राजेश खन्ना की फिल्म ‘‘आनंद ’’ का एंक संवाद है-‘‘यह भी एक दौर है, वह भी एक दौर था.’’ फिल्म में यह संवाद किसी दूसरे संदर्भ में था, मगर यह संवाद अक्षय कुमार पर भी एकदम सटीक बैठता है. 2014 तक धर्म व इतिहास को लेकर अक्षय कुमार की सोच कुछ अलग थी.लेकिन 2014 के बाद वह जितना ‘भाजपा’ के नजदीक आते गए,उनकी सोच व उनके ज्ञान में ऐसा बदलाव हुआ कि अब वह अपनी फिल्म ‘‘सम्राट पृथ्वीराज’’ को बाक्स आफिस पर सफलता दिलाने के लिए एक तरफ काशी में गंगा आरती से लेकर गुजरात के सोमनाथ मंदिर में माथा टेक रहे है. तो वहीं वह अब गलत बयानी कर इतिहास के पाठ्यक्रम पर भी उंगली उठा रहे हैं. वास्तव में ‘बेलबॉटम’ और ‘बच्चन पांडे’ के बाक्स आफिस पर बुरी तरह से असफल होने के बाद अब अक्षय कुमार अपनी फिल्म ‘‘सम्राट पृथ्वीराज’ को सफल बनाने के लिए ‘हिंदु सेटीमेंट’ का सहारा ले रहे है. इतना ही नहीं अब वह भी हिंदू मुस्लिम करने लगे हैं.
जी हां! शुक्रवार, तीन जून को अक्षय कुमार के अभिनय से सजी और डा. चंद्र प्रकाश द्विवेदी निर्देशित व ‘यशराज फिल्मस’ निर्मित ऐतिहासिक फिल्म ‘‘सम्राट पृथ्वीराज ’ प्रदर्शित होने जा रही है. अक्षय कुमार,मानुशी छिल्लर और डां. चंद्रप्रकाश द्विवेदी अपनी इस फिल्म के प्रचार के लिए कई शहरों की यात्रा कर चुके हैं.वह वाराणसी में गंगा स्नान व गंगा आरती करते है तो वहीं सोमनाथ मंदिर जाकर भी आशिर्वाद ग्रहण करते हैं.
यूं तो अक्षय कुमार ने दावा किया है कि वह धर्म नहीं बल्कि कल्चर के लिए काशी व सोमनाथ गए. मगर जिस तरह की तस्वीरें सामने आयी हैं, उन तस्वीरो में डा.चंद्रकाश द्विवेदी और मानुशी छिल्लर के साथ अक्षय कुमार भी पूरी तरह से धर्म में सराबोर ही नजर आ रहे हैं.
यह वही अक्षय कुमार हैं,जिन्होने 28 सितंबर 2012 को प्रदर्शित अपनी फिल्म ‘‘ओह माय गॉड’’ के प्रमोशन के दौरान अक्षय कुमार ने भगवान शिव को दूध चढ़ाने से लेकर कई बातों का जमकर विरोध किया था. उन्होंने अपने बयानों में इन सभी कृत्यों की घोर आलोचना की थी. इस फिल्म में धर्म के नाम पर हो रहे आडंबर का पर्दाफाश किया गया था.पर दौर बदल चुका है. 2014 के बाद अचानक अक्षय कुमार कुछ ज्यादा ही आस्तिक हो गए हैं. अब वह ‘भाजपा’’के ज्यादा नजदीक हो गए हैं.इसलिए अब वह धर्म व हिंदू की भी अलग अंदाज में व्याखाएं करने लगे हैं.
इतिहास को लेकर अक्षय कुमार कर रहे हैं गलत बयानबाजी
इतना ही नहीं अब अक्षय कुमार कुछ ज्यादा ही ज्ञानी हो गए हैं.एक जून 2022 को अक्षय कुमार व डा. चंद्र प्रकाश द्विवेदी ने कई न्यूज चैनलों को इंटरव्यू दिए.एक चैनल को दिए इंटरव्यू में अक्षय कुमार ने कहा-‘‘बदनसीबी से हमारी इतिहास की किताबों में पृथ्वीराज चैहान के बारे में सिर्फ दो या तीन पंक्तियां हैं. हमारे देश पर जिन लोगों ने हमला किया, उन पर तो बहुत कुछ लिखा गया है.मगर हमारी संस्कृति,हमारे महाराजाओं के बारे में कुछ भी नही लिखा गया है.जबकि मुगल आक्रांताओं के बारे में काफी कुछ है. मैं हाथ जोड़कर सरकार से गुजारिष करता हॅूं कि पृथ्वीराज चैहान के बारे में हमारे बच्चों की इतिहास की किताबों में जानकारी डलवाइए.’’
अक्षय कुमार के इस इंटरव्यू के वायरल होते ही वह सोशल मीडिया पर ट्रोल हाने लगे हैं.लोग सवाल कर रहे हैं कि अगर इतिहास की किताबों में पृथ्वीराज चौहान के बारे में जानकारी ही नहीं है तो फिर उन्हें व फिल्म के निर्देशक डा. चंद्र प्रकाश को पृथ्वीराज चैहान के बारे में जानकारी कहां से मिली?
सोशल मीडिया पर एक शख्स अंबर ने लिखा है- ‘‘विदेशी आक्रांता तो आप भी हैं अक्षय पाजी, वह भी विदेशी थे और भारत से धन लूट के ले जाते थे और आप भी भारत से धन लूट कर ‘कनाडा’ ले जाते हैं.’’
वास्तव में अपनी फिल्म ‘‘सम्राट पृथ्वीराज’’ के लिए दर्शक जुटाने की नीयत से अक्षय कुमार ने सारी हदें पार कर दी.हमने तो बचपन में अमर चित्रकथा की मिक्स बुक्स काफी पढ़ी हैं. जिनमें पृथ्वीराज चैहान, शिवाजी सहित लगभग हर हिंदू राजा व मुस्लिम शासक पर कॉमिक्स उपलब्ध है.इतना ही नही एनसीईआरटी की सातवीं कक्षा की किताब में पृथ्वीराज चैहान पर दो तीन पंक्तियां ही नहीं बल्कि पूरा एक अध्याय है. यह चैप्टर नंबर 18 है.
एनसीईआरटी की किताबों में मुगल शासकों का जिक्र तो है, पर मुश्किल से दो तीन चैप्टर ही हैं. एनसीईआरटी की छठी कक्षा की इतिहास की किताब में ग्यारह अध्याय हैं.कक्षा सात में दस अध्याय है,कक्षा आठ में 12 अध्याय हैं.यानी कि कुल तेंतिस अध्याय हैं. इनमें से सिर्फ दो अध्याय मुगल शासकों के बारे में है. यह अध्याय हैं सातवीं कक्षा में अध्याय तीन व चार. इसके बावजूद अक्षय कुमार खोखला दावा करते हैं कि हमारे देश के बच्चों को पृथ्वीराज चैहान नहीं सिर्फ मुगल शासक पढ़ाए जाते हैं. महज अपनी फिल्म बेचने के लिए इस कदर झूठ बोलना कहां तक उचित है??
वास्तव में अक्षय कुमार 2014 के बाद से सिर्फ वही बातें करते है,जिससे ‘भाजपा’ को किसी भी तरह का फायदा पहुंच सके.2014 के पहले अक्षय कुमार ने देशभक्ति वाली फिल्मों में अभिनय नहीं किया, मगर 2014 के बाद ‘बेबी’,‘एअरलिफ्ट’, ‘रूस्तम’, ‘केसरी’,‘मिषन मंगल’जैसी फिल्में कर चुके हैं.
अब ‘सम्राट पृथ्वीराज’ तीन जून को आ रही है.इसके अलावा वह फिल्म ‘राम सेतु’भी कर रहे हैं. अक्षय कुमार और डां. चंद्रप्रकाश द्विवेदी के झूठे दावे अक्षय कुमार और फिल्म लेखक व निर्देषक डां. चंद्र्रप्रकाश द्विवेदी दावा कर रहे हैं कि वह पहली बार देष के अंतिम हिंदू राजा पृथ्वीराज चैहान पर कोई फिल्म या सीरियल नहीं बना. जो कि सबसे बड़ा झूठ हैं.
पृथ्वीराज चैहान पर सबसे पहले 1924 में ‘पृथ्वीराज चौहान’ नामक फिल्म बनी थी.इसके बाद 1962 में पृथ्वीराज चैहान की प्रेम कहानी पर तमिल फिल्मॉ ‘रानी संयुक्ता’ बनी थी,जिसमें एम जी रामचंद्रन ने पृथ्वीराज का पद्मिनी ने संयोगिता का किरदार निभाया है.1959 में फिल्म ‘‘सम्राट पृथ्वीराज चैहान’ बनी थी.इसका निर्देषन हरसुख भट्ट ने किया था.तथा इसमें जयराज, अनीता गुहा ने अभिनय किया था.
इतना ही नही 2006 में एक सीरियल ‘‘धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान’’ बना था, जो कि 12 मई 2006 से 15 मार्च 2009 तक ‘‘स्टार प्लस’’ पर प्रसारित हुआ था. कुल 790 एपीसोड बने थे. इसका निर्माण ‘‘सागर आर्ट्स’’ के बैनर तले रामानंद सागर के पुत्र मोती सागर ने किया था.
इसके अलावा ‘ज्ञान मंथन’, ‘एबीपी न्यूज’ आदि पर 2016 व 2017 में पृथ्वीराज चैहान पर काफी कुछ प्रसारित किया गया. क्या फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ बनाने से पहले डां. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने ठीक से शोधकार्य नहीं किया. यदि उन्होंने शोधकार्य किया होता, तो उन्हें पता होता कि अतीत में पृथ्वीराज चैहान पर कितना काम हुआ है और वह गलत बयानी न करते. पर शायद अक्षय कुमार और डा.चंद्र प्रकाश द्विवेदी इस कहावत में यकीन करते हैं कि- ‘‘प्यार, युद्ध और व्यापार में सब कुछ जायज है. ’वैसे भी अब इन लोगों के लिए सिनेमा, कला नहीं महज व्यापार बनकर रह गया है.
अक्षय कुमार व डा. चंद्रप्रकाश द्विवेदी अपनी फिल्म ‘‘सम्राट पृथ्वीराज’ को देश के गृहमंत्री अमित शाह को दिखाकर उनसे प्रशंसा करवा चुके हैं. दो जून को वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनके मंत्रियों को भी दिखा रहे हैं. तो क्या अब इनकी प्रशंसा से फिल्म के दर्शकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होगी.