पहला भाग, दृश्य-1
सुबह के 9 बजे थे. टोक्यो स्थित एक जापानी बैंक की शानदार इमारत में कुछ अमेरिकी डालर खरीदने की नीयत से मैं ने प्रवेश किया. उस बैंक की अंदरूनी भव्य साजसज्जा देख कर मैं एक पल को चकरा गया. ऐसा लगा मानो मैं किसी गलत जगह पर आ गया हूं लेकिन जब काउंटरों के पीछे दमकते चेहरों ने एक स्वर में ‘स्वागत है इस बैंक में आप का स्वागत है’ की मधुर स्वर लहरियां छेड़ीं तो लगा कि जगह सही है.
लगभग 2 दर्जन से कम लोगों का स्टाफ था. शायद सभी ने अपनीअपनी कुरसी पर बैठेबैठे ही मेरा स्वागत कर दिया था. तभी एक सज्जन बेहद शालीनता से मेरे पास आए और अपनी कमर व सिर को 900 का कोण बनाने के बाद कुछ बोले.
उन की ओर देख कर मैं ने कहा कि जापान में मैं बिलकुल नया हूं अत: जापानी भाषा का ज्ञान न के बराबर है. मैं ने अंगरेजी में कहा कि मुझे कुछ डालर खरीदने हैं.
मुझे अंगरेजी में बोलता देख कर वह कुछ शर्मिंदा हुए और उन्होंने काउंटर पर बैठी लड़की को कुछ इशारा किया. फिर उस लड़की ने आगे वाले को इशारा किया और इस तरह वह इशारा एक मेज से दूसरी मेज तक सरकता हुआ अपनी मंजिल यानी बिलकुल कोने वाली मेज तक पहुंचा.
मैं ने गौर किया, वह एक खूबसूरत लड़की थी. उस ने तुरंत अपने कंप्यूटर की फाइल बंद की और तेज कदमों से चलती हुई मेरे पास आई और स्वर में मधुरता घोलते हुए बोली, ‘‘व्हाट कैन आई डू फार यू, सर?’’