एक कार्यक्रम में मैं अपने 7 वर्षीय पौत्र के साथ गया था. कार्यक्रम में हर एक को 2-2 पंक्तियां किसी भी गीत की गानी थीं. एक सज्जन जो गाना नहीं चाहते थे, आयोजकों की काफी मिन्नतों के बाद बोले, ‘‘मेरा गला लगा हुआ है.’’
यह सुन मेरा पौत्र उठा और हर कुरसी के पीछे जा कर बड़े ही गौर से देखने लगा. जब उस की यह प्रक्रिया समाप्त हुई, मैं ने पूछा, ‘‘बेटा, क्या कर रहे थे?’’ वह बोला ‘‘बाबा, सब लोग झूठ बोल रहे हैं.’’ मैं ने पूछा, ‘‘वह कैसे?’’ वह बोला, ‘‘मैं ने हर अंकल की कुरसी के पीछे जा कर गौर से देखा कि सब अंकल लोगों के गले लगे हैं. किसी का भी गला कटा नहीं है.’’ उस की यह बात सुन पूरे उत्सव का रंग ही बदल गया.
डा. ओ पी गुप्ता, सागर (म.प.)
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मेरी 5 वर्षीय नवासी श्रेया अपना काम निकालने में चतुर है. एक दिन उसे अपने हाथों में मेहंदी लगवाने की इच्छा हुई. घर पर किसी ने उस के हाथ में मेहंदी नहीं लगाई तो वह हमारी पड़ोसिन के पास गई, बोली, ‘‘मेरे हाथों में मेहंदी लगा दीजिए.’’
‘‘बाद में लगा दूंगी,’’ पड़ोसिन ने कहा, ‘‘अब दोपहर में गरमी के कारण नींद आ रही है.’’ श्रेया ने कुछ देर में बहाना सोचा, फिर मीठे स्वर में कहा, ‘‘1-2 दिन में मेरे पापा की शादी है.’’ पड़ोसिन हंस पड़ी और उस ने उसी समय उस के मेहंदी लगा दी. पड़ोसिन ने सारी बातें दूसरे दिन हमें बताईं तो सब हंस पड़े. श्रेया के मम्मीपापा भी हंस रहे थे.