कोरोना वायरस से फैली वैश्विक महामारी के चलते पूरे भारत देश में लाकडाउन के कारण घरों से बाहर न निकलने के कारण अपराध की घटनाएं कम हुई हैं, परन्तु सायबर क्राइम के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है .
लाकडाउन पीरियड में जहां कुछ लोगों का घर ही आफिस बन गया है ,तो अधिकांश लोगों का काफी समय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बीतने लगा है .लाक डाउन में सभी मोबाइल कंपनियों के डाटा की खपत बढ़ गई है.सायबर अपराधी इसे एक अवसर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.मुफ्त नेटफ्लिक्स, सस्ते इंटरनेट प्लान, फ्री बैलेंस, इनाम जीतने के मैसेज कर सायबर अपराधी तकनीक से अंजान लोगों के मोबाइल में सेंध लगाकर बैंक एकाउंट से रुपए उड़ा रहे हैं. लोगों के एटीएम नंबर और ओटीपी पूछकर आन लाइन शापिंग करक लाखों रुपए बैंक एकाउंट से निकाले जा रहे हैं.
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मध्यप्रदेश के गोटेगांव के नेहरू वार्ड में रहने वाले जशवंत कहार ने स्थानीय पुलिस थाना में इसी तरह की शिकायत दर्ज करते हुए बताया है कि उसे मोबाइल नंबर 6203039244 से फ़ोन कर बताया गया कि मैं कैनरा बैंक से बोल रहा हूं, तुम्हारा एटीएम बंद होने वाला है.इसको जारी रखने के लिए एटीएम नंबर और ओटीपी पूछकर एक लाख बीस हजार रुपए की रकम आन लाइन एकाउंट से निकल ली. लाक डाउन में काम धंधे से मोहताज पाई पाई जोड़ कर रखी गई जमा पूंजी के लुटने से जशवंत हताश होकर बैठ गये हैं.
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फिशिंग स्कैमिंग 25 फीसदी बढ़ी
महाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक लाक डाउन में बेवसाइट पर सायबर क्राइम के मामले लोगों के द्वारा बहुतायत में दर्ज कराये गये हैं .
लोगों के बैंक खातों में फिशिंग ( डाटा की सेंध से धोखाधड़ी), विशिंग (वाइस काल से ठगी) और स्कैमिंग (एटीएम कार्ड क्लोनिंग) के मामले में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है.पुलिस सूत्रों के अनुसार अक्सर सायबर अपराधी फर्जी बैंकिंग ट्रांजेक्शन का स्टेटमेंट ई मेल कर डाउनलोड करने के निर्देश देते हैं. कई बार फोन पर मेसेज के जरिए वेबलिंक भेजे जाते हैं,जो हेकर्स की बेवसाइट के होते हैं. पासवर्ड और संवेदनशील जानकारी साझा करते ही व्यक्ति इन जालसाजों के चंगुल में फंस जाता है.यैसे ज्यादातर मामले डार्क बेव के जरिए रिमोट लोकेशन से संचालित होते हैं, जिसमें अपराधी की ट्रैकिंग मुश्किल से होती है.
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इसी तरह कोविड -19 को लेकर वाट्स ऐप पर झूठे,भ्रामक और शांति, सौहार्द्र भंग करने के 65 मामले महाराष्ट्र में सामने आये है.फेसबुक के माध्यम से अफरा तफरी फैलाने के 11, टिक टाक से जुड़े 3 और अनय सोशल मीडिया चैनलों से संबंधित 19 मामले लाक डाउन पीरियड में दर्ज किये गये हैं.
आपदा राहत के नाप पर भी ठगी
कोरोना वायरस से पूरा देश जंग लड़ रहा है. ग़रीब, खेतिहर मजदूर, दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर , राजमिस्त्री, फैक्ट्री वर्कर्स,बूढ़े असहाय लोगो को दो वक्त की रोटी का इंतजाम मुश्किल से हो रहा है. देश के प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्री आपदा राहत कोष में लोगों से दान करने की अपील कर रहे हैं और लोग खुले हाथों से राहत राशि भी दे रहे हैं.संकट के इस दौर में भी सायबर ठग धोखाधड़ी करने से बाज नहीं आ रहे.प्रधानमंत्री के सिटीजन असिस्टेंट एंड रिलीफ फंड इन इमरजेंसी सिचुएशन फंड में आन लाइन डोनेशन से ठगने के मामले भी देश के कई इलाकों में सामने आए हैं. सायबर ठगों ने पीएम केयर्स की यूपीआई आईडी से मिलती जुलती फर्जी आईडी बनाकर लिंक लोगों को भेजकर दान की राशि हथिया ली. ठगो द्वारा पीएम केयर्स की फर्जी लिंक बनाकर लोगों को भेज कर कोरोना से लड़ने रकम दान करने के मैसेज किये गये, जिसमें अनेक लोगों द्वारा मदद के नाम पर लाखो रुपए की राशि भी भेज दी गई. मामले की जानकारी लगते ही भारतीय स्टेट बैंक द्वारा फर्जी यूपीआई आईडी को ब्लाक किया गया है.