लेखक-शान्तिस्वरुप त्रिपाठी

बौलीवुड में स्टूडियो सिस्टम के शुरू होते ही विदेशी स्टूडियो ने धड़ल्ले से भारत में प्रवेश कर लिया था, लेकिन चार-पांच वर्ष के अंदर ही यह विदेशी स्टूडियो पूरी तरह से असफल हो गए, मगर इस बीच इन्होंने बौलीवुड के निजी फिल्म निर्माताओं की कमर तोड़कर रख दी. धीरे-धीरे निजी निर्माताओं ने अपनी दुकानदारी बंद करनी शुरू कर दी. तो वहीं आदित्य चोपड़ा, करण जोहर, एकता कपूर जैसे फिल्म निर्माताओं ने वक्त की नब्ज को पहचान कर कौरपोरेट कल्चर को अपनाते हुए स्टूडियो सिस्टम की तरह काम करना शुरू किया.

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ऐसे में भला निर्माता निर्देशक विपुल अम्रतलाल शाह कब तक चुप बैठते. वैसे भी बतौर निर्माता उनकी ‘फोर्स टू’,‘कमांडो 2’ और बतौर निर्माता निर्देशक ‘नमस्ते लंदन’ सहित कुछ फिल्में लगातार बौक्स औफिस पर धराशाही हो चुकी है. इसलिए अब विपुल अम्रतलाल शाह ने भी अपनी फिल्म निर्माण कंपनी को ‘स्टूडियो’ में बदलते हुए एक साथ कई फिल्मों और वेब सीरीज के निर्माण की घोषणा की है.

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विपुल अम्रतलाल शाह ने अपनी कंपनी के तहत निर्मित की जाने वाली फिल्मों के निर्देशन के लिए कई सफल निर्देशको को अनुबंधित किया है. इनमें ‘द गाजी अटैक’ फेम निर्देशक संकल्प रेड्डी, फिल्म ‘लाहौर’ फेम राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त निर्देशक संजय पूरण सिंह चैहाण, ‘कमांडो 2’ फेम देवेन भोजानी को अनुबंधित किया है. इसके अलावा दो वेब सीरीज बनाने जा रहे हैं, जिसमें से एक वेब सीरीज गुजराती के मशहूर लेखक हरकिशन मेहता के उपन्यास पर है. यह कहानी है 1812 से 1855 के बीच 1919 लोगों की हत्या करने वाले कुख्यात ठग आमीर अली की. और दूसरी वेब सीरीज चिकित्सा जगत में इंसानों पर दवाओं के जो खतरनाक प्रयोग किए जा रहे हैं, उस पर है.

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