Society : ऐसी घटजाएं असल में यह भर साबित करती हैं कि समाज और देश के हर क्षेत्र में पुरुषों का दबदबा कायम है जिसे चुनौती देने की हर कोशिश धर्मपंथी विफल कर देते हैं क्योंकि सवाल उन की रोजीरोटी का होता है. सनोज मिश्रा दोषी है या नहीं यह अदालत तय करेगी लेकिन महिलाओं ने ऐसा कौन सा गुनाह किया है जो कदमकदम पर उन्हें मर्दों का मोहताज बनाता है. पड़ताल करती एक रिपोर्ट -
बीती 2 अप्रैल को एक वायरल होते वीडियो में मोनालिसा फूट फूट कर रोती नजर आई थी. रोने की वजह बताई गई थी उस के गोड फादर फिल्म डायरेक्टर सनोज मिश्रा की गिरफ्तारी क्योंकि एक पीड़िता रोजी (बदला नाम) ने उस के खिलाफ दुष्कर्म और अबार्शन की रिपोर्ट दर्ज कराइ थी. इस रिपोर्ट की बिना पर दिल्ली पुलिस ने सनोज को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. चूंकि आरोप एक महिला के लगातार यौन शोषण का था इसलिए हाईकोर्ट से भी उसे कोई राहत नहीं मिली.
इस गिरफ्तारी पर तो मोनालिसा को खुश होना चाहिए था कि वह शोषण और कास्टिंग काउच के फंदे से बच गई. उसे तो मीडिया का शुक्रिया अदा करना चाहिए था जिन्होंने गजब की फुर्ती दिखाते सनोज की गिरफ्तारी की खबर उतनी ही तेजी से दिखाई और वायरल की जितनी फुर्ती चुस्ती से कुम्भ के मेले में उस की नीली आखों वाले वीडियो और खबर वायरल किए थे कि एक निहायत ही ख़ूबसूरत झील सी गहरी आखों वाली आदिवासी युवती कुम्भ के मेले में मालाएं बेच रही है.
कुम्भ की गंद, बेतरतीब भीड़ भक्तों की डुबकियों और साधु संन्यासियों की ऊटपटांग हरकतों से ऊबे मीडिया कर्मियों को मोनालिसा की मासूमियत और आंखें इतनी भायी कि वे उस के पीछे कोई 15 दिन पड़े रहे. हरेक छोटेबड़े न्यूज़ चैनल पर मोनालिसा को प्राइम टाइम में भी स्पेस दिया जा रहा था. उस के इंटरव्यू लेने पत्रकार टूटे पड़ रहे थे इस से घर घर में उस की चर्चा होने लगी थी.
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