निर्देशक नीरज पांडे को अपनी शानदार थ्रिलर फिल्मों के लिए जाना जाता है. इस बार उस ने यह रोमांटिक फिल्म बनाई है लेकिन वह रोमांस और थ्रिलर में उलझ कर रह गया है. फिल्म शुरुआत में एक बढ़िया लवस्टोरी होने की उम्मीद जगाती है. लेकिन फिल्म की धीमी रफ्तार से दर्शक बोर होने लगते हैं. फिल्म के कई दृश्य रिपीट हैं. फिल्म वर्तमान और फ्लैशबैक में झूलती है.

कहानी कृष्णा (अजय देवगन) और वसुधा (तब्बू) की है. यह कहानी 2001 से 2024 के पीरियड में चलती है. दोनों मुंबई की एक चाल में पड़ोसी थे और एकदूसरे से बहुत प्यार करते थे. कृष्णा को कंपनी की ओर से जरमनी जाने का औफर मिला था. दोनों भविष्य के सुनहरे सपने संजोते, इस से पहले कृष्णा का कुछ बदमाशों से झगड़ा हुआ, जो वसुधा को निशाना बनाने आए थे. कृष्णा ने उन बदमाशों में से 2 को मौत के घाट उतार दिया. उसे उम्रकैद की सजा हो गर्ई थी.

अच्छे चालचलन की वजह से कृष्णा की सजा 2 साल कम हो जाती है. जेल से बाहर आने पर उस का सामना वसुधा से होता है. वसुधा अभिजीत (जिमी शेरगिल) से शादी कर चुकी है लेकिन वह कृष्णा को भुला नहीं पाई है.

यहां कहानी में ट्विस्ट आता है. निर्देशक ने फ्लैशबैक में कृष्णा और वसुधा की मस्त लाइफ को दिखाया है. युवा कृष्णा और वसुधा की भूमिका शांतनु माहेश्वरी और सई मांजरेकर ने निभाई है. दोनों की देहभाषा, चेहरे के भाव, चलना, ठिठकना, शरमाना, मुसकाना सहज ही दिखता है, उस में कोई बनावटीपन नहीं.

कृष्णा की कोई फैमिली नहीं है. जेल से निकल कर वह अपनी पुरानी चाल में आता है. वसुधा, जो अब अभिजीत की पत्नी है, उस से मिलने आती है. अब वसुधा पति को सब सच बताती है कि उन 2 बदमाशों की जान कृष्णा ने नहीं ली थी, बल्कि उस ने (वसुधा ने) खुद ली थी. कृष्णा ने सच्चे प्यार का परिचय देते कत्ल का इलजाम अपने सिर ले लिया था.

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