उत्साह

हताश न होना ही सफलता का मूल है और यही परम सुख है. उत्साह ही मनुष्य को सर्वदा सब प्रकार के कर्मों में प्रवृत्त करने वाला है और जीव जो कुछ कर्म करता है, उसे उत्साह ही सफल बनाता है.

उपकार

मनुष्य के जीवन की सफलता इसी में है कि वह उपकारी के उपकार को कभी न भूले. उस के उपकार से भी बढ़ कर उस का उपकार कर दे.

ईमानदारी

ईमानदारी, वचन का पालन और उदारता : ये 3 ऐसे गुण हैं जो स्वाभिमान के साथ अनिवार्य रूप से रहते हैं.

उधार

न उधार लो और न उधार दो क्योंकि उधार अकसर स्वयं को और मित्र दोनों को खो देता है.

इच्छाएं

इच्छाओं को शांत करने से नहीं अपितु उन्हें परिमित करने से शांति प्राप्त होती है.

ईर्ष्या

ईर्ष्यालु मनुष्य स्वयं ही ईर्ष्याग्नि में जला करता है. उसे और जलाना व्यर्थ है.

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