कोरोना वायरस की वजह से चल रहे लॉकडाउन के दौरान जिन औरतों के पास पैसे और आवश्यक सामग्री नहीं है.वे अपने परिवार और बच्चों के पालन पोषण के लिए जदोजहद कर रही हैं.जिन औरतों के पति बाहर मजदूरी करते हैं.वे लॉक डाउन की वजह से महानगरों में फँसे हुवे हैं.विधवा या बुजुर्ग हैं.जिनका देख रेख करने वाला कोई नहीं है.वैसी महिलाओं को कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.घर का काम बच्चों के देखभाल करने के अलावा बहुत सारी ऐसी महिलाएँ हैं जिन्हें राशन पानी से लेकर जलावन तक इंतजाम करना है.आइये मिलवातें हैं कुछ वैसी ही महिलाओं से जो लॉक डाउन के दौरान जिंदगी के साथ जदोजहद कर रहीं हैं.

नसीबन खातून का पति तलाक दे दिया है.उनके चार बच्चे हैं.तीन लड़की और एक लड़का.नसीबन रोजी रोटी के लिए कई घरों में साफ सफाई का काम करती है.लेकिन लॉक डाउन की वजह से लोगों ने काम छोड़वा दिया है. अब तक किसी तरह तो काम चला लेकिन अब घर में कुछ भी नहीं है. किराना दुकानदार का भी 700 रुपये उधार हो गए हैं. वो भी हाँथ खड़ा कर लिया है. बोलता है. पहले का बकाया दे दो तब उधार देंगे.जिन घरों में काम करते थे.वे लोग भी एडवांस पैसा देने के लिए तैयार नहीं हैं. काम भी नहीं करवा रहे हैं क्योंकि इन मालिकों को शक है कि हमलोग गरीब बस्ती में रहते हैं. वहाँ से बीमारी इनके घरों तक आ जाएगी.

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रामकली देवी का पति लुधियाना के कम्पनी में काम करता है. काम धंधा बन्द है.घर आना मुश्किल हो गया है. इसके पति के पास खुद पैसे खत्म हो गए हैं. किसी तरह से आना चाहते हैं. कोई उपाय नहीं निकल रहा है. जिस ठीकेदार के अंदर में काम करते थे.ठीकेदार अपना मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया है. यहाँ तीन बच्चों के साथ रह रही हूं.राशन पानी सब खत्म हो गया है. कुछ लोग मदद स्वरूप आँटा, चावल और आलू एक सप्ताह तक का दिए हैं. राशन कार्ड में हमलोगों का नाम नहीं है. ऑनलाइन किये थे .लेकिन अभी तक राशन नहीं मिल पाया है. एक सप्ताह के बाद क्या होगा.कैसे और क्या खाकर जिंदा रहेंगे.सोंच सोंच कर मन पागल हो गया है.

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