19 वीं लोकसभा चुनाव के लंबे उबाऊ चुनाव के बाद अब क्लाइमेक्स का समय आ गया है. मजेदार बात यह है कि बहुत सारी संभावनाओं में सबसे प्रबल संभावना मिली-जुली सरकार के बन रहे हैं. इसमें सबसे बडा पेंच यह है कि क्या गठबंधन में शामिल होने वाले लोग प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी को अपना नेता स्वीकार करेंगे? इसके प्रश्न में ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि भाजपा और एनडीए यानि नेशनल डेमाक्रेटिक एलांयस अगर बहुमत से सत्ता में नहीं आती तो प्रधानमंत्री कौन होगा ?

ये भी पढ़ें : निशाने पर है चुनाव आयोग की निष्पक्षता

सबसे प्रबल संभावनाओं में भाजपा नरेन्द्र मोदी ने नाम की जगह पर कोई और नाम सामने ला सकती है. इसमें सामान्य तौर पर भाजपा नेता नितिन गडकरी और राजनाथ सिंह के नाम की संभावना देखी जा रही है. इस थ्यौरी से अलग लोग यह भी मान रहे हैं कि ऐसी हालत में पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी का नाम सामने लाया जा सकता है. लालकृष्ण आडवाणी के नाम पर विरोधी दल और भाजपा दोनो में आम सहमति बन सकती है.

उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत के नेता भी इस चुनाव के बाद अपने लिये प्रबल संभावनाएं देख रहे हैं. चन्द्र बाबू नायडू और नवीन पटनायक का नाम दौड में शामिल हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बसपा नेता मायावती भी सत्ता की दौड में आगे चल रहे हैं. 23 मई को ही विपक्षी दलों की मीटिंग है. जिसमें मतगणना के बाद के हालातों पर चर्चा होगी. मतगणना के पहले कौन होगा प्रधानमंत्री इस पर चर्चा तेज हो गई है.

ये भी पढ़ें : फर्जी चुनाव सर्वेक्षण और चुनाव आयोग की चुप्पी

चर्चा का मुख्य बिन्दू यह है कि भाजपा में नरेन्द्र मोदी, नहीं तो फिर कौन बनेगा प्रधानमंत्री?  भाजपा के समर्थक मानते हैं कि इस तरह की कोई संभावना ही नहीं है. भाजपा 300 से अधिक सीटे लाएगी और नरेन्द्र मोदी ही प्रधानमंत्री होंगे. दूसरी तरफ कांग्रेस का दावा है कि देश ने नरेन्द्र मोदी को नकार दिया है. 23 के बाद नया नेता देश का प्रधानमंत्री बनेगा. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव बसपा नेता मायावती का नाम आगे बढा रहे हैं. नेताओं से लेकर आम जनता तक के कयास जारी है.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...