परिवार के 5 लोगों को जिंदा जला डाला गया. यह घटना राज्य की कानून व्यवस्था के लिए जितनी चिंताजनक है, उतनी की शर्मनाक है शिक्षा व्यवस्था के लिए. एक तरफ भारत अंतरिक्ष में कदम रख संभावनाओं के नए दरवाजे खोल रहा है जबकि दूसरी तरफ इस तरह की घटनाएं बताती हैं कि समाज का एक तबका कितने गहरे अंधविश्वास में डूबा हुआ है.

जिन लोगों को गांव वालों ने जिंदा आग में भून दिया, उस परिवार की एक महिला झाड़फूंक करती थी. जब कुछ दिनों पहले गांव के एक बच्चे की मौत किसी बीमारी की वजह से हुई, तो अनपढ़ और अंधविश्वासी लोगों का शक उस महिला और उस के परिवार पर गया. इस से पहले भी इस गांव में कुछ लोगों की जान बीमारी की वजह से गई थी. लोगों को लगा कि इन सब के पीछे वही झाड़फूंक, टोनाटोटका करने वाली महिला और उस का परिवार है. उस परिवार के खिलाफ पहले पंचायत बैठाई गई.

पंचायत ने बाकायदा उस महिला को डायन घोषित किया और फिर भीड़ ने नृशंसता दिखाते हुए उस के परिवार के 5 लोगों को पूरे गांव के सामने ज़िंदा जला डाला. यह स्थिति तब है जब राज्य में ला एंड और्डर बड़ा मुद्दा बना हुआ है. पटना में बिजनैसमैन गोपाल खेमका की हत्या के बाद से सरकार अपनी छवि बचाने की कोशिश में है.

पूर्णिया बिहार के सब से पिछड़े जिलों में आता है. घटना जिस टेटगामा गांव में हुई, वह आदिवासियों का है. यहां के लोग अगर आज भी झाड़फूंक के चक्करों में फंसे हुए हैं और जादूटोने पर भरोसा करते हैं, तो इस के पीछे पिछड़ापन और अशिक्षा दोनों हैं. केंद्र की स्कूल एजुकेशन रिपोर्ट से पता चलता है कि आधुनिक शिक्षा को छोड़ दीजिए, बेसिक सुविधाओं के मामले में भी बिहार के स्कूल बाकी देश से बहुत पीछे हैं.

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