मेरे पड़ोस में एक माताजी रहती हैं. वे करीब 80 साल की हैं. बहुत ही हंसमुख हैं. उन की हंसी की बातें व सकारात्मक सोच सभी को प्रसन्न कर देती हैं. बच्चे उन्हें बड़ी दादी कहते हैं. एक दिन मेरी मित्र ने एक वीडियो मेरे पास भेजा. मैं ने जब वीडियो देखा तो उस में जो कलाकार महिला थी, उस की सूरत माताजी से काफी मिलती हुई थी. पर बिना जाने मैं कैसे कहती कि यह वीडियो माताजी का है. सो, शाम को वह वीडियो ले कर मैं उन के घर गई.

मैं ने वह वीडियो उन के पोता व पोती को दिखाया तो वे देखते ही बोले, ‘अरे आंटी, यह वीडियो तो मेरी दादी का है.’ इतने में उन का बेटा भी आ गया. उस ने बताया कि उन की मां अपने समय की हास्यव्यंग्य कलाकार थीं. माताजी ने जब वह वीडियो देखा तो उन की आंखों में चमक आ गई. वे बोलीं कि बेटा, अब तो ये पुरानी बातें हैं पर आज वीडियो दिखा कर तुम ने मेरी पुरानी यादों को ताजा कर दिया.   

- उपमा मिश्रा, लखनऊ (उ.प्र.)

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शहर के चहलपहल वाले महत्त्वपूर्ण चौराहे पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपने आर्थिक सहयोग से पानी का एक  सार्वजनिक प्याऊ बनाया. प्याऊ पर गरमी के दिनों में खासी आवाजाही रहती. शहर में काफी समय से एक विक्षिप्त महिला अपनी 8-9 वर्ष की बच्ची को ले कर भिक्षावृत्ति कर अपना पेट पाल रही थी. कुछ बच्चे विक्षिप्त महिला को चमेली कह कर चिढ़ाया करते थे. मई का महीना था. एक दिन घूमती हुई वह महिला प्याऊ पर पानी पीने को रुक गई. उस के आगे एक व्यक्ति पानी पी रहा था. उस के बाद विक्षिप्त महिला ने अपनी लड़की को पानी पीने के लिए आगे किया. उस के बाद वह पानी पीने का प्रयास करने लगी तो उस के पीछे क्रम में लगे व्यक्ति ने उसे हटाने की चेष्टा करते हुए कहा, ‘‘चल हट, हमें पानी पीने दे.’’

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