झांसी: बंटाई और ठेके पर खेती करने वाले किसान भी खरीद केंद्रों पर अपना गेहूं बेच सकेंगे. बंटाईदार को किसान का सहमतिपत्र और ठेकेदार को लेखपाल की संस्तुति के बाद ही खरीद केंद्र पर गेहूं बेचने का हक मिलेगा. इस बार गेहूं खरीद की राशि किसान, बंटाईदारों और ठेकेदारों के खाते में आरटीजीएस से नहीं, बल्कि पीएफएमएस से पहुंचेगी.

जिले में गेहूं खरीद के लिए प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. 15 अप्रैल के बाद 57 खरीद केंद्रों को अनुमोदित किया जा चुका है. लेकिन सरकार ने बंटाई और ठेके पर गेहूं की बोआई करने वालों को भी गेहूं खरीद करने का अधिकार दिया है. इस के लिए बंटाईदार और ठेकेदार को किसान और लेखपाल से संस्तुति करानी होगी. वहीं इस के साथ ही बंटाईदार और ठेकेदार को वैबसाइट पर पंजीकरण भी कराना होगा.

नियमों के मुताबिक, ठेके पर जमीन लेने वाले को रजिस्ट्रार के यहां भी अनुबंध कराना होगा. नियम यह भी है कि यदि कोई किसान 100 क्विंटल से अधिक गेहूं बेचता है, तो उसे एसडीएम से अनुमति लेनी होगी.

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जिला खाद्य विपणन अधिकारी अनूप कुमार ने बताया कि गेहूं खरीद के कुछ नियमों में बदलाव किया गया है. 15 अप्रैल के बाद गेहूं खरीद की जाएगी. इस बार गेहूं का समर्थन मूल्य 1,940 रुपए है.

सोशल मीडिया से किसानों को दी जाएगी जानकारी

बक्सर: जिले के किसानों को सभी कृषि योजनाओं की जानकारी सोशल मीडिया और रजिस्र्टर्ड मोबाइल फोनों के जरीए दी जाएगी.

इस बारे में कृषि विभाग ने तमाम निर्देश जारी किए हैं. इन निर्देशों में कहा गया है कि किसानों के बीच कृषि विभाग द्वारा किए जा रहे कामों की जानकारी समयसमय पहुंचाना बेहद जरूरी है, इसलिए कृषि विभाग के साथसाथ पशु व मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा किए जा रहे कामों की जानकारी व्हाट्सएप व सोशल मीडिया के जरीए वरीय पदाधिकारी सब से पहले अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को देंगे. इस के बाद कृषि समन्वयक, प्रखंड उद्यान पदाधिकारी, किसान सलाहकार, एटीएम व बीटीएम अपने स्तर से क्षेत्र के किसानों के बीच संदेश पहुंचाएंगे.

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इस के लिए कृषि विभाग के लोग अपने क्षेत्राधीन व्हाट्सएप के जरीए किसानों का समूह गठित करेंगे. इस के लिए पहले से गठित समूहों को भी प्रभावी ढंग से सक्रिय करने को कहा गया है.

दर्जनों गांवों में जंगली सूअरों ने खेती बरबाद की

अल्मोड़ा: ताकुला ब्लौक के दर्जनों गांवों में जहां जंगली सूअरों ने किसानों की आलू, गडेरी, पिनालू और हलदी की खेती को बरबाद कर दिया है, वहीं, बंदरों ने गेहूं, जौ, मसूर, मटर और दूसरी सब्जियों को खराब कर दिया है. काश्तकारों ने जिला प्रशासन से सूअरों और बंदरों के आतंक से नजात दिलाने की मांग की है.

तालुका ब्लौक के तहत एक गांव ने कहा कि सूअरों ने रात में उन के गांव में अनेक किसानों के खेत में लगाए प्याज और आलू बीज खोद कर बरबाद कर दिया है. सूअर के आतंक से किसान खासा परेशान हैं.
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वहीं दूसरे किसान ने कहा कि तारबंदी के काम में हुई हीलाहवाली के चलते सरकारी पैसों का गलत इस्तेमाल होने के साथ ही किसानों को भी अच्छीखासी चपत लगी है.

प्रभावित किसानों ने प्रशासन और कृषि विभाग से जानवरों की रोकथाम के उपाय करने और फसलों के मुआवजे की मांग की है.

मौसम साफ रहे तो करें चना और तिलहन का भंडारण

भागलपुरः जिले के किसानों के लिए ग्रामीण कृषि मौसम सेवा की ओर से एडवाइजरी जारी हुई है. इसे कृषि विभाग ने बीएयू सहित दूसरे किसानों के लिए विभिन्न माध्यमों के द्वारा पहुंचाने का निर्देश दिया है. बीएयू ने इस कड़ी में अगले कुछ दिनों के मौसम और खेती संबंधी जानकारी किसानों को दी है.

बीएयू के निदेशक प्रसार शिक्षा डाक्टर आरके सोहाने ने कहा कि एडवाजरी की खूबी यह है कि इस में किसानों को मौसम की सटीक जानकारी के अलावा और क्याक्या करना चाहिए, इस के बारे में विस्तार से बताया जाता है.

कृषि विभाग के गाइडलाइन का पालन करते हुए बीएयू ने किसानों को जो संदेशा भेजा है, उस में मसूर, गेहूं और चने की कटाई समय पर पूरा करने का निर्देश दिया है. साथ ही, महफूज जगहों पर भंडारण का निर्देश दिया है. वहीं सब्जी की फसलें जैसे टमाटर, बैगन, मिर्च की जरूरत के मुताबिक सिंचाई करें. आम और लीची में दवा का घोल बना कर छिड़काव करें.और हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, बथुआ वगैरह की बोआई गर्मा फसल के रूप में करें.

किसानों को सलाह दी जाती है कि इस मौसम में मूंग की किस्म की बोआई कर देनी चाहिए. जानवरों को उन की प्रतिरक्षा बढ़ाने के लिए हर दिन हरा चारा खिलाया जाना चाहिए. खेती के काम में उचित दूरी बना कर रहें. साथ ही, सर्दी, जुकाम, सिरदर्द या बुखार हो तो निकट के स्वास्थ्यकर्मी को तुरत सूचना दें और जांच कराएं.

पीएम किसान सम्मान निधि योजना में लाखों किसानों को मिला लाभ

नई दिल्ली : किसानों को खेतीबाड़ी में कोई समस्या न हो, इसलिए केंद्र सरकार उन का पूरा सहयोग करती है. देश के अन्नदाता को उच्च स्तर पर रखा जाता है. ऐसे में उन को खेतीबाड़ी में कोई समस्या न आए, इसलिए मोदी सरकार  ने किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को चलाया है. इस योजना के तहत किसानों के खाते में सीधे 2-2 हजार की रुपए की राशि भेजी जाती है.

अब तक करोड़ों रुपए की सहायता
मोदी सरकार की पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत  62 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद की जा चुकी है.

सभी जानते हैं कि इस वक्त देश पर कोरोना वायरस का संकट है. इस दौरान सरकार ने किसानों के खाते में 2-2 हजार रुपए भेजे हैं. इस योजना के तहत सरकार द्वारा 4.91 करोड़ रुपए भेजे जा चुके हैं.

कृषि मंत्रालय की मानें, तो देश में पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत में लगभग 9 करोड़ किसान रजिस्टर्ड हो चुके हैं. इस के लिए सरकार ने  लगभग 18 हजार करोड़ रुपए की राशि रखी है.

बता दें कि देश में लगभग 14.5 करोड़ किसान हैं, लेकिन इस योजना से कई किसान अभी भी नहीं जुड़ पाए हैं. इतने करोड़ रुपए हुए ट्रांसफर कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी द्वारा बताया गया है कि लॉकडाउन के बीच लगभग 5 करोड़ किसानों के खाते में 2-2 हजार रुपए भेजे जा चुके हैं. इस वक्त किसानों और गरीबों को समस्या न हो, इसलिए सरकार ने एक बड़ा आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है. इस के तहत डायरेक्ट बेनिफट ट्रांसफर द्वारा लगभग 9826 करोड़ की राशि भेजी जाएगी.

कोरोना की परवाह किए बगैर खेतखलिहान में जुटे हैं पूर्वांचल के किसान

वाराणसी : कोरोना महामारी को हराने के लिए देशभर में लॉक डाउन के बीच किसान खेतों में खड़ी सालभर की मेहनत व पसीने से लहलहाती फसल को बचाने निकल पड़ा है.

खास बात यह है कि कोरोना से बचने के लिए देश में सुरक्षा व सावधानी का जो उपाय सरकार की तरफ से बताया गया, उस का पालन भी होता दिख रहा है.  सोशल डिस्टेंसिंग से ले कर साबुन से हाथ धोने का काम खेतखलिहान में काम करते मजदूरों के बीच देखा जा सकता है. खेतखलिहान में उन मजदूरों को ज्यादा वरीयता मिल रही है, जो कमाने के चक्कर में गांव छोड़ कर बाहर नहीं गए हैं.

एक तरफ कोरोना के चलते मास्क व दस्ताना लगा कर लोग शहर में दिखाई दे रहे हैं, तो दूसरी तरफ खेतों में कटाई से ले कर मड़ाई करते मजदूर मुंह में गमछा या दुपट्टा बांध कर जुटे हैं.

पूर्वांचल के किसानों को ‘कोरोना संक्रमण’ की परवाह किए बगैर चिलचिलाती धूप और पछुवा हवाओं के बीच खेतखलिहान में देखा जा सकता है.

पूर्वांचल के भदोही, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, बलिया, मऊ, आजमगढ़, जौनपुर, मिर्जापुर और सोनभद्र का किसान घरों के बजाय खेतों में है.

राज्य की योगी सरकार ने किसानों को लॉक डाउन से छूट दी है, क्योंकि गेहूं, सरसों, मटर, चना, मसूर, जौ, अरहर की फसल तैयार है. अगर कोरोना के भय से किसान फसलों की कटाई नहीं करता है तो उस के सामने स्थिति बुरी हो सकती है. मौसम खराब होने से फसलें जहां खराब हो सकती हैं, वहीं किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

मार्च में बारिश हो जाने की वजह से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है. पूरे पूर्वांचल में आंधीतूफान और बारिश की वजह से गेहूं, सरसों, जौ और तिलहनी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा था.गेहूं की फसल गिर गई थी, जिस से फसलों की पैदावार प्रभावित हुई.

एक किसान कुमार का कहना है कि बारिश होने से सरसों की उपज कम हुई है, वहीं गेहूं का उत्पादन भी प्रति बीघे घटा है.

21 दिन के लॉक डाउन के कारण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को किसानों के लिए और सुविधाओं का ऐलान करना चाहिए. पूर्वांचल का किसान अलसुबह सपरिवार खेतों पर निकल रहा है. घर में रूखीसूखी जो है, उसी से काम चला रहा है क्योंकि अभी उस की प्राथमिकता में फसलों की मड़ाई पहले है.  वह दिन और रात में भी फसलों की कटाई और मड़ाई में जुटा है. महिलाओं ने भी कोरोना को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से महिला मजदूरों के लिए भी खास सुविधा देने की मांग की है.

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