सरकार ने इस साल पब्लिक सेक्टर बैंकों को देने के लिए 25,000 करोड़ रुपये अलग रखे हैं. जो बैंक फंड चाहते हैं, उन्हें इसकी मांग रखने से पहले बैड लोन के मामले में कुछ सुधार करना होगा. वित्त मंत्रालय ने बैंकों से लोन रिकवरी का काम तेजी से करने के लिए कहा है. वह फंड जुटाने के बैंकों के प्लान और नॉन-कोर एसेट्स को बेचने के तरीके पर उनके साथ मीटिंग कर रही है. वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘हमें बैंकों के साथ ग्रोथ के अनुमान, लोन ग्रोथ टारगेट और लो कॉस्ट डिपॉजिट जैसे दूसरे एफिशिएंसी पैरामीटर्स पर बात कर रहे हैं. ओवरऑल परफॉर्मेंस के आधार पर बैंकों को फंड दिया जाएगा.’

इसमें अहम पैमाना एनपीए की रीकवरी होगा. सरकारी बैंकों का ग्रॉस एनपीए दिसंबर 2015 तक बढ़कर 7.3 % हो गया था, जो मार्च 2015 में 5.43 % था. वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने कहा, ‘हमें बैंकरप्सी लॉ संसद के मौजूदा सत्र में पास होने की उम्मीद है. इसके अलावा,सारफेसी और डीआरटी कानून में बदलाव  किया जा रहा है ताकि बैंकों को लोन रिकवरी में मदद मिले.’ फंड के लिए अभी तक इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने वित्त मंत्रालय के सामने प्रेजेंटेशन दिया है.

वित्त मंत्रालय के अधिकारी ने बताया, ‘कुछ बैंकों को उन सेक्टर्स पर फोकस करना चाहिए जिनमें वे पहले से मजबूत हैं. जैस-एमएसएमई या एग्रीकल्चर लेंडिग. वे ऐसे क्षेत्रों को ध्यान में रखकर अपनी रणनीति बना सकते हैं.’ वित्त मंत्रालय के मुताबिक, सरकारी बैंकों को फाइनैंशल ईयर 2019 तक 1.8 लाख करोड़ रुपये के एडिशनल कैपिटल की जरूरत पड़ेगी. इसमें 1.1 लाख करोड़ रुपये मार्केट और नॉन-कोर एसेट्स बेचकर जुटाए जाने हैं.

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