रेटिंगः दो स्टार

निर्माता: प्रकाश झा प्रोडक्शन

निर्देशकः प्रकाश झा

कलाकार: बौबी देओल,चंदन रॉय

सान्याल, दर्शन कुमार, अदिति पोंनकर, त्रिधा चौधरी, अनुप्रिया गोयंका, तुशार पांडेय, ईशा गुप्ता, कनुप्रिया गुप्ता, जहांगीर खान, अध्ययन सुमन, विक्रम कोचर,सचिन श्राफ,परिणीता सेठ, तनमय रंजन व अन्य.

अवधिः लगभग सात घंटे 40 मिनट, दस एपीसोड

37 से 50 मिनट के मिनट के ओटीटी प्लेटफार्म:एम एक्स प्लेअर

हमारे देश में सजयोंगी बाबाओं की कोई कमी नही है, जो कि खुद को जनता के सामने भगवान के रूप में पेशकर उन्हे मूर्ख बनाते रहते हैं. ऐसे ही कई बाबाओं की कहानियों को मिलाकर एक काल्पनिक कथा पर वेब सीरीज ‘‘आश्रम’’ की शुरूआत हुई थी, जिसका पहला और दूसरा सीजन काफी लोकप्रिय हुआ था.उसी वेब सीरीज का अब तीसरा सीजन तीन जून से ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘एम एक्स प्लेअर’’ स्ट्ीम हो रहा है.इस बार इसे ‘‘एक बदनाम आश्रम 3’ नाम दे दिया गया है.

इसे ‘एमएक्स प्लेअर पर मुफ्त में देखा जा सकता है. सीजन दो जहां खत्म हुआ था, वही से सीजन 3 की षुरूआत हुई है.मगर इस बार कहानी में कुछ नए ट्रैक जोड़ने के साथ ही टीवी समाचार चैनलों की भी पोल खोली गयी है.

कहानी:

पहले दो सीजन की संक्षिप्त कहानीः

आश्रम वेब सीरीज की -रु39याुरुआत दलित परिवार की लड़की पम्मी से हुई थी, जो समाज की कुंठा और कुरीतियों के चलते बाबा निराला के दर पर पहुंची थी. शुरूआत में पम्मी को लगा था कि बाबा निराला का धाम दुनिया में इकलौती ऐसी जगह है जहां पिछड़ा, ऊंचा और नीचा कुछ नहीं है. यहां सब कुछ एक समान है. तथा पम्मी को यकीन था कि निराला बाबा की वजह से वह पहलवान के रूप में कई पुरस्कार अर्जित कर लेगी. लेकिन धीरे धीरे पम्मी को पता चलता है कि निराला बाबा भ्रष्ट  ही नहीं बल्कि आश्रम की साधवियों का यौन शोषण भी करता है.

एक दिन निराला बाबा,पम्मी के साथ भी जबरन बलात्कार करतसा है. तब पम्मी (अदिति पोहानकर) ठान लेती है कि वह हवस के पुजारी बाबा की सच्चाई सभी के सामने लाकर रहेगी.दूसरे सीजन में वह पत्रकार अक्की की मदद से आश्रम से भागने में सफल रहती है.

आश्रम 3 की कहानी

तीसरे सीजन की कहानी वहीं से शुरू होती है, जहां दूसरे सीजन की कहानी खत्म हुई थी. अब बाबा निराला का साम्राज्य पिछली बार से भी ज्यादा फैल चुका है. उन्हें भ्रष्ट पुलिस तंत्र भ्रष्ट व राजनेताओं का भरपूर साथ मिल रहा है.अब राज्य के मुख्यमंत्री हुकुम सिंह ने एक पूर्व राजा की हवेली का अधिग्रहण कर उसे काशीपुर वाले बाबा का आश्रम ‘निराला धाम’ बनाकर 999 वर्ष  के लिए लीज पर दे दिया है.सरकार बाबा के इशारे पर नाच रही है, तो स्वाभाविक तौर पर बाबा निराला ज्यादा शक्तिशाली और चतुर बन गए हैं.बाबा निराला और भोपा सिंह ने पाखंड और काली करतूतों से अपना साम्राज्य कई गुना सजा लिया है.

-रु39याहर का बच्चा बच्चा उसकी -हजयूठी आस्था में फंस चुका है.सांस्कृतिक और आस्था की आड़ में बाबा बड़े-बड़े बिजनेसमैन और नेताओं को अपनी मुठ्ठी में ले लेते हैं. तो दूसरी तरफ बाबा निराला के अपने गुंडों के अलावा राज्य सरकार का पुलिस तंत्र पम्मी व अक्की की तलाश में है. एपीसोड दर एपीसोड कहानी में कुछ दूसरी कहानियां भी जुड़ती हैं. मसलन कांट्रैक्टर विपुल दहिया की सोलह व साल की बेटी के साथ निराला बाबा गलत काम करते हैं.

अंततः पूरे परिवार को आत्महत्या करना पड़ता है.उधर हुकुम सिंह का मंत्रिमंडल नही बन पा रहा है, उसके लिए आश्रम ने हर मंत्रालय के लिए अलग अलग रकम की मांग रखी है.बबिता अपनी चालें चल रही है,जिससे वह निराला बाबा के ज्यादा करीब हो जाए, इससे भोपा स्वामी भी परेशान है.निराला बाबा की पत्नी आरम पहुंचकर बेटे को मंत्री बनवाने की बात करती हैं. और चाल चलकर खुद ही मंत्री बन जाती हैं.बाबा से मुख्यमंत्री भी परेशान है. तभी वह अपनी मित्र सोनिया को अमरीका से बुलाते हैं.एक नया खेल षुरू होता है.उजागर सिंह अब आई बी आ गए हैं.वह भी बाबा के खिलाफ लगे हुए हैं.घटनाक्रम कुछ इस तरह बदलते हैं कि दसवें एपीसोड में पम्मी 14 दिन की न्याायिक हिरासत में जेल के अंदर पहुंच जाती हैं.

लेखन व निर्देशनः

तीसरे सीजन में भी कहानी काफी कसी हुई है. यूं तो बाबा के कई कारनामों यानी कि कहानी में दोहराव है,मगर किरदार व प्रस्तुति करण में कुछ नवीनता है. इस बार प्रकाश झा का निर्देशन कमजोर पड़ गया. जिसके चलते कुछ एपीसोड काफी शिथिल हो गए हैं.यदि यह कहा जाए कि पिछले दो सीजन के मुकाबल तीसरा सीजन कुछ नीरस हो गया है,तो गलत नहीं होगा.वह कई बार अतीत के कुछ दृश्य लाकर कहानी में मिर्च मसाला भरने का प्रयास जरुर करते हैं. आस्था, राजनीति-पुलिस की गठजोड़ अभी भी कहानी पर हावी है. इस बार रोमांचक तत्वों का घोर अभाव है. सरकार समर्थित भूमि हड़पने, वनवासियों के विस्थापन से लेकर समाचार चैनलों की भी कलई खोली गयी है.पर इस बार रोमांचक तत्वों का घोरस अभाव है.कई दृश्य बेवजह लंबे खींचे गए हैं. वह ईशा गुप्ता के किरदार सोनिया संग भी ठीक से खेल नहीं पाए. इस बार प्रकाश झा ने बोल्ड और अश्लील दृश्यों से बचने का प्रयास किया है. यूं तो अंतिम एपीसोड में 2023 में चैथे सीजन लाने की बात कही गयी है, मगर प्रकाश झा दोहराव से कैसे बचेंगें? तीसरे सीजन में भी उन्हे दोहराव के साथ कुछ गड़े मुर्दे फिर से उखाड़ने पड़े हैं.वैसे निराला बाबा से सबसे ज्यादा नुकसान तो बबिता को ही पहुंचाया, फिर भी बबिता किस नीयत से आश्रम की सेवा में रत है, कहना मुश्किल है. शायद इसी छोर को पकड़कर प्रकाश झा चौथे सीजन की कहानी गढ़ेंगे.

अभिनयः

निराला बाबा के किरदार में बॉबी देओल व भोपा स्वामी के किरदार में चंदन रॉय सान्याल का अभिनय निखरा हुआ नजर आता है.मगर पम्मी के किरदार में अदिति पोहानकर के हिस्से इस सीजन में करने को कुछ खास आया नही. वैसे भी तीसरे सीजन में महिला किरदार काफी कमजोर हो गए हैं..इस सीजन के कुछ एपीसोड में जब निराला बाबा को फंसने या गिरफ्तार होने का डर सताता है,उस वक्त एक डरपोक इंसान के भावों को भी चेहरे पर लाने में बौबी देओल कामयाब रहे हैं.तो वहीं स्त्री त्रिया चरित्र कर अपनी धाक जमाती जा रही बबिता के किरदार में त्रिधा चैधरी सबसे ज्यादा दिल जीतती हैं. त्रिधा चैधरी के किरदार में अब तक कई शेड्स आ चुके हैं. और हर शेड्स में उनका अभिनय कमाल का है. बबिता के बढ़ते प्रभाव को देखकर निराला बाबा की नजरों में अपना प्रभाव कम होने का डर कई बार भोपा स्वामी के चेहरे पर आते हैं, जिसे उन्होंने बहुत ही बेहतरीन तरीके से निभाया है. लेकिन उजागर सिंह के किरदार में दर्शन कुमार और डाक्टर के किरदार में अनुप्रिया गोयंका इस बार कमाल नहीं दिखा पायीं.

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