फिल्म ‘विजयपथ’ से चर्चा में आने वाली अभिनेत्री तब्बू ने कई भाषाओं में फिल्में कीं और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनायीं. वह हमेशा से ही फिल्मों को लेकर चूजी थी और आज भी हैं. उन्हें जब तक कोई कहानी उत्साहित न करें, वह नहीं करती. इससे उनकी फिल्मों की संख्या भले ही कम हो, पर उनकी छाप आज भी दर्शकों के दिल में है. फिर चाहे माचिस, विरासत, अस्तित्व, चांदनी बार या चीनी कम, हैदर आदि फिल्में हो, उसे याद करते हुए वह खुशी का अनुभव करती हैं. समय मिलने पर फिल्मों के अलावा तब्बू डायरी भी लिखती हैं, जिसमें वह अपने ट्रैवल के अनुभव और जीवन के सभी आकर्षक पल के बारें में बताती है. तब्बू फिल्म ‘दे दे प्यार दे’ में एक बार फिर अलग अंदाज में आने की कोशिश की हैं. पेश है उनसे हुई मुलाकात के कुछ अंश.

ये भी पढ़ें: “छोरियां छोरों से कम नही होती” : लैंगिक पूर्वाग्रह पर बेहतरीन फिल्म

इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

इस फिल्म में एक सीरियस सिचुएशन को मजेदार तरीके से दिखाया गया है. ये बहुत ही मुश्किल था. इसमें जिस तरह के रिश्तों को दिखाया गया है वह आज तक पर्दे पर कभी नहीं आई हैं. हर चरित्र को एक अलग अंदाज में पेश किया गया है. सारी कहानी को करने में बहुत मजा आया.

अजय देवगन के साथ एक बार फिर से काम करते हुए आप उनमें ग्रोथ को कितना देखती हैं?

इंसान के तौर पर वें बिल्कुल भी नहीं बदले हैं. उन्हें हर कोई निर्माता निर्देशक अपनी फिल्मों में लेना पसंद करते हैं. उन्होंने हर तरह की फिल्में की हैं. उनमें प्रतिभा बहुत अधिक है. मजेदार से लेकर कौमेडी उन्होंने हर तरह की फिल्मों में अपनी सफल उपस्थिति दर्ज करवाई हैं. उनके साथ काम करते हुए मुझे बहुत अच्छा लगता है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD48USD10
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
 

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD100USD79
 
सब्सक्राइब करें

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं

  • सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
  • देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
  • 7000 से ज्यादा कहानियां
  • समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
  • 24 प्रिंट मैगजीन
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...