हम लंबे समय से लिखते आए हैं कि फिल्म निर्माता और फिल्म प्रचारक के पैसे पर पल रहे फिल्म क्रिटिक्स/आलोचक व इन्फ्लुएंसर भारतीय सिनेमा को खत्म करने पर आमादा हैं. वास्तव में फिल्म का प्रचारक उस ‘दक्षिणापंथी’ (शादी कराने वाला पंडित) की तरह हैं जिसे सिर्फ अपनी दक्षिणा यानी कि जेब भरने से मतलब है, फिर चाहे ‘वर’ मरे या ‘कन्या’.

यानी कि फिर फिल्म डूबे, निर्माता डूबे, कलाकार डूबे, इस से प्रचारक को कोई फर्क नहीं पड़ता. इस के लिए भी फिल्म के निर्माता व कलाकार ही दोषी हैं क्योंकि फिल्म का निर्माता ही अपने प्रचारक को पैसा देता है कि वह फिल्म क्रिटिक्स को खरीद कर उस की फिल्म के लिए 4 या 5 स्टार दिलवाए.

किसी भी निर्माता ने आज तक अपने प्रचारक की कोई जवाबदेही तय ही नहीं की. यह कटु सत्य अब नासूर बन चुका है. अब अजय देवगन और करण जौहर की आंखें खुली हैं. कुछ समय पहले अजय देवगन और करण जौहर ने कुबूल किया कि वे पैसे दे कर ‘स्टार’ खरीदते रहे हैं. पत्रकारों को खरीदते रहे हैं. यह गलत है. लोग सवाल कर रहे हैं कि यदि यह गलत है तो वे इस काम में भागीदार क्यों हैं?

बहरहाल, फिल्म निर्माता व प्रचारक की इसी नीति के चलते 25 जनवरी, गुरुवार को प्रदर्शित हृतिक रोशन, दीपिका पादुकोण और अनिल कपूर के अभिनय से सजी देशभक्ति की बात करने वाली फिल्म ‘फाइटर’ एक सप्ताह बाद सिर्फ 140 करोड़ रुपए ही इकट्ठा कर सकी.

ये आंकड़े निर्माता की तरफ से दिए गए हैं और हमारा मानना है कि निर्माता सही आंकड़े देने के बजाय बढ़ा कर आंकड़े देता है. यह हालत तब है जब 26, 27, 28 जनवरी को छुट्टी थी. पूरे देश में राष्ट्रवाद, गणतंत्र व देशभक्ति का माहौल था. खैर, 140 करोड़ रुपए में से सारे खर्च काट कर निर्माता के हाथ में बामुश्किल 50 करोड़ रुपए ही आएंगे, जबकि फिल्म की लागत 300 करोड़ रुपए है. ‘दक्षिणापंथियों’ को दी गई रकम का तो खुलासा ही नहीं हुआ है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...