मैं झारखंड राज्य के एक गांव में रहती हूं. यह संथाल जाति बाहुल्य क्षेत्र है. आजादी के इतने सालों बाद भी यहां पुरानी रूढि़वादिता बरकरार है. यहां रूढि़वादी कुरीति यह है कि जब किसी व्यक्ति को सांप काट लेता है तब उसे अस्पताल या डाक्टर के पास नहीं ले जाते बल्कि मंडा नामक स्थान में ले जाते हैं जहां पर शेषनाग मंदिर है. इस मंदिर के पुरोहित पीडि़त व्यक्ति को जल पिलाते हैं जिस से सर्पदंश का जहर उतर जाता है.
एक दिन सुगना मूर्मू नामक संथाल के 10 वर्षीय बेटे को सांप ने डंस लिया तो साक्षर लोगों ने सलाह दी कि डाक्टर के पास ले चलो. मगर सुगना नहीं माना और बेटे को टैंपो में बैठा कर मंडा की तरफ चल पड़ा. गांव से मंडा की दूरी लगभग
8 किलोमीटर है, सो जहर पूरे शरीर में फैल गया और बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.
प्रेमशीला गुप्ता, देवघर (झारखंड)
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हमारी सोसाइटी में सालभर से एक पंडित धार्मिक विधि संपन्न कराने के लिए समयसमय पर घर में आताजाता था. कुछ ही दिनों में उस ने सोसाइटी में पूजापाठ में अपनी प्रतिष्ठा बना ली. कभी किसी कार्य का मुहूर्त निकालना हो, किसी के घर का गृहप्रवेश हो या कभी लड़केलड़की की शादी की कुंडली बनवानी हो, उसी पंडित को बुलाया जाता. उस का मोबाइल नंबर सभी के पास उपलब्ध था. यदि कोई पूजाविधि नहीं भी हो, तो भी वह पंडित दानदक्षिणा मांगने के लिए ही लोगों के घर पहुंच जाता था. एक दिन वह पंडित दक्षिणा मांगने के लिए पड़ोसी के घर गया. महिला घर में अकेली थी. कुछ ही देर में महिला पंडित के लिए नाश्ता बनाने को रसोई में चली गई. उस समय पंडित की नजर टेबल पर पड़े पर्स और सोफे पर पड़े मोबाइल पर पड़ी. उस के मन में लालच ने जन्म लिया, मोबाइल और पर्स अपनी पोटली में डाल कर नौदो ग्यारह हो गया.
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