बहुमुखी प्रतिभा के धनी इनामुलहक कई सफल सीरियलों व कुछ कौमेडी शो का लेखन करने के बाद फिल्म ‘‘फिल्मिस्तान’’ से बतौर अभिनेता चर्चा में आए. उसके बाद उन्होंने अक्षय कुमार के साथ ‘‘एअरलिफ्ट’’ और ‘‘जौली एलएलबी 2’’ जैसी फिल्में की. अब पहली बार वह जैगम इमाम निर्देशित फिल्म ‘‘नक्काश’’ में हीरो बनकर आ रहे हैं. 31 मई को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘‘नक्काश’’ के लिए ‘‘वाशिंगटन डी सी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’’ में इनामुलहक को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.

प्रस्तुत है उनसे हुई एक्सक्लूसिव बातचीत के अंश

आपने 2009 में पहली फिल्म ‘‘फिराक’’ की थी. उसके बाद आप अभिनय से दूरी बनाकर लेखन में व्यस्त हो गए. 2014 तक लेखन करते रहे. आपको नही लगा कि इस तरह आपने स्वयं अपने अभिनय करियर में रोड़ा डाला?

मुझे ऐसा नहीं लगता. मैं नहीं समझता कि मैने करियर में रोड़ा डालने का प्रयास किया. मैं आपको बताउं कि बौलीवुड की कार्यशैली ही कुछ अलग है. यह एक तय पैटर्न पर चलता है. यहां फिल्मकार एक फिल्म में जिस रूप में आपको देखता हैं, बार बार उसी तरह के किरदार का आफर देता रहता हैं. उसी रूप में आपको खरीदना या आगे बढ़ाना या इस्तेमाल करना चाहता हैं. आपने एकदम सही कहा कि मेरी पहली फिल्म‘फिराक’थी.‘फिराक’ में मेरा किरदार कुछ ऐसा था कि मैं उसमें सपोर्टिंग कास्ट का हिस्सा था.तो उसके बाद मेरे पास सभी उसी तरह के फिलर किस्म के किरदार के ही आफर आए.मैने सैकड़ो आफर ठुकराए. यहां फिल्मकार कभी विज्युअलाइज नही करता कि यह कलाकार किसी अन्य ब्रैकेट यानी किसी अन्य तरह के किरदार में भी फिट हो सकता है. मैं हमेशा उसके विपरीत सोचता हूं. मैं खुद को दोहराने में बिलकुल यकीन नहीं करता. मुझे कुछ अलग तलाश करना पड़ता है. ‘‘फिराक’’ के बाद अच्छे कंटेंट वाली फिल्म व अच्छे किरदार की मेरी तलाश जारी रही.पूरे तीन वर्ष बाद 2012 में ‘‘फिल्मिस्तान’’ बनी. जो कि 2014 में रिलीज हुई.

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