रेटिंग:साढ़े तीन
निर्माताः भूषण कुमार, किशन कुमार, दिव्या खोसला कुमार, मोनिशा अडवाणी, मधु भोजवानी, जौन अब्राहम,संदप लेजेल
लेखकःरितेश शाह
निर्देशकः निखिल अडवाणी
संगीतकारः रोचक कोहली, तनिष्क बागची, अंकित तवारी
कलाकारः जौन अब्राहम, मृणाल ठाकुर, राजेश शर्मा, रवि किशन, मनीष चैधरी, सोनम अरोड़ा, क्रांति प्रकाश झा, चिराग कटरेजा, नोरा फतेही व अन्य.
अवधिः दो घंटे 27 मिनट
2013 में घटित दिल्ली के बहुचर्चित ‘‘बाटला हाउस इनकांउटर’’ सत्य घटनाक्रम पर निखिल अडवाणी एक्शन व रोमांचक फिल्म ‘‘बाटला हाउस’’ लेकर आए हैं जिसे देश प्रेम के जज्बे को बढ़ाने वाली फिल्म कहा जा सकता है. फिल्म की शुरूआत में ही फिल्मकार ने दावा किया है कि यह फिल्म ‘बाटला हाउस इनकाउंटर’ के मुखिया रहे डीएसपी संजीव कुमार यादव व उनकी पत्नी से प्रेरित है.
कहानीः
फिल्म की कहानी शुरू होती है 13 सिंतबर 2008 को दिल्ली के डीसीपी संजय कुमार यादव (जौन अब्राहम) के घर से जहां उनकी पत्नी व पत्रकार नंदिता यादव (मृणाल कुलकर्णी) नाराज है और वह घर छोड़कर जाना चाहती हैं. नंदिता की शिकायत है कि संजय कुमार घर व उन पर ध्यान देने की बजाय सिर्फ देश के लिए सोचते हैं और पुलिस विभाग की नौकरी को ही समय देते हैं. संजय यादव अपनी पत्नी से कह देते हैं कि वह उन्हें छोड़कर जा सकती है. पर वह अपने देश के लिए काम करते रहेंगे. उसके बाद वह बाटला हाउस के लिए रवाना होते हैं, जहां उनकी टीम पहले से उनका इंतजार कर रही है.
वास्तव में दिल्ली में हुए सीरियल बम धमाकों की जांच के सिलसिले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के अफसर के.के (रवि किशन) और डीएसपी संजय कुमार यादव (जौन अब्राहम) अपनी टीम के साथ बाटला हाउस एल 18 नंबर की इमारत की तीसरी मंजिल पर पहुंचते हैं. वहां पर पुलिस की इंडियन मुजाहिद्दीन के संदिग्ध आतंकियों से मुठभेड़ होती हैं. इस मुठभेड़ में दो संदिग्धों की मौत हो जाती है. एक पुलिस अफसर के घायल होने के साथ साथ पुलिस अफसर की मौत होती है. पर एक संदिग्ध आतंकी आदिल मौके वारदात से भागने में सफल हो जाता है. जबकि पुलिस ताफेल नामक युवा आतंकी को पकड़ने में सफल होती है. इस इनकाउंटर के बाद देश भर में राजनीतिक और आरोप प्रत्यारोपों का माहौल गरमा जाता है. आतंकी आदिली भागकर उत्तर प्रदेश चला जाता है.