World War : भारत और पाकिस्तान के बीच कई युद्ध हो चुके हैं. इजराइल और फिलिस्तीन पिछले 80 सालों से लड़ रहे हैं. इतिहास में कभी शांति कायम नहीं हुई और
आज भी दुनिया मिसाइलों व परमाणुओं के ढेर पर बैठी है. यूक्रेन व रूस के बीच युद्ध चल रहा है तो वहीं इजराइल और ईरान के मध्य भी युद्ध हुआ. युद्धों की यह मानसिकता कहां से आती है? युद्धोन्माद की प्रवृत्ति को कैसे रोका जा सकता है? आज दुनियाभर में जारी युद्धों के पीछे राजनीति है या धर्म? इन्हीं सवालों पर पेश है यह पड़ताल.
इजराइल और ईरान के बीच फिलहाल युद्धविराम हो गया है लेकिन दोनों के मध्य शीतयुद्ध तो जारी रहेगा ही. इजराइल और ईरान के बीच की जंग में धर्म की भूमिका महत्त्वपूर्ण है. यह कहा जाए कि दोनों देशों के विवाद में धर्म प्रमुख कारण है तो इस में अतिशयोक्ति न होगी. पूरी दुनिया के मुसलिम देश इजराइल से नफरत करते हैं और इजराइल भी तमाम मुसलिम देशों को अपना दुश्मन मानता है. हालांकि सऊदी अरब और जौर्डन जैसे इसलामिक देशों के साथ इजराइल के रिश्ते अच्छे हैं. इस नफरत के पीछे कई ऐतिहासिक कारण भी हैं लेकिन दोनों ओर की इस नफरत में सब से बड़ा कारण धर्म ही है.
इजराइल यहूदी धर्म के नाम पर बना है और इस धर्म के मूल में ही विधर्मियों से नफरत के एलिमैंट्स मौजूद हैं. यहूदियों के पवित्र ग्रंथ के अनुसार, ‘जब तेरा परमेश्वर विधर्मियों पर जीत हासिल करा दे तो दुश्मन कबीले के सब पुरुषों को मार डालना और स्त्रियां, बच्चे व पशुओं को लूट लेना.’ -व्यवस्थाविवरण 20:10-14.
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