Rajesh Khanna : राजेश खन्ना, जिन्हें भारतीय सिनेमा का पहला सुपरस्टार माना जाता है, ने अपनी रोमांटिक अदाओं, मंत्रमुग्ध कर देने वाले अभिनय और यादगार संवादों के जरिए दर्शकों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी. उन का कैरियर न केवल फिल्मी परदे पर बल्कि भारतीय समाज और संस्कृति पर भी गहरा प्रभाव डालने वाला रहा. उन की फिल्मों ने न केवल बौक्स औफिस पर धमाल मचाया बल्कि उन्होंने अपनी एक ऐसी छवि गढ़ी जो आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है.

सदियों से राजा बड़ी सावधानी से अपने दूतों को चुनते थे जो दूसरे राज्य के संदेश दे सकें. संदेश की तरह संदेशवाहक भी हमेशा महत्त्व का रहा है और उस का व्यक्तित्व, उस की वाक्पटुता, उस की चालढाल संदेश के महत्त्व को घटाती व बढ़ाती रही है. धर्मों ने तो संदेशवाहकों को देवता बना डाला और संदेश को भूल कर संदेशवाहक को पूजने लगे हालांकि धर्मों के मामले में संदेशवाहक असल में खुद संदेश गढ़ते रहे हैं क्योंकि यह सोचना कि किसी अदृश्य शक्ति ने उन्हें संदेश दे कर भेजा है, अपनेआप में बेवकूफी है लेकिन चारपांच हजार वर्षों से मानवता उस की शिकार रही है. संदेशवाहकों की मृत्यु के बाद भी संदेशवाहकों के एजेंट उन के बुत बना कर या संदेशवाहक के बनावटी संदेश को ले कर धर्म का अपना धंधा सफलता से चलाते रहे हैं.

फिल्मों में अभिनेता सिर्फ संदेशवाहक होता है क्योंकि संदेश तो कहानी लेखक, पटकथा लेखक, निर्माता, निर्देशक द्वारा सम्मिलित बनाया होता है. अभिनेता राजेश खन्ना ने अपनी फिल्मों में एक नायाब संदेशवाहक का काम किया. आज एक के बाद एक संदेशवाहक तोड़मरोड़ कर, विभाजनकारी, अंधविश्वासी संदेश लगातार अपने व्यक्तित्व के सहारे परोस रहे हैं, ऐसे में राजेश खन्ना की जैसी फिल्मों की जरूरत महसूस की जा रही है. उन की फिल्में समाज में सामाजिकता और पारिवारिकता का जो संदेश पहुंचा रही थीं उस का श्रेय उन फिल्मों की कहानी के लेखकों को जितना जाता है उस से ज्यादा तब के सुपरस्टार राजेश खन्ना को ज्यादा जाता है.

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