इंसान की जिंदगी में यादों का खास महत्त्व होता है. जो यादें सुकून देती हों उन्हें कोई भूलना नहीं चाहता और परेशान करने वाली कड़वी यादों को कोई सहेजना नहीं चाहता, लेकिन दिमाग के दरवाजे पर रहरह कर उन की दस्तक होती रहती है. न इन का कोई वक्त तय होता है और न स्थान. कभीकभी उन्हें काबू करना भी मुश्किल हो जाता है. तकलीफ तब होती है जब कड़वी यादें वर्तमान को भी प्रभावित करती हैं. बुरी यादों का लगातार सफर इंसान की जिंदगी के सुकून को छीन लेता है. कुछ ऐसा ही अमेरिका की रहने वाली ऐलिशिया के साथ भी हुआ लेकिन परिवार की सहानुभूति, मनोचिकित्सकों के उपचार और खुशनुमा माहौल दे कर उसे बामुश्किल निकाला गया था.

ऐलिशिया ने सोच लिया कि जो उस के साथ हुआ, उसे वह किसी दूसरे मासूम के साथ नहीं होने देगी. उस ने अपने साथ हुई भयानक घटना को एक सार्थक उद्देश्य में बदल दिया. हालांकि उस के लिए यह आसान कतई नहीं था, लेकिन हौसले से लबरेज हो कर मजबूत इरादे के साथ उस ने इस की मुहिम चला दी. यह मुहिम थी आधुनिकता की चकाचौंध व साइबर युग में बच्चों को उन पर मंडराते खतरों से बचाने की, जिस के वे शिकार हो जाते हैं. नतीजा यह निकला कि वह बच्चों को जागरूक करने वाली रोलमौडल बन गई. न सिर्फ उस के नाम को सराहना मिली, बल्कि देश की सरकार ने उस के नाम पर बच्चों को सुरक्षा देने वाला एक कानून भी बना दिया.

ऐलिशिया का गुनाह इतना था कि भावनाओं में बह कर उस ने अपनी सोच व समझ को खो दिया था. इंटरनैट पर एक शख्स पर विश्वास करना उस के लिए जानलेवा जैसा साबित हो गया था. आर्थिक समृद्ध देश अमेरिका में पेन्सिल्वेनिया राज्य का एक पुराना व खूबसूरत शहर है पीट्सबर्ग. ऐलिशिया इसी शहर की रहने वाली है. ऐलिशिया के पिता चार्ल्स एक समृद्ध कारोबारी हैं. परिवार में ऐलिशिया के अलावा मां मैरी व उस का एक बड़ा भाई है. ऐलिशिया उन दिनों महज 13 साल की थी. पढ़ाई के दौरान कंप्यूटर इंटरनैट का इस्तेमाल करना उस की आदत में शुमार था. दूसरे शब्दों में वह एक तरह से उस लत की शिकार हो गई थी.

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