दो फरवरी की सुबहसुबह इंस्टाग्राम पर पूनम पांडे के आधिकारिक एकाउंट पर खबर आई कि सर्वाइकल कैंसर से पूनम पांडे की मौत हो गई. मगर जगह या अस्पताल आदि के नाम का कोई जिक्र नहीं था. इस वजह से हमें यकीन नहीं हुआ था क्योंकि 28 जनवरी को ही हमारी मुलाकात पूनम पांडे से हुई थी, उस वक्त वह कहीं से भी बीमार नजर नहीं आ रही थी.
यूं भी मेरी व्यक्तिगत राय में सोशल मीडिया महज झूठ का समुद्र है, लेकिन कुछ देर में जब हमारे पास पूनम पांडे की मैनेजर निकिता शर्मा का ईमेल आया, तो लगा कि ईमेल पर गलत खबर नहीं दी जाएगी. तब हम ने पूनम पांडे की मैनेजर के ईमेल में लिखी बातों को समाचार के तौर पर दो फरवरी को जगह दी थी. पर उस में हम ने साफसाफ लिखा था कि हमें यकीन नहीं है कि पूनम पांडे की मौत हुई है और हम ने मैनेजर द्वारा भी मौत की जगह या अस्पताल का नाम न बताने पर सवाल उठाया था.

 

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बहरहाल,दो फरवरी की शाम तक हम समझ चुके थे कि यह सारा खेल महज पब्लिसिटी स्टंट और पैसा कमाने के लिए पूनम पांडे, पूनम पांडे की प्रचारक और मैनेजर ने मिलकर रचा है. इस बीच हमें यह खबर मिल गई थी कि सरकार ने 4 फरवरी,विश्व कैंसर दिन से 9 वर्ष से ले कर 26 वर्ष तक की लड़कियों को मुफ्त में ‘सर्वाइकल कैंसर’ का टीकाकरण की शुरूआत करने वाली है.

 

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