लेखक: Divesh Kumar Gola
घर पर रहना हम सभी को अच्छा लगता है, खासकर तब जब आपको परिवार के साथ रहने का समय न मिलता हो. मैं और मेरे मित्रों के साथ भी कुछ ऐसा ही है. मैं और मेरी पत्नी, हम दोनों ही नौकरी करते हैं, और हमें साथ रहने का समय नहीं मिल पाता है, और इस लॉकडाउन ने सिर्फ हमें ही नहीं, हमारे जैसे बहोत से परिवारों को साथ समय बिताने का मौक़ा दिया है.
छूटी बुरी लत...
मेरे कुछ रिश्तेदारों और मित्रों को सिगरेट और शराब की लत थी, लेकिन लॉकडाउन में बाहर न निकल पाने की वजह से उनकी ये लत भी छूट गई है. मैं अपने बेटे के साथ उसकी पसंदीदा खेल खेलता हूं तो बहोत अच्छा लगता है, लगता है जैसे इस लॉकडाउन ने मेरा बचपन मुझे वापस लौटा दिया है.
मिला परिवार का साथ...
एक साथ बैठकर कर हम सभी कार्यक्रमों का आनंद उठाते हैं, और परिवार के बच्चे उनसे जुड़े हुए प्रश्न पूछते हैं, जिससे उन्हें ज्ञान प्राप्त होता है जिसे हम समय के साथ लगभग खो चुके हैं.
लॉकडाउन के नुकसान भी...
लेकिन ऐसा नहीं है कि इस लॉकडाउन से सिर्फ फायदे ही हुए हैं, इस लॉकडाउन के परिणामस्वरूप बाहर न निकल पाने की वजह से हमें अपनी मूलभूत जरूरतों की चीजों के लिए भी जूझना पड़ रहा है. बच्चों के स्कूल सेशन चालू हो चुके हैं, लेकिन वे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं जिससे उनकी शिक्षा का नुकसान हो रहा है. इसका पूरे देश पर भी बुरे प्रभाव पड़ रहे हैं.
समाजिक और आर्थिक नुकसान...
इसने हमारे देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. लोग अपनी दुकानें नहीं खोल पा रहे हैं, अपने कामों पर नहीं जा पा रहे हैं. हमारा परिवार भले ही एक साथ बैठा हो, लेकिन वो लोग जो इस लॉकडाउन का पालन करवाने के लिए अग्रसर हैं, उन्हें चौबीसों घंटे अपने घर से दूर रहना पड़ रहा है. देश में इमर्जेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं. लोगों के अंतिम समय मे उन्हें चार कंधे भी नहीं मिल पा रहे हैं. लगभग सभी लोगों को छोटी बड़ी, हर तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.
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