सत्ता में आने के बाद अपने ढंग से इतिहास लिखाने का काम भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं संघ बड़ी तेजी से कर रहे है सच एक बार फिर खिलाड़ी कुमार अक्षय कुमार की नई फिल्म सम्राट पृथ्वीराज के प्रदर्शन होने के बाद राष्ट्रीय स्वयं संघ के प्रमुख मोहन भागवत और उनकी सेना के प्रदर्शन से सामने आ गया है.

ऐसा लगता है मानो कहीं सत्ता हाथ से निकल गई तो क्या होगा.

कश्मीर फाइल्स के बाद सम्राट पृथ्वीराज  फिल्म पूरी तरह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं संघ के आशीर्वाद से इन दिनों देश भर में सुर्खियां बटोर कर सुपरहिट करवाए जाने की कवायद में है.

मगर किसी भी फिल्म में सबसे पहली चीज होती है नायक का अपने दर्शकों के ऊपर यह प्रभाव की नायक तो वही है. जैसे दर्शकों को मुगले आजम में दिलीप कुमार का सलीम लगना पृथ्वीराज कपूर का बादशाह अकबर  महसूस होना. यहां अक्षय कुमार किसी भी दृष्टि से देश की आवाम के मन मस्तिष्क में बैठे पृथ्वीराज चौहान से कोसों दूर हैं. यह इस फिल्म की सबसे बड़ी खामी है.

दरअसल,चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण, ता उपर सुल्तान है,मत चूको चौहान।

इतिहास के विद्यार्थी के लिए पृथ्वी राज चौहान की क्लाइमेक्स स्टोरी में कवि चंद बरदाइ  की यह पंक्तियां क्या कभी भुलाई जा सकती हैं.

फिर फिल्म में सम्राट पृथ्वीराज चौहान मोहम्मद गौरी की कैद में होते हैं और वहां चंद बरदई बने सोनू सूद  ये लाइनें बोलते हैं. सम्राट का शौर्य देखकर उपस्थित  आवाम भी कह उठती हैं.दिल्ली के बादशाह को सलाम!!. दिल्ली के बादशाह की वीरता को सलाम!!

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