पुणे के मशहूर न्यूरोलौजिस्ट मातापिता की बेटी राधिका आप्टे ने पहले थिएटर पर हिंदी व अंगरेजी के नाटकों में अभिनय कर शोहरत बटोरी. फिर मराठी, बंगाली व तेलुगु फिल्मों में अभिनय कर उन्होंने ‘गर्ल नैक्स्ट डोर’ की इमेज बनाई.
इस के बाद एकता कपूर की फिल्म ‘शोर इन द सिटी’ में अभिनय किया. फिर डांस की ट्रेनिंग लेने लंदन चली गईं. वहां उन्होंने संगीतकार बेनेडिक्ट टेलर के साथ शादी कर ली.
2 साल बाद मुंबई लौटीं. फिर से बौलीवुड के साथसाथ क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्मों में भी अभिनय करने लगीं.
‘बदलापुर’ और ‘हंटर’ व लघु फिल्म ‘अहल्या’ में अति बोल्ड किरदार निभा कर हर किसी को चौंका दिया. फिर केतन मेहता द्वारा निर्देशित फिल्म ‘मांझी: द माउंटेन मैन’ में बिहार के एक अति पिछड़े गांव की लड़की फाल्गुनी का, तो नीला माधव पंडा की फिल्म ‘कौन कितने पानी में’ में ओडिशा के एक गांव की लड़की पारो का किरदार निभा कर लोगों को चौंकाया. पेश हैं, उन से हुई मुलाकात के कुछ खास अंश:
अपने कैरियर को किस तरह से देखती हैं?
मेरा कैरियर बहुत सही आगे बढ़ रहा है. मैं अपने छोटे से कैरियर में काफी अच्छा काम कर चुकी हूं. मैं ने हमेशा किरदार की अहमियत देखी, लंबाई नहीं. मैं ने हर फिल्म में काम करते हुए बहुत कुछ सीखा. गत वर्ष मेरी 5 हिंदी फिल्मों के अलावा 1 बंगला, 1 मलयालम और 1 तमिल फिल्म रिलीज हुई. 2016 में ‘फोबिया’ के अलावा रजनीकांत के साथ मेरी तमिल फिल्म ‘कबाली’ रिलीज होगी.
पिछले साल रिलीज फिल्मों में से ‘कौन कितने पानी में’ तथा ‘मांझी : द माउंटेन मैन’ को बौक्स औफिस पर उतने दर्शक नहीं मिले जितनी उम्मीद थी
‘मांझी : द माउंटेन मैन’ को देशविदेश हर जगह सराहा गया. इंटरनैशनल फिल्म फैस्टिवल में इसे अवार्ड भी मिले. भारत में थिएटरों में अच्छा रिस्पौंस मिला. फिल्म हिट है. इस की लागत वसूल हो गई है. पर जहां तक फिल्म ‘कौन कितने पानी में’ का सवाल है, तो इसे सफलता नहीं मिली. मैं फिल्म की शूटिंग खत्म होने के बाद उस के बारे में सोचना छोड़ देती हूं. फिल्म की सफलताअसफलता का मुझ पर कोई असर नहीं होता. कई बकवास से बकवास फिल्में भी चल जाती हैं, जबकि कई अच्छी फिल्में नहीं चलतीं.
इसलिए यह कहना बड़ा मुश्किल है कि दर्शक किस फिल्म को क्यों पसंद करेगा जहां यह तय न हो वहां किसी फिल्म की सफलता या असफलता को ले कर बोलना मुश्किल होता है.
आप सैक्स ऐडिक्ट का किरदार निभाना चाहती हैं, तो ऐसा किरदार मिला या नहीं?
मैं ने ऐसा कभी कुछ नहीं कहा. फिल्म ‘हंटर’ के प्रमोशन हो रहे थे. इस फिल्म का हीरो सैक्ट ऐडिक्ट है तो कुछ पत्रकारों ने मुझ से पूछा कि क्या यदि हीरोइन सैक्स ऐडिक्ट होती तो मैं यह फिल्म करती तब मैं ने कहा था कि जरूर करती. पर इस का मतलब यह नहीं है कि मुझे सैक्स ऐडिक्ट के किरदार निभाने हैं.
आप अपनेआप को किस तरह की कलाकार मानती हैं?
मैं इस बारे में कुछ नहीं सोचती, क्योंकि मैं अपनेआप को किसी कैटेगरी में नहीं बांधती हूं. मैं खुद को सिर्फ कलाकार मानती हूं. मुझे काम करना पसंद है और काम करने के लिए ही मैं यहां हूं. अब मैं हौट ऐक्ट्रैस हूं या सैक्सी ऐक्ट्रैस या फिर नैक्स्ट डोर गर्ल वाली ऐक्ट्रैस, यह सोचने का काम फिल्म आलोचकों और दर्शकों का है. बहुत जल्दी दर्शक मुझे फिल्म ‘फोबिया’ में एकदम अलग भूमिका में देखेंगे.
मतलब?
पवन कृपलानी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘फोबिया’ में मैं ने अग्रोफोबिया से पीडि़त लड़की का किरदार निभाया है. भारत में अग्रोफोबिया के बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. लोगों को क्लोस्ट्रोफोबिया या वर्टिगोफोबिया के बारे में पता है. कुछ लोगों को ऊंचाई पर जाने पर चक्कर आने लगते हैं. ऊंचाई पर जाने के बाद नीचे देखने पर डर लगने लगता है. लेकिन जिसे अग्रोफोबिया होता है, उसे 1 मिनट के लिए भी घर से बाहर नहीं निकाला जा सकता. मेरी एक दोस्त को भी अग्रोफोबिया है. वह पिछले 15 वर्षों से घर से नहीं निकली. उसे देख मुझे बड़ी तकलीफ होती है. यदि दबाव डाल कर उसे घर से निकलने पर मजबूर किया जाए, तो उसे पैनिक अटैक आ जाता है.
आप एकसाथ कई भाषाओं की फिल्में कर रही हैं?
जी, हां. बौलीवुड की मैं एकमात्र ऐसी अदाकारा हूं जो हिंदी, मलयालम, मराठी, बंगला, तमिल, तेलुगु, अंगरेजी सहित 7 भाषाओं में अभिनय कर रही है. मैं ने रितेश देशमुख की मराठी भाषा की सुपरडुपर हिट फिल्म ‘लय भारी’ भी की. मैं अंगरेजी भी बहुत अच्छी बोलती हूं. इसी के चलते मैं अंगरेजी भाषा की इंटरनैशनल फिल्म ‘बांबेरियन’ के अलावा हौलीवुड निर्देशक कल पेन की फिल्म ‘आश्रम’ कर रही हूं, जिस में मेरे अलावा सभी अमेरिकन कलाकार हैं. इसे मनाली में फिल्माया जा रहा है.
क्या वजह है कि आप की तमाम फिल्में कई वर्षों से बनी पड़ी हैं पर रिलीज नहीं हो पा रही हैं?
पिछले वर्ष मेरी कई पुरानी फिल्में रिलीज हुईं. मेरी एक फिल्म ‘बांबेरियन’ भी इस साल के अंत तक रिलीज हो जाएगी.
आप की एक फिल्म ‘पार्च्ड’ भी रिलीज नहीं हो पा रही है?
इस फिल्म की कहानी गुजरात की पृष्ठभूमि पर है. बहुत अच्छी फिल्म बनी है. हाल ही में इस फिल्म को अमेरिकन फिल्म फैस्टिवल में पुरस्कार मिला है. इस के अलावा 20 अप्रैल, 2016 को यह फिल्म फ्रांस में रिलीज हुई. बहुत अच्छा रिस्पौंस है. भारत में यह फिल्म कब रिलीज होगी, कुछ कह नहीं सकती.
रजनीकांत के साथ आप की तमिल फिल्म ‘कबाली’ की क्या स्थिति है?
‘कबाली’ रजनी कांत सर के कैरियर की 159वीं फिल्म है, जिस में मैं उन की हीरोइन हूं. यह फिल्म पूरी हो गई है. यह बहुत ही अलग तरह की विषयवस्तु वाली फिल्म है, इस में मैं ने बहुत ही ज्यादा सशक्त और परफौर्मैंस औरिऐंटेड किरदार निभाया है.
भारतीय होते हुए भी आप ने ब्रिटिश संगीतकार बेनेडिक्ट टेलर के साथ शादी की?
मैं मूलतया महाराष्ट्र के पुणे शहर की रहने वाली हूं. पर मेरे मातापिता बहुत ही खुले विचारों के हैं. जब मैं संगीत की उच्च शिक्षा लेने के लिए लंदन गई थी, तब वहां मेरी मुलाकात संगीतकार बेनेडिक्ट टेलर से हुई. मुझे उन से प्यार हो गया. कुछ समय तक हम लिव इन रिलेशनशिप में रहे. फिर शादी कर ली. मेरे मातापिता ने मेरे इस निर्णय पर खुशी ही जाहिर की.
आप की डिस्टैंस मैरिज है. आप भारत में रहती हैं और आप के पति लंदन में. तो आप सब मैनेज कैसे करती हैं. वैवाहिक जीवन को मजबूत बनाए रखने के लिए क्या प्रयास करने पड़ते हैं?
वे भी मुंबई आ कर रहते हैं. मैं भी लंदन जाती रहती हूं. हमें अपने वैवाहिक जीवन को सफल बनाने या मजबूती देने के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ती. जब 2 लोग समझदार हों और अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार तो कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ती. हम दोनों खुशीखुशी अपना रिश्ता चला रहे हैं. मेरी राय में 2 लोगों को अपने रिश्ते में कंफर्टेबल व अच्छा कंपेनियन होना चाहिए.
वूमन ऐंपावरमैंट को ले कर आप की क्या सोच है?
मेरा मानना है कि वूमन ऐंपावरमैंट तब तक सही अर्थों में नहीं हो सकता जब तक लिंग भेद कायम रहेगा. पुरुष व नारी में समानता होनी चाहिए.
क्या फिल्म इंडस्ट्री में वूमन ऐंपावरमैंट को ले कर कुछ काम हो रहा है?
हो रहा है, पर बहुत धीमी गति से.
इस दिशा में आप कोई काम करना चाहती हैं?
मौका मिला, तो जरूर करूंगी.