Bollywood Star kids Career : फिल्म निर्मातानिर्देशक स्टारकिड्स को यह समझ कर हिंदी फिल्मों में ले लेते हैं कि वे फ़िल्मी माहौल में पलेबढ़े हैं और फ़िल्मी दुनिया को अच्छी तरह से जानते हैं. उन के अंदर अभिनय की क्षमता जन्मजात होगी. लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा. इतना ही नहीं, कई बार उन के फ़िल्मी पेरैंट्स उन्हें लौंच करवाने के लिए अच्छी मात्रा में पैसे भी फिल्ममेकिंग पर खर्च कर देते हैं. लेकिन फिर भी वे सफलता हासिल नहीं कर पाते. एक या दो फिल्मों के फ्लौप होने पर वे कहीं नहीं दिखते, क्योंकि निर्मातानिर्देशक उन्हें आगे फिल्मों में लेने से घबराते हैं.

इस श्रृंखला में सब से अधिक स्टारकिड्स को मौका देने वाले निर्माता निर्देशक करण जौहर हैं, जो हमेशा इसे सही मानते हैं. उन के हिसाब से फ़िल्मी माहौल में पैदा हुए बच्चे अच्छी ऐक्टिंग कर सकते हैं. उन्होंने हर बार 2 स्टारकिड्स को लौंच किया है, जबकि इस दौर में एक कदम आगे बढ़ कर निर्देशक जोया अख्तर ने 3 स्टारकिड्स को लौंच किया, जबकि उन की फिल्म ‘द आर्चिज’ एक असफल साबित हुई. इस फिल्म के लिए जोया ने करीब एक से डेढ़ साल तक सभी स्टारकिड्स को ट्रेनिंग भी दी. लेकिन फिल्म ठंडे बसते में चली गई. दर्शकों ने इस फिल्म को पसंद नहीं किया. इस में सुहाना खान, ख़ुशी कपूर, अदिति सहगल आदि कईयों ने काम किया, पर आगे उन की छवि कुछ स्थापित नहीं हो पाई.

एक इंटरव्यू में पूजा बेदी की बेटी अभिनेत्री अलाया ने कहा भी है कि फिल्म इंडस्ट्री एक व्यवसाय है, इसलिए मैं बहुत सावधानी से फिल्मों का चयन करती हूं, ताकि फिल्म सफल हो. फिल्मों में एंट्री आसानी से मिलना भी एक जोखिम होता है, क्योंकि दर्शक मुझ से वैसी ऐक्टिंग देखने की इच्छा रखते हैं और अगर ऐसा नहीं कर पाई, तो असफलता हाथ लगती है.
देखा जाए तो कई स्टारकिड्स हैं, जो फिल्मों में आसानी से आ तो गए लेकिन अपनी साख जमा नहीं पाए, जबकि बगैर फ़िल्मी माहौल से आए आर्टिस्ट काफी मेहनत करते हैं और खुद को स्थापित भी कर लेते हैं.

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