लेखक-रोहित 

आज पूरा देश दो तरह के संकट से जूझ रहा है. एक, कोरोना संक्रमण जिस ने पुरे विश्व को अपने गिरफ्त में ले कर हजारों की जान ले ली है. वहीँ दूसरा, इस संक्रमण के कारण हुए लाकडाउन से करोडो लोगों के जीवन में हुए भारी आर्थिक नुकसान. हमारे देश के लिए यह दोनों संकट धीरेधीरे पैर पसारना शुरू करने लगे हैं खासकर 21 दिनों के एक लम्बे लाकडाउन से उपजा आर्थिक संकट अभी से अपनी बर्बरता दिखाना शुरू कर चुका है.

लगातार टीवी और सोशल मीडिया से गरीब मजदूरों के भयावह कर देने वाली पलायन की ख़बरें व तस्वीरें आ रही है. आनंद विहार में हजारों की संख्या में जमा मजदूर लोग इस समय पूरे देश के लिए गवाह बने है कि सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. लाखों बेसहारा मजदूर अपने परिवार के साथ अपने घरों के लिए सेकड़ों किलोमीटर की लम्बी दूरी तय करने निकल पड़े हैं.ऐसे में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो अपने बिगडैल बोलों से बाज नहीं आ रहे. जिस में से एक भाजपा के नेता है बलबीर पुंज. जिनका कहना है कि “दिल्ली के मजदूर पैसा, भोजन आदि के चलते नहीं भाग रहें, बल्कि वह अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाने के लिए जा रहे हैं.”

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बलबीर पुंज कोई भाजपा के नौसिखिया और ऐरागैरा नेता नहीं हों. वे भाजपा की तरफ से राज्यसभा सांसद रह चुके हैं. उन्होंने गरीबी महसूस नहीं की होगी किन्तु यहांवहां से सुनापढ़ा तो जरुर होगा कि भारत में अधिकतर लोग गरीब हैं. खुद को पत्रकार बताने वाले बलबीर पुंज क्या अपनी चाटुकारी पत्रिकारिता में इतना खोते चले गए कि सही गलत क्या होता है उसे समझना ही भूल गए. जाहिर है उन्होंने अपने बाल ऐसे ही भाजपा के लिए सफ़ेद नहीं किये होंगे. कुछ तो कीमत लगाई ही होगी अपने संवेदनशीलता को खोने के लिए.साथ ही यह भी हैरानी वाली बात है की उन की पार्टी के बड़े नेताओं ने इस मसले पर उन्हें किसी प्रकार की हिदायत नहीं दी. हो सकता है दिल्ली विधानसभा के चुनाव में गली गली परचा बाँट कर आला दर्जे के नेता इस समय थक गए हों. इसलिए न तो सामने प्रकट हो रहे है न देश में मचे इतने बड़े तांडव पर अपने नेताओं को समझा पा रहे है.

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