भारतीय सिनेमा इस बात का गवाह है कि सिनेमा या फिल्म की शूटिंग की पृष्ठभूमि पर या उससे जुड़ी कहानी पर बनी फिल्में बाक्स आफिस पर औंधे मुंह गिरती रही हैं. इसी कड़ी में असफलता का नया रिकार्ड गढ़ने वाली फिल्म है-‘‘तेरी भाभी है पगले’’. जी हां! फिल्म का नाम देखकर हास्य की कल्पना करने वाले दर्शकों को यह फिल्म देखकर निराशा के अलावा कुछ भी हासिल नहीं होने वाला. बेसिर पैर की कहानी, बेसिर पैर के घटनाक्रम और अति घटिया तरीके से उठाया गया फिल्म पायरेसी का मुद्दा फिल्म को अति नीरस व उबाउ ही बनाता है.

फिल्म की कहानी देव (रजनीश दुग्गल) से शुरू होती है, जो कि एक टीवी सीरियल में बतौर सहायक निर्देशक काम कर रहा है. इसी सीरियल में उनकी प्रेमिका रागिनी (नाजिया हुसेन) अभिनय कर रही है. सीरियल के चर्चित कलाकार अली खान से झगड़ा हो जाने पर देव को सीरियल से अलग होना पड़ता है. तब वह अपनी कहानी पर फिल्म निर्देशित करना चाहता है. उसे अपने समय के सुपरस्टार रहे राज चोपड़ा (कृष्णा अभिषेक) का साथ मिलता है.

राज चोपड़ा फिल्म का निर्माण करने को तैयार हो जाते हैं. फिल्म के हीरो राज चोपड़ा हैं और नाटकीय तरीके से फिल्म की हीरोईन रागिनी हो जाती है. पर इस फिल्म में पैसा अंडरवर्ल्ड डान अरू (मुकुल देव) का लगा है.

गोवा में शूटिंग के दौरान राज चोपड़ा, रागिनी के साथ रास लीला रचाने का असफल प्रयास करता रहता है. गोवा में बिना पुलिस इजाजत के शूटिंग करने के कारण पुलिस शूटिंग रुकवा देती है, तब मुंबई से भाई अरू को बुलाया जाता है. अरू भी रागिनी पर डोरे डोलने लगता है. अब राज, अरू की पत्नी को फोन करके बुला लेता है. अंत में अरू और उसकी पत्नी (दीपशिखा) कहती है कि रागिनी की शादी देव से होगी और वह रागिनी का कन्यादान करेंगे. फिल्म रिलीज होती है और दूसरे ही दिन फिल्म की पायरेसी हो जाती है. देव आत्महत्या कर लेता है.

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