पूरी दुनिया कोरोना वायरस के कहर से कराह रही है.अमरीका जैसा शक्तिशाली देश भी इसके आगे लाचार नजर आ रहा है. भारत में तमाम कोशिशों के बाद भी यह संक्रमण दूसरे स्‍टेज में पहुंच गया है.इसके बाद अब हर कोई यही दुआ कर रहा है कि किसी भी तरह यह तीसरे स्‍टेज में न पहुंचे. इसके लिए डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी को गति देने वाला हर शख्स मुस्तैद है.लेकिन कुछ अंधविश्वासी इस दहशत के वक्त अपनी भविष्यवाणियों के डरावने धंधे को चमकाने में लगे हैं.ये लोग लगातार दावा कर रहे हैं कि आगामी 29 अप्रैल को दुनिया नष्ट हो जायेगी.करोना के मौजूदा कहर को ये अपनी भविष्यवाणी के हथियार की तरह पेश कर रहे हैं.

हालांकि इस तरह की अफवाहों का कारोबार करने वाले हमेशा ही दुनिया में रहे हैं,लेकिन इतिहास के मुकाबले आजकल ये अफवाह वीर कहीं ज्यादा ताकतवर इसलिए हो गए हैं क्योंकि सूचना तकनीक के इस युग में ये बड़ी होशियारी से उन्हीं सूचना सन्दर्भों का तोड़-मरोड़कर इस्तेमाल कर रहे हैं,जिन सन्दर्भों से पहले इनको गलत ठहराया जाता रहा है.कहने का मतलब यह है कि आजकल ये बड़ी चालाकी से अपने तकनीकी कौशल का इस्तेमाल करते हुए सही सूचनाओं को घातक तरीके से ट्वीस्ट कर उसे अंधविश्वास के परमाणु बम में बदल देते हैं.

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इन दिनों ये बड़े जोरशोर से एक सवालिया माहौल बना रहे हैं कि आगामी 29 अप्रैल को दुनिया खत्म तो नहीं हो जायेगी ? हालांकि होशियारी से सूचनाओं को तोड़-मरोड़कर ये पूरी कोशिश तो आम लोगों के दिलो-दिमाग में यह डर बिठाने की कर रहे हैं कि 29 अप्रैल को दुनिया खत्म हो जायेगी,लेकिन अपने दावे से बच निकलने का एक सुरक्षित रास्ता बनाये रखने के लिए ये अपनी बात को एक सवाल की शक्ल में पेश कर रहे हैं,ताकि 29 अप्रैल को यह कह सकें,‘शुक्र है आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं.’ जबकि अगर ये ईमानदारी से चीजों को देखें तो बिलकुल साफ़ है कि ऐसी कोई बात ही नहीं है,जिससे हम इस तरह की आशंका बनाएं कि 29 अप्रैल 2020 को दुनिया खत्म हो जायेगी.

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