हमारे कसबे में बंदरों का उत्पात आतंक का विषय है. कुछ उत्पाती बंदरों की आदत यह है कि वे सामान या कपड़े ले कर छत पर भाग जाते हैं. उन्हें यदि उस समय कुछ खाने को तुरंत न दिया जाए तो वे उस सामान या कपड़े को नष्ट करने या फाड़ने लगते हैं. पिछली दीवाली के दिन एक उत्पाती बंदर मेरे पति का 10 हजार रुपए का नया मोबाइल ले कर भागा और छत पर चढ़ गया. हमारे तो होश उड़ गए. तभी मेरे पति को याद आया कि मोबाइल में दीवाली के कारण लड़के ने पटाखों की आवाज का रिंगटोन लगा रखा है. उन्होंने घर के एक दूसरे मोबाइल से उस पर फोन कर दिया. पटाखों की अपने हाथ में आवाज सुन कर बंदर मोबाइल को छत पर छोड़ कर बहुत तेज दूर भाग गया. इस तरह मेरे पति का महंगा मोबाइल बच गया.

माधुरी मौर्यबंशी, मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)

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मेरा एक मित्र हास्य कवि है. उस का बेटा विवाहयोग्य हुआ तो एक लड़की वाले उस के घर रिश्ता ले कर आए. नाश्ते के बाद लड़की का पिता बोला, ‘‘जी, हम आप के सुपुत्र का हाथ अपनी कन्या के लिए चाहते हैं.’’ मित्र ने यह सुनते ही जवाब दिया, ऐसा काम न कीजिए जिस से दरार आए रिश्तों में. मांगना है तो पूरा वर मांगिए. अलगअलग अंग क्यों मांग रहे हैं किस्तों में.’’ मित्र के जवाब से वातावरण में खुशी की लहर दौड़ गई.

मुकेश जैन ‘पारस’, बंगाली मार्केट (न.दि.)

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बात तब की है जब मेरी शादी हो रही थी. जयमाला के बाद हम लोग स्टेज पर बैठे थे. मायके व ससुराल के लोग बारीबारी स्टेज पर आ कर हमारे साथ फोटो खिंचवाते, शगुन देते और हमारे सिरों के ऊपर से वारफेर कर के काम करने वालों को पकड़ा देते. पुरुष मेरे पति से हाथ मिलाते और स्त्रियां हाथ जोड़ कर नमस्ते करतीं. मेरे पिताजी के एक मित्र जब हमारे ऊपर से वारफेर कर के जाने लगे तो मेरे पति ने उन से हाथ मिलाने के लिए हाथ बढ़ाया तो उन्होंने वारफेर कर के 10 रुपए इन्हें पकड़ा दिए. मेरे पति हाथ से ना ना करते रहे कि उन का उद्देश्य पैसे लेना नहीं, बल्कि हाथ मिलाना है. परंतु लोगों की भीड़भाड़ और फोटो खिंचवाने की जल्दबाजी के कारण मेरे वे अंकल वारफेर के 10 रुपए इन्हें दे कर चल दिए. यह दृश्य देख कर दोनों तरफ के रिश्तेदार और मैं अपनी मुसकान न रोक सके.

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