Funny Story : ‘ईश्वर की विशेष कृपा से विवाह के 20 साल सफलतापूर्वक गुजर गए,’ उन्होंने बतौर इन्फौर्मेशन, धांसू अचीवमैंट, फांसू फोटो शृंखला के साथ फेसबुक पर गुरिल्ला स्टाइल में घोषणा की, ‘थैंक्स टू ईश्वर.’

यों आप चाहें तो इसे महज सूचना भी मान सकते हैं, धमकी भी और चैलेंज भी. आगे उन्होंने याचना सी करते हुए लिखा, ‘इस मौके पर आप की शुभकामनाओं की दरकार है.’ सूचना दे कर वे लाइक व कमैंट रूप में शुभेच्छाओं का इंतजार करने लगे. शुभेच्छाओं से बल मिलता है. विशेषकर विवाह जैसे मसलों में शुभेच्छाएं शिलाजीत से भी ज्यादा बलवर्द्धक होती हैं.

गौर करने वाली बात यह थी कि उन्होंने 20 साल सफलतापूर्वक कहा. इसे आप व्यंजना में शांतिपूर्वक समझ सकते हैं. गोया एक पिक्चर है, जो 20 वर्षों से चल रही है और पिक्चर अभी बाकी है, मेरे दोस्त.

कई दोस्तों ने हैरत जताई. वौव, 20 साल, इतना लंबा पीरियड. रश्क तो होता है. कुछ हतप्रभ हुए, तो कुछ स्मृतियों में खो गए कि उन के अपने कैसे गुजर रहे हैं. कुछ ने ‘कैसे कटे ये दिन, कैसे कटीं ये रातें…’ गुनगुनाते हुए ठंडी आह भरी. दिन हैं कि गुजरने का नाम नहीं लेते. इस से पता चलता है कि विवाह में ईश्वर की विशेष कृपा की कितनी अहमियत है. थैंक्स टू ईश्वर.ईश्वर अपनी विशेष कृपादृष्टि बनाए रखे, तो 20 क्या, बंदा सात जन्मों तकका रिस्क उठा लेता है. बिन ईश्वर कृपा,7 मिनट ही सात जन्मों के समान लगते हैं. ऐसे में 20 साल गुजरना अपनेआप में बड़ी परिघटना है. बिग अचीवमैंट है. स्तुत्य है. प्रशंसनीय है. ओलिंपिकनुमा कारनामा है. इस से तो गठबंधन की सरकार चलाना कहीं आसान है, सिर्फ तुष्टीकरण से चल जाती है. शादीशुदा जिंदगी सतत संतुष्टिकरण तक से सफलतापूर्वक नहीं चलती. इसलिए ऐसे मसलों में आदमी स्वयं पर कतई भरोसा नहीं करता. अपने बूते चला ले जाने का कोई मुगालता नहीं पालता.

हालांकि, विवाहपूर्व बड़ा जोश रहता है, दौड़ा ले जाने का. फिर धीरेधीरे दिन गुजरते हैं, विश्वास के आईने पर जमी धूल छंटती है, सबकुछ ईश्वर पर छूटता जाता है.

मैं ने इधरउधर खूब खंगाला. मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं मिला जिसे खुद पर भरोसा हो, जिस ने कहा हो कि हमारे प्यार, सहयोग, समर्पण के बल पर विवाह के 20 साल गुजर गए. इस के पीछे कारण शायद यह हो कि ईश्वर पर छोड़ देने से किसी पक्ष को एतराज नहीं होता. वरना एक के श्रेय ले लेने पर दूसरा पक्ष चैलेंज कर सकता है, समर्थनवापसी का ऐलान कर सकता है. चलती सरकार को अल्पमत में ला कर पटखनी दे सकता है.

एक मित्र हैं, जिन्होंने परसों फेसबुक पर लिखा- ‘पता ही नहीं चला, विवाह के 25 साल कैसे गुजर गए.’ इस में ऐसा ध्वनित हो रहा था कि उन्हें ये साल गुजरने की कतई उम्मीद नहीं थी और अब वे खुद यह कल्पना कर हैरान हो रहे हैं कि हा, हू, हाय, उफ, अहा, हुर्रे. आखिर गुजर कैसे गए.

एक मित्र तो हर साल मैरिज एनिवर्सरी पर लिखते हैं- ‘जैसे कल ही की बात हो.’ उन का समझ आता है. हादसों को कौन भूल सकता है, भला. कल के से ही लगते हैं. वह तारीख, वह दिन, वह घटना उन के दिमाग में इस कदर फ्रीज हो गई है कि उस के बाद का उन्हें याद ही नहीं. उन्हें रहरह कर लगता रहता है जैसे कल की ही बात है.

कुछकुछ लोगों के दिमाग के पट पर उन की शादी होने की घटना घंटे की तरह टकराती रहती है. अनुगूंज आती रहती है-जैसे कल की ही बात है. सही भी है, जिस से आज प्रभावित हो रहा हो, उस कल को कौन भूल सकता है.

पिछले हफ्ते एक मित्र ने मैरिज एनिवर्सरी पर रात 12 बजते ही तूफानी अंदाज में फेसबुक पर दनादन कई तसवीरें अपलोड कर डालीं. या तो उत्साह का अतिरेक था, या फिर एक और साल गुजर जाने की बेतहाशा खुशी कि उन्हें सुबह तक का भी इंतजार नहीं हुआ. मुमकिन है, इस के पीछे शायद यह धारणा भी हो कि विवाह के बाद वह सुबह कभी आती ही नहीं, जिस का इंतजार रहता है, इसलिए जब मानो, तभी सवेरा. आधी रात को सुबह मानने की उलटबांसी वैवाहिक जीवन में ही संभव है. खैर, सिलसिलेवार डाली गई तसवीरों का कुल सार यह था कि शादी के बाद इस बंदे से सुखी व्यक्ति संसार में दूसरा कोई नहीं.

मैं ने चकित होते हुए शुभकामना देने के लिए फोन किया. उन की कौलर ट्यून ‘सुन रहा है तू, रो रहा हूं मैं…’ सुन कर चौंक गया. फोन उठाते ही मैं ने कहा, भई, सुन तो रहा हूं मैं, लेकिन तुम्हें रोते हुए कभी देखा नहीं. वह एकदम रोंआसा सा हो गया, जैसे दुखती नस पर मैं ने हाथ रख दिया हो, वह बोला, आप जैसे मित्रों से ही उम्मीद रहती है कि कम से कम वे तो सुन ही लेंगे. वैसे भी, विवाह लोकल एनेस्थेसिया की तरह होता है, सुन्न में गुजर जाता है. होश आया और जोश गया.

मैं ने दिलासा देने के अंदाज में कहा, ‘सही कह रहे हो, भाई. खुशफहमी में साल गुजर जाते हैं. इसीलिए समझदार कहते हैं, खुशफहमी सफल वैवाहिक जीवन का आधार है.’

वह ‘हूंहूं’ करता रहा.

उन्हें एक बार फिर सांत्वनात्मक बधाई देने के बाद फोन काट कर मैं खुशफहमी पालने लगा, ताकि मेरे अपने आधार को मजबूती मिल सके.

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