केंद्रीय पैट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली लगता है तेल की बचत की योजनाओं पर डूब कर काम कर रहे हैं. उन की चिंता देश में ईंधन की खपत को कम करने पर केंद्रित है. मोइली उसी मंत्रिमंडल के सदस्य हैं जिस ने हाल ही में दागी नेताओं को बचाने वाले विधेयक को मंजूरी दी थी. बाद में मजबूरी में यह विधेयक वापस ले लिया गया. 

पैट्रोलियम मंत्री ने एक फरमान जारी किया है और राज्य सरकारों के साथ ही केंद्रीय कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत और पैंशन मंत्री को पत्र लिखा है कि सप्ताह में 1 दिन ‘सार्वजनिक परिवहन दिवस’ मनाया जाए. इस दिन सारे कर्मचारी सार्वजनिक वाहन का इस्तेमाल कर के औफिस जाएं. इस के अलावा शेष दिन के लिए कार पूल बनना चाहिए ताकि 3-4 लोग एक ही कार में बैठ कर कार्यालय आएं. उन का कहना है कि इस से देश को 31 हजार करोड़ रुपए का फायदा होगा.

मोइली का यह भी कहना है कि 2012-13 में देश में 8.9 लाख करोड़ लिटर तेल का आयात किया गया जिस से खजाने पर भारी बोझ पड़ा है. दिलचस्प यह है कि उन की यह नेक सलाह बाबुओं को हंसा रही है. बाबू मजाक में कहते हैं कि यह सलाह भी दी जानी चाहिए थी कि मंत्री या जनप्रतिनिधि भी बस में या रिकशे पर बैठ कर संसद और विधानसभा पहुंचें. मोइली बाबुओं की सलाह से सहमत भी हैं और वे मैट्रो ट्रेन से सफर कर कार्यालय पहुंचे भी. समझ नहीं आता कि लूटखसोट के इस माहौल में मोइली क्यों बाबुओं का पसीना निकालने की योजना बना रहे हैं. यह योजना कभी सफल तो नहीं होगी लेकिन जो शिगूफा छोड़ा गया है वह सरकार की छवि चमकाने के लिए है या आम आदमी को भरमाने के लिए.

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