Bollywood : पहले कलाकार अभिनय को सिर्फ कला से जोड़ कर देखते थे इसलिए उन्हें प्रौपर्टी जोड़ने या अत्यधिक पैसों का लोभ नहीं था. बदलते समय की फिल्मों में कौर्पोरेट के दखल और कलाकारों की पैसा कूटने की भूख ने कला को दोयम बना दिया.

50, 60 और 70 के दशकों में सब से अमीर अभिनेता कौन था? शायद आप दिलीप कुमार, देव आनंद, राज कपूर, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन समेत कई अभिनेताओं के नाम गिना देंगे. लेकिन सच यह नहीं है. सच यह है कि इन तीनों दशकों में सर्वाधिक अमीर कलाकार कौमेडियन भगवान दादा थे. उन्होंने यह धन फिल्मों में अभिनय व फिल्म निर्माण से कमाया था. उन के पास बहुत पैसा था. लेकिन, समय ने उन्हें ऐसा धोखा दिया कि जिंदगी के आखिरी दिन उन्हें मुंबई की एक चाल में किराए पर गुजरबसर करने पड़े.

सब से अहम बात यह है कि भगवान दादा पहले मुंबई की एक कपड़ा मिल में मजदूरी करते थे. 8 साल तक नौकरी करने के बाद 1938 में भगवान दादा ने फिल्मों से जुड़ते हुए अपनी पहली फिल्म ‘बहादुर किसान’ का सहनिर्देशन किया.

1940 के दशक में भगवान दादा को कम बजट वाली फिल्मों की सफलताओं से प्रसिद्धि हासिल हुई, जिस ने उन्हें छोटे शहरों में लोकप्रिय बना दिया. 1942 में भगवान दादा जागृति प्रोडक्शंस के साथसाथ निर्माता भी बन गए. 1951 में राज कपूर ने उन के साथ एक सामाजिक फिल्म ‘अलबेला’ बनाई, जो उस साल की सब से बड़ी हिट फिल्मों में से एक थी. इस फिल्म का गाना ‘शोला जो भड़के...’ आज भी लोग सुनना पसंद करते हैं. इस के बाद भगवान दादा ने ‘झमेला’ (1953) और ‘भागमभाग’ (1956) जैसी ब्लौकबस्टर फिल्में बनाईं.

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