बात मेरे मित्र की लड़की की शादी की थी. सारा प्रबंध एक फार्महाउस में था. जयमाला का कार्यक्रम था, स्टेज पर दूल्हा अपने मित्रों के साथ खड़ा था व दुलहन अपनी सहेलियों के साथ जयमाला ले कर खड़ी थी. दुलहन ने जैसे ही जयमाला डालने को हाथ उठाए, दूल्हे के मित्रों ने दूल्हे को काफी ऊपर उठा लिया. दुलहन माला ले कर एक ओर खड़ी हो गई.

दूसरी बार फिर माला डालने की कोशिश की तो फिर दूल्हे के मित्रों ने उसे ऊपर उठा लिया. तब दुलहन एक ओर खड़ी हो गई व उस ने अपनी सहेली के कान में कुछ कहा. सहेली ने दूल्हे से कुछ कहा. अब मैं ने देखा कि दूल्हा सिर झुकाए खड़ा है व मित्र भी सब शांत हैं. आराम से जयमाला कार्यक्रम समाप्त हो गया. बाद में मुझे इस शांति का पता चला तो मैं हंसे बिना न रह सका. दरअसल, दुलहन ने अपनी सहेली से कहा था कि दूल्हे से कह दो कि वह शांतिपूर्वक जयमाला डलवा ले वरना वह जा रही है.

वेद प्रकाश गुप्ता, गाजियाबाद (उ.प्र.)

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मेरी बेटी की सहेली की शादी ऐसे घर में हुई जो दहेजलोभी थे. उन्होंने अपनी बहू का जीना इतना दूभर कर दिया कि बहू ने आत्महत्या कर ली. घटना के बाद से मेरी बेटी को शादी के नाम से नफरत हो गई. उस ने प्रण किया कि वह शादी नहीं करेगी. खैर, काफी समझाने के बाद वह शादी के लिए राजी हुई. सगाई होने के बाद मेरी बेटी को पता चला कि उस के ससुराल वाले भी दहेज के लोभी हैं. उस ने लड़के को साफसाफ शब्दों में कहा कि मैं शादी तब करूंगी जब आप के मातापिता मुझे सिर्फ वरमाला में स्वीकार करेंगे अन्यथा मैं कुंआरी रहना पसंद करूंगी.लड़के ने अपने मातापिता से कहा कि अगर आप ने बहू को दहेज के लिए परेशान किया तो जिंदगीभर वह कुंआरा रहेगा. इकलौती संतान होने के कारण लड़के के मांबाप को औलाद की खुशी की खातिर झुकना पड़ा.

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