पर्किंसन एक गंभीर बीमारी है और इसका सटीक इलाज भी नहीं है. पर्किंसन में इंसान अपनी याद्दाश्त खो देता है और खुद को या दूसरों को पहचानने की क्षमता भी. लेकिन स्कौटलैंड के पर्थ की रहने वाली एक महिला जूली ने अपनी सूंघने की विशेष क्षमता से वैज्ञानिकों को पर्किंसन रोग का पता लगाने और इलाज करने के लिए एक नया टूल दे दिया है. 68 साल की जूली रिटायर्ड नर्स हैं. उन के पति 45 साल की उम्र में पर्किंसन का शिकार हो गए थे. तब जूली ने पति के शरीर से आने वाली एक खास गंध को महसूस किया था.
पति की मृत्यु के 12 साल बाद तक जूली को पता ही नहीं था कि उस में पर्किंसन को सूंघने की क्षमता है. लेकिन कुछ साल पहले वह पर्किंसन से पीडि़त लोगों के एक ग्रुप से मिलीं. इन सभी में उन्होंने वह खास गंध महसूस की, जिसे वह पति के शरीर में महसूस करती थीं.
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जूली ने इस संबंध में पर्किंसन पर शोध कर रहे लोगों से चर्चा की तो उन्होंने जूली की इस क्षमता को जांचने का फैसला किया. इस के लिए उन्होंने दर्जनों पर्किंसन पीडि़त और सामान्य लोगों की शर्टों को सूंघने के लिए जूली को दिया.
शोधकर्ता तब हैरान रह गए जब जूली ने पर्किंसन पीडि़त और सामान्य लोगों की शर्टें अलगअलग कर दीं. उन में एक शर्ट सामान्य युवक की थी, जिसे जूली ने पर्किंसन पीडि़त बताया था. इस के 8 महीने बाद जांच में पता चला कि वह युवक पर्किंसन से पीडि़त है.
रिसर्च में पता चला कि जूली मरीज के सीबम को सूंघने की क्षमता रखती हैं, जो एक तरह से मोम जैसा पदार्थ होता है. यह त्वचा को नम रखने के साथसाथ उस का बचाव भी करता है. विशेषकर माथे और कमर के ऊपरी हिस्से में. इस का अत्यधिक मात्रा में निकलना पर्किंसन का लक्षण है. शोधकर्ताओं ने जूली की मदद से उस खास बायोमार्कर को पहचान लिया.
यूके में पर्किंसन अनुसंधान केंद्र के उपनिदेशक प्रोफेसर डेविड डेक्सटर का कहना है कि जूली की इस शानदार क्षमता से पर्किंसन पीडि़तों के इलाज के लिए एक क्रांतिकारी आविष्कार किया जा रहा है.