कोरोना वाइरस लोगों में एंजाइटी और डिप्रेशन जैसी समस्याओं का मुख्य कारण बन रहा है लेकिन इस का अत्यधिक प्रभाव उन पर है जो ओसीडी यानी ओब्सेसिव कंपलसिव डिसोर्डर से पीड़ित हैं. हाथों को बारबार साफ करना, अपने आसपास सफाई रखना, उपकरण व डिजिटल सरफेस को साफ रखना आदि जहां साधारण व्यक्तियों के लिए सामान्य काम हैं वही ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति के लिए यह काम एंजाइटी का कारण बनते हैं
.इसे स्पष्टरूप से इस तरह समझा जा सकता है कि सामान्य व्यक्ति जहां 20 सेकंड तक हाथ धोता रहेगा वहीं ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति इस बात से ही घबराने लगेगा कि आखिर उसे 20 सेकंड बाद रुक जाना है या नहीं, या उसे अपने हाथों को और ज्यादा साफ करने के लिए 20 मिनट के अंतराल की जगह हर 5 मिनट में ही हाथ धो लेने चाहिए या नहीं.इस पर मेंटल एंड बिहेवीओरल साइन्सेस की हैड औफ डिपार्टमेंट कामना छिब्बर का कहना है, “यह समझना बेहद जरूरी है कि इस तरह की स्थिति से कई और ट्रिगर्स दब सकते हैं जिन से व्यक्ति को पहले से भी ज्यादा एंजाइटी हो सकती है. सो, जिस व्यक्ति को साधारणतया एंजाइटी नहीं होती है उसे भी इस स्थिती में एंजाइटी होने लगती है और यदि पहले से ही उस व्यक्ति की स्थिति नाजुक है तो हाइपरविजीलेंस में वृद्धि होती है. इस से व्यक्ति में तनाव और एंजाइटी और अधिक बढ़ जाती है.”
ओसीडी को केवल ओब्सेसिव क्लीनलिनेस के रूप में ही नहीं आंका जा सकता. कई लोगों में ओसीडी से एक्सट्रीम हाइपोकांड्रिया या उन के मस्तिष्क में अपने आसपास के व्यक्तियों को कहीं उन के कारण किसी तरह का नुकसान न पहुंचे, जैसे अत्यधिक तीव्र विचार भी कौंधने लगते हैं. नोवल कोरोना वाइरस से उन में डर, बाध्यकारी व्यवहार, एक ही काम को करते रहना और असाधारण रूप से तनाव लेना व खुद को बुरी तरह से तटस्थ कर लेने जैसी स्थिती पैदा होने लगती है.
यह स्थिति सभी में अलग हो सकती है और इस का प्रभाव भी किसी पर ज्यादा तो किसी पर कम पड़ सकता है. अतः ओसीडी से पीड़ित व्यक्ति कुछ बातों को ध्यान में रख कोरोना के समय होने वाली एंजाइटी से नजात पाया जा सकता है:
– अगर आप का किसी तरह का ट्रीटमेंट चल रहा है तो उसे बीच में न रोकें. अपने डाक्टर से कोंटेक्ट में रहें और अपनी दवाएं न रोकें.
– आप एक ही काम को बारबार दोहरा नहीं रहे हैं इस बात को सुनिश्चित करने के लिए अपने परिवार के लोगों की मदद लें. उन्हें कहें कि यदि वे आप को रिपीटेटिव ओब्सेसिव मैनर में देखें तो टोकें.
– बैलेंस बनाने की कोशिश करें. अजीब ख्याल आने लगें तो डाक्टर द्वारा बताए गए स्टेप्स फौलो करें.
– झूठी खबरों से दूर रहें और केवल विश्वस्नीय जानकारी को ही अपने दिमाग में घर करने दें. सोश्ल मीडिया एंजाइटी बढ़ाने का काम कर सकता है इसलिए उस पर भी सीमित समय के लिए ही एक्टिव रहें.
– कोई सवाल मन में हो तो उस एक सवाल को ओवरथिंक करने के बजाए उस के जवाब ढूंढने की कोशिश करें.
– डाक्टर द्वारा दी गई एक्सरसाइज करते रहें और अपने डेली रूटीन को सामनी बनाए रखने की कोशिश करें.
कोरोना वाइरस कुछ समय में खत्म हो जाएगा और हम सभी अपनेअपने घरों से निकलने में एकबार फिर सक्षम होंगे. तबतक कोशिश करें कि अपना संयम न खोएं और इस समय नकारात्मक नहीं सकारात्मक सोचें.