यह घटना तब की है जब मैं छोटी थी और अपने मम्मीपापा के साथ रहती थी. हमारे पापा अस्पताल में सरकारी अधिकारी थे. हम लोग का क्वार्टर अस्पताल कैंपस में ही था. एक दिन पड़ोस की आंटी को देव घूमने का मन किया, तो उन्होंने हम लोगों के सामने देव जाने की योजना बनाई. देव औरंगाबाद जिले में पड़ता है. यह बिहार का एक धार्मिक स्थल है. यहां का सूर्य मंदिर बहुत प्रसिद्ध है. देव में मेरी मौसी की ससुराल भी थी, इसलिए इस शहर से हम लोग अनजान न थे. हम लोगों ने रविवार के दिन देव जाने की योजना बनाई. रविवार की सुबह हम 4 लोग यात्रा पर जीप से निकले. जीप को मंदिर परिसर में लगा कर मंदिर के अंदर चले गए. हम लोग मंदिर परिसर में ही घूम रहे थे कि एक बड़ा सा भैंसा अचानक आया और आंटी के आंचल को अपनी सींग में लपेट लिया. फिर क्या था, आंटी भैंसे के साथ घिसटती चली गईं. अचानक मेरी नजर भैंसे पर पड़ी और झट से दौड़ कर मैं ने भैंसे का सींग पकड़ लिया और आंटी का आंचल उस से अलग कर दिया. इस तरह मैं ने अपनी जान की परवा किए बगैर उन की जान बचाई. वहां पर और भी लोग थे लेकिन किसी ने मदद करने की कोशिश नहीं की. इस तरह मैं ने बहुत बड़ा हादसा होने से बचा लिया. आज भी जब यह बात याद आती है तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

सुनीता कांत, गया (बिहार)

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मैं, मेरी पत्नी, मेरे दोनों बेटे और मेरे सासससुर पुरी के निकट चिलका झील देखने गए. हम ने एक मोटरबोट किराए पर ली और झील भ्रमण करने लगे. हम ने मोटरबोट वाले को बताया कि हम वह जगह भी देखना चाहते हैं जहां समुद्र का पानी झील में मिलता है. वापसी के समय वह हमें समुद्र के पास ले गया. शायद उस समय समुद्र शांत था, इसलिए वह हमें काफी अंदर तक ले कर गया. अचानक तेज लहरें उठने लगीं और हमारी मोटरबोट डगमगाने लगी. यह देख कर हमारे होश उड़ गए और हम बोट वाले से वापस जाने के लिए कहने लगे. बोट वाले ने हिम्मत दिखाई और मेहनत कर के काफी मुश्किल से हमें लहरों से बाहर निकाल लाया. हम ने देखा हमारे आसपास एक भी मोटरबोट नहीं थी. बाद में वापस पहुंचने पर उस ने हमें बताया कि इस बोट से समुद्र के पास नहीं जाते हैं क्योंकि यह बोट लहरों में नहीं चल सकती और पलट जाती है. आज भी उस दृश्य के बारे में सोच कर हमारे रोंगटे खड़े हो जाते हैं.

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