देश में रबी की फसल ज्यादातर इलाकों में पक कर तैयार हो चुकी है. कुछ जगह पकने की तैयारी में है. सरकार की तरफ से भी कृषि क्षेत्रों में लौक डाऊन से छूट दे दी गई है. लेकिन कोरोना से बचाव के सभी सुरक्षित उपायों को भी ध्यान में रख कर काम करने होंगे.
देश भर की मंडियों से रोकथाम हटा दी गई है. कृषि यंत्रों की आवाजाही को छूट दे दी है. लेकिन इस सब के बाद भी खेती के कामों में देरी हो रही है. चाहे मजदूरों की समस्या हो, मौसम का मिजाज या कोरोना का कहर.
इन्हीं सब कारणों के चलते ज्यादातर किसान अपनी उपज को मंडी नहीं पहुंचा पा रहे हैं.
कुछ किसान उपज ले कर मंडी पहुंच भी रहे हैं तो उन्हें सही दाम नहीं मिल रहे क्योंकि अभी मंडी में खरीदार ही नहीं हैं. फसलों की कीमतों का एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिल रहा है.
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मंडियों में अभी सरकारी खरीद भी शुरू नहीं हुई है इसी का फायदा वहां के व्यापारी दलाल उठाना चाहते हैं. लेकिन सरकारी घोषणा से ऐसे लोगों को धक्का लगा है,जो किसानों से ओनेपौने दामों पर खरीद करते हैं.
अब सरकार ने घोषणा की है कि उपज देर से बेचने पर किसान को प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी. इसलिए अब किसान अपनी उपज को अपनी सुविधा के अनुसार बेच सकेंगे. जिस के लिए उन्हें अलगअलग राज्य अपने हिसाब से फायदा दे सकेंगे.
देरी से पैदावार बेचने पर ज्यादा रकमः
हरियाणा के किसान जितनी देरी से अपनी उपज मंडी में बेचेंगे उतना ही अधिक प्रोत्साहन राशी उन्हें दी जाएगी. उत्तर प्रदेश में अनाज को सुरक्षित स्टोर करने के लिए एकमुश्त रकम मिलेगी.
राष्ट्रीय पैमाने पर भी ग्रामीण भंडारण योजना चल रही है जिस का फायदा किसान उठा सकते हैं. इसलिए किसानों को अब अपनी उपज बेचने में जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है. आप अपनी सुविधा के अनुसार फसल बेच सकते हैं.
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