मैं 30 वर्षीय विवाहित महिला हूं और एक शादीशुदा मुसलिम अधिकारी से प्यार करती हूं. वे भी मुझे चाहते हैं. पर पिछले कुछ महीनों से उन का व्यवहार बदलाबदला सा लग रहा है जैसे वे मुझे इग्नोर कर रहे हों. मैं उन से सिर्फ दोस्ती और प्यार चाहती हूं. परिवार, मर्यादा के बारे में सोच कर मन ही मन घुटती रहती हूं, निराशा जन्म ले रही है. क्या मैं उन्हें फोन करूं? आप ही सलाह दीजिए.
आप अब तक जिसे प्यार समझती रहीं वह आप दोनों के बीच मात्र आकर्षण और टाइमपास था. वास्तविकता के धरातल पर आप के दोस्त ने आप से दूरी बना कर सही निर्णय लिया है. चूंकि आप दोनों विवाहित हैं, इसलिए आप के दोस्त का निर्णय आप और आप के परिवार दोनों के लिए सही रहेगा.
यदि आप परिवार और मर्यादा को समझती हैं, उसे महत्त्व देती हैं तो ऐसे रिश्ते को आगे बढ़ाने की तरफ से अपना ध्यान हटा लीजिए. आप का उस अधिकारी के प्रति लगाव आप के घरपरिवार के लिए नुकसानदेह साबित होगा. ऐसे रिश्तों का कोई नाम नहीं होता. इन से सिर्फ बदनामी मिलती है. इसलिए इस रिश्ते की तरफ से अपना ध्यान हटा कर अपने घर, परिवार में मन लगाइए. वैसे, यदि दिल न माने तो यह सावधानी रखें कि यह बात किसी को पता न चले. इस तरह के संबंध पूरी तरह छिपे रहें, यही मुश्किल है.
मैं 23 वर्षीय अविवाहित हूं. 2 वर्षों से एक तलाकशुदा महिला से प्यार करता हूं. अब उस से विवाह करना चाहता हूं पर घर वाले उस के साथ शादी के लिए राजी नहीं हैं. आप ही बताइए, मैं क्या करूं?
आप उस महिला को अपने परिवार वालों से मिलवाइए और अगर आप सचमुच उस महिला के साथ विवाह करना चाहते हैं तो परिवार वालों को समझाइए कि तलाकशुदा होना कोई गुनाह नहीं है, वह भी एक बेहतर पत्नी और बहू साबित हो सकती है. वैसे, इस तरह का विवाह तब सफल होता है जब आप अपने परिवार से दूर रहते हों और कभीकभार मिलना होता हो. एक घर में रह कर घरवालों की पसंद के बिना पत्नी लाना आफत को निमंत्रण देना होता है.
मैं एक लड़की से बहुत प्यार करता हूं. वह भी मुझे बहुत चाहती है. लेकिन शादी की बात पर उस ने मेरे सामने एक शर्त रख दी है. उस का कहना है कि अगर तुम्हारी सरकारी नौकरी नहीं लगी तो तुम से शादी नहीं करूंगी. उस की इस शर्त से मैं बहुत परेशान हो गया हूं. मैं उस से अलग नहीं होना चाहता. समझ नहीं आ रहा, क्या करूं?
सब से पहले आप अपनी प्रेमिका से पूछिए कि आखिर वह आप से शादी के लिए सरकारी नौकरी की शर्त क्यों रख रही है. क्या कोई आर्थिक असुरक्षा की भावना इस शर्त के पीछे छिपी वजह है? यदि ऐसा है तो आप उसे विश्वास दिलाएं कि चाहे नौकरी सरकारी हो या प्राइवेट, आप उस का पूरा ध्यान रखने में सक्षम हैं. कोई भी निर्णय लेने से पूर्व आप लड़की को अच्छी तरह परख लें, कहीं सरकारी नौकरी की शर्त आप से शादी न करने का बहाना तो नहीं है. इस विषय पर खुल कर बात करें और उस के बाद ही बात को आगे बढ़ाएं.
मैं 25 वर्षीय सेना में कार्यरत सिपाही हूं. मेरे विवाह को अभी 1 वर्ष हुआ है. मेरी 2 बहनें व 1 भाई अभी अविवाहित हैं, इसलिए मैं पत्नी को साथ नहीं रख सकता. मेरी समस्या मेरे सासससुर को ले कर है. वे मेरे साथ गालीगलौज करते हैं और दहेज का मुकदमा करने की बात करते हैं.मेरी पत्नी उन्हें कुछ नहीं कहती, वह सिर्फ मेरे साथ रहना चाहती है. मैं बड़ी मुश्किल में हूं. आप ही कोई रास्ता बताइए?
आप की सब से बड़ी गलती यह है कि आप पत्नी को अपने साथ नहीं रख रहे. जब आप ने विवाह किया है तो पत्नी को आप को अपने साथ रखना चाहिए. माना कि आप पर भाईबहनों की जिम्मेदारी है लेकिन पत्नी भी तो आप ही की जिम्मेदारी है. जहां तक सासससुर की बात है, आप पत्नी से इस बारे में बात करें कि वह अपने मातापिता को समझाए कि वे मुकदमे की बात कर के समस्या को और न बढ़ाएं, साथ ही आप के साथ सही व्यवहार भी करें. जब पत्नी आप के साथ रहने लगेगी तो सभी समस्याएं अपनेआप सुलझ जाएंगी.
मैं 19 वर्षीय कालेज की छात्रा हूं. मेरी समस्या यह है कि मेरे एक पड़ोसी, जिन की उम्र 53 वर्ष है, जब भी हमारे घर आते हैं और मैं उन के सामने पड़ जाती हूं तो वे मेरे परिवार से नजरें बचा कर मुझे अश्लील इशारे करते हैं. मुझे जानबूझ कर छूने की कोशिश करते हैं. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं अपने घर वालों को इस बारे में कैसे बताऊं. मुझे डर है कि कहीं इस से मेरी बदनामी तो नहीं होगी?
आप बेझिझक हो कर अपनी चुप्पी तोड़ें और अपने पड़ोसी की हरकतों के बारे में अपने परिवार वालों को खुल कर बताएं. उस की गलत हरकतों का प्रतिरोध करें, उस का असली चेहरा सब के सामने लाएं. आप जितना डरेंगी वह आप का उतना ही फायदा उठाएगा. आप ही सोचिए, क्या बदनामी का डर उस पड़ोसी को नहीं होगा. वैसे भी बदनामी के डर से चुप बैठना कोई समझदारी नहीं है.
महिलाओं के साथ होने वाले अधिकांश दुर्व्यवहार उन के जानने वालों के द्वारा ही होते हैं जो आगे चल कर अकसर किसी बड़ी दुर्घटना में तबदील हो जाते हैं. इसलिए पड़ोसी की गलत हरकतों को बिना डरे सब के सामने लाएं, उसे सबक सिखाएं.