भुखमरी मुक्त दिल्ली
सबकुछ ठीकठाक रहा तो विधानसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली के 73.5 लाख गरीबों को खाद्य सुरक्षा योजना के तहत सस्ता अनाज मिलना शुरू हो जाएगा. मुख्यमंत्री शीला दीक्षित कहती हैं कि दिल्ली भुखमरी से मुक्त हो जाएगी. शीला दीक्षित भाषा की धनी हैं इसलिए उन्होंने गरीबी के बजाय सटीक शब्द भुखमरी का इस्तेमाल किया बावजूद यह जाननेसम?ाने के कि आजकल लोग भूख से कम दूषित खाद्य पदार्थों के सेवन से ज्यादा मरते हैं. बहरहाल, शीला की मंशा की व्याख्या करते राहुल गांधी ने 6 अगस्त को यह कहते नया विवाद पैदा कर दिया कि गरीबी एक मानसिक स्थिति है जिसे खैरात बांटने से दूर नहीं किया जा सकता. बात सच भी है, अब सरकारें पुरुषों को आफ्टर शेव लोशन और महिलाओं को सैनिटरी नेपकिन बांटने से तो रहीं.
द वाशिंगटन पोस्ट
‘द वाशिंगटन पोस्ट’ दुनिया भर में जानामाना अखबार है जिसे बीते दिनों अमेरिकी कंपनी अमेजन के सीईओ जैफ पी बेजास ने तकरीबन 250 मिलियन डौलर में खरीद लिया. यह अखबार अपने 135 सालों के इतिहास में चौथी बार बिका. अखबार हमारे यहां भी बिकते रहते हैं पर इतने महंगे नहीं. वजह, प्रसार संख्या है जिसे ले कर तमाम मीडिया हाउस चिंतित हैं पर इलैक्ट्रौनिक्स मीडिया के जादू से निबटने का मंत्र कोई नहीं ढूंढ़ पा रहा. इस की लगभग 4,74,767 प्रतियां बिकती हैं जो किसी भी भारतीय प्रकाशक को उसकी संपादकीय व लेखकीय गुणवत्ता की हैसियत बताने के लिहाज से पर्याप्त हैं. इस अखबार के मालिकाना हक के बिकने की वजह बीते 10 सालों में इस के प्रसार में लगातार गिरावट बताई गई जिस के चलते विज्ञापन भी कम हो चले थे. इस सौदे का इकलौता सबक यही है कि लेखकीय गुणवत्ता गिर रही है, इसलिए लोग आंखों का इस्तेमाल देखने में ज्यादा करने लगे हैं.
कांग्रेस की मुश्किल
साल 2013 में नरेंद्र मोदी छाए हुए हैं कांग्रेसी तो कांग्रेसी शत्रुघ्न सिन्हा और जसवंत सिंह जैसे कई भाजपाई दिग्गज बोलते रहे कि मोदी को प्रधानमंत्री न बनाया जाए. देश की चिंता के अलावा इन सब की अपनीअपनी निष्ठाएं और स्वार्थ हैं. राहुल गांधी नेएक सलीके का काम 36 कांग्रेसी प्रवक्ताओं को यह नसीहत देते किया कि नरेंद्र मोदी पर बेवजह, ऊटपटांग न बोला जाए और बोलना ही है तो गुजरात के विकास मौडल की बखिया उधेड़ी जाए. सार यह कि मोदी को ब्रैंड न बनाया जाए.
अब मोदी पर नहीं बोलना तो कांग्रेसियों को सम?ा आ गया पर गुजरात विकास मौडल क्या बला है, यह वे सम?ा नहीं पा रहे. गुजरात का विकास शोध और खोज का विषय हो चला है जिस पर कांग्रेसी सिर खपाएंगे, ऐसा लग नहीं रहा.
बेलगाम दिग्विजय
उन का नाम मीनाक्षी नटराजन है. वे मंदसौर-नीमच से कांग्रेसी सांसद हैं. अविवाहित हैं, खूबसूरत, सांवली हैं, कम बोलती हैं और उन की सब से बड़ी खूबी राहुल गांधी से नजदीकी है. इसलिए कांग्रेसियों का उन का लिहाज करना स्वाभाविक है पर दिग्विजय सिंह ने नहीं किया. मंदसौर में मंच से भीड़ के सामने उन्होंने भद्दी भाषा और घटिया अंदाज में मीनाक्षी को 100 टन का माल कह दिया. इस उपाधि, जिसे कटाक्ष कहना ज्यादा ठीक होगा, को मीनाक्षी ने पुरस्कार की तरह सम्मानपूर्वक सार्वजनिक रूप से ग्रहण कर लिया, मानो कोई पद्म उपाधि मिल गई हो.
अगर यह भाषा गलत थी तो दोषी जाहिर है दिग्विजय से ज्यादा खुद मीनाक्षी हैं जिन में स्वाभिमान और सम्मान नाम के तत्त्व नहीं हैं. ऐसे में दिग्विजय जैसे पुरुषों की विकृत मानसिकता को शह मिलती है.