मोबाइल फोन जितना सुविधाजनक है उतना ही वह समस्याएं पैदा कर रहा है. घरों में यह बच्चों का खिलौना बन चुका है और किशोरों के लिए मस्ती करने का उपकरण. इस के दुरुपयोग पर रोक लगाने की जिम्मेदारी समाज की यानी संबद्ध परिवार की है लेकिन इधर अपराधी तत्त्व, खासकर मानवता के दुश्मन, आतंकवादियों के लिए अपना नैटवर्क संचालित करने के लिए मोबाइल ‘वरदान’ बन चुका है.

सरकार मोबाइल के इस सब से बड़े दुरुपयोग से परिचित है और गृहमंत्रालय ने शायद इसी राष्ट्रविरोधी गतिविधि पर अंकुश लगाने के लिए मोबाइल औपरेटर कंपनियों को नए मोबाइल कनैक्शन के बाबत संचार मंत्रालय के जरिए ताजा निर्देश दिए हैं. संचार मंत्रालय ने उपभोक्ता की फिजिकल जांचपड़ताल करने के लिए  सेवाप्रदाता कंपनियों को निर्देश दिए हैं.

उधर, दूरसंचार राज्यमंत्री मिलिंद देवड़ा का कहना है कि उन का मंत्रालय मोबाइल कनैक्शन देते समय उपभोक्ता की उंगली के निशान यानी फिंगर पिं्रट लेने की योजना पर विचार कर रहा है. उन का कहना है कि सभी उपभोक्ताओं का बायोमैटिक डाटा सेवाप्रदाता कंपनी के पास होगा तो मोबाइल का दुरुपयोग रोका जा सकेगा और राष्ट्रद्रोही या दूसरे आपराधिक तत्त्व राष्ट्रविरोधी गतिविधि में मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे.

सेवाप्रदाता कंपनी को नई व्यवस्था के शुरू होने की स्थिति में उपभोक्ता के आवेदनपत्र के साथ उस का फोटो पहचान प्रमाणपत्र के साथ ही उस की उंगली के निशान भी लेने होंगे. फिलहाल फिंगर पिं्रट की व्यवस्था पर गौर हो रहा है और इसे भी जल्द ही लागू किया जा सकता है. यदि फिंगर पिं्रट वाली व्यवस्था लागू होती है तो मोबाइल का दुरुपयोग रुकेगा और कार्डधारक जिम्मेदारी से सिम को रखेगा भी.

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