भोजपुरी फिल्मों और मौडलिंग में एकसाथ अपनी पहचान बनाने वाली पूनम दुबे उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद की रहने वाली हैं. साल 2009 में उन को ‘मिस इलाहाबाद’ चुना गया था. इस के बाद पूनम ने ऐक्टिंग में अपना कैरियर बनाने का मन बना लिया. उन की मां ने पूनम को पूरा सहयोग दिया.

साल 2013 में पूनम दुबे की पहली फिल्म ‘गरदा’ रिलीज हुई. इस के बाद ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’, ‘जो जीता वही सिकंदर’, ‘अदालत’, ‘बलमा बिहार वाला’, ‘कट्टा तनल दुपट्टा’, ‘बहूरानी’, ‘दीवाना-पार्ट 2’, ‘दिल तेरा आशिक’, ‘काट के रख देब’, ‘इंतकाम’, ‘रंगदारी टैक्स’, ‘इच्छाधारी नागिन’, ‘चना जोर गरम’ उन की खास फिल्में रहीं. आने वाली फिल्मों में ‘रंगीला’, ‘लुटेरे’, ‘घात’, ‘सनम’ और ‘सौगात’ रिलीज होने को तैयार हैं.

पूनम दुबे ने फिल्मों में आइटम डांस से ले कर लीड हीरोइन तक हर तरह के रोल किए हैं. भोजपुरी फिल्मों की दुनिया में उन को ‘हौट बेबी’ के नाम से जाना जाता है.

पेश हैं, पूनम दुबे के साथ हुई बातचीत के खास अंश:

आप ने 2 फिल्मों में नागिन का रोल किया है. कैसा अनुभव रहा?

नागिन का किरदार करना चुनौती भरा काम था. इस की वजह यह है कि नागिन का किरदार अलगअलग समय में बहुत बड़ीबड़ी हीरोइनें निभा चुकी हैं. मुझे अपने काम से यह साबित करना था कि नागिन का किरदार मैं भी कर सकती हूं.

फिल्म ‘इच्छाधारी नागिन’ में मेरे किरदार को पसंद किया गया. इस के बाद फिल्म ‘चना जोर गरम’ में भी वही किरदार मुझे करना पड़ा. इस में मुझे नाग के साथ कुछ सीन शूट करने थे. तब मैं ने सोचा कि क्यों न असली नाग लिया जाए. मेरी बात और लोगों की समझ में आई. असली नाग लाया गया. उस के साथ मैं ने बहुत डरतेडरते अपने सीन शूट किए. सीन शूट होने के बाद एक रोमांचक सा अनुभव हुआ.

भोजपुरी फिल्मों की ‘हौट बेबी’ टाइटल सुन कर कैसा लगता है?

यह सुन कर मुझे अच्छा लगता है. इस के लिए मैं अलग से कोशिश नहीं करती. मेरा बदन ही ऐसा है, जिस की वजह से मुझे ‘हौट बेबी’ कहा जाता है. मैं लंबी दिखती हूं, जिस से थोड़ा सा भी ऐक्सपोज करते ही हौट दिखने लगती हूं. कई हीरोइनें तो ऐसी हैं, जो मुझ से कम कपड़े पहनने के बाद भी मासूम दिखती हैं. मैं हर तरह के रोल करती हूं. मेरे आइटम डांस काफी मशहूर रहे हैं. आइटम डांस बेहूदा नहीं, बल्कि चटपटे होते हैं. जिस तरह से चटपटा खाना स्वाद को बढ़ा देता है, वैसे ही आइटम डांस भी दर्शकों को मनोरंजन से भर देते हैं.

क्या भोजपुरी फिल्मों में ज्यादा बदन दिखाना पड़ता है?

अब ऐसी बात नहीं है. भोजपुरी फिल्में भी सुधर रही हैं. अब वे पहले से ज्यादा साफसुथरी बनने लगी हैं, जिस से पूरा परिवार साथ बैठ कर इन फिल्मों को देखने लगा है. केवल बदन दिखा कर न तो कोई फिल्म चल सकती है और न ही हीरोइन.

भोजपुरी फिल्मों पर ही ऐसे आरोप क्यों लगते हैं?

बदन दिखाने से ज्यादा अहम यह होता है कि उस को कैसे दिखाया जाता है. कई फिल्मों में हीरोइन के बदन को बहुत ज्यादा दिखाया जाता है, पर उन के दिखाने का तरीका ऐसा होता है कि वह बुरा नहीं लगता.

अब भोजपुरी फिल्मों के कैमरामैन इतनी अच्छी तरह से फिल्म शूट करने लगे हैं कि बदन दिखाना कहानी का ही हिस्सा लगता है. भोजपुरी फिल्मों का दर्शक केवल मनोरंजन के लिए फिल्में देखता है. उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल, मुंबई और पंजाब में ये फिल्में खूब चलती हैं.

क्या आप ने अपने कैरियर में ज्यादा जद्दोजेहद नहीं की है?

ऐसा बिलकुल नहीं है. मुझे भी बहुत जद्दोजेहद करनी पड़ी. फिल्मों के पहले मैं ने विज्ञापन की शूटिंग की, जिस से मैं अपना खर्च चलाती थी. आज भी मैं फिल्मों से ज्यादा मौडलिंग करती हूं.  कुछ समय मैं मुंबई में अकेली रही. इस के बाद मैं ने अपनी मम्मी और भाई को यहां बुला लिया.

शुरुआत मैं ने फिल्मों में आइटम डांस और साइड रोल से की. अब मैं मेन लीड में काम कर रही हूं. मैं साल में 2 से 4 अच्छी फिल्में करना चाहती हूं. रोल पाने के लिए मैं किसी के पीछे नहीं भागती.

अपने फिगर को आप कैसे बनाए रखती हैं?

मैं शाकाहारी हूं और चावल मेरा पसंदीदा खाना है. इसे मैं हर रूप में खाना पसंद करती हूं. इस को खाने के लिए मैं ज्यादा ऐक्सरसाइज करती हूं. चाट, कुलफी और रबड़ी खाना भी मुझे बेहद पसंद है. दहीजलेबी जैसा स्वाद किसी और में नहीं मिलता है.

अपने खाने के शौक को पूरा करने के लिए मुझे ज्यादा से ज्यादा ऐक्सरसाइज करनी होती है, ताकि मेरा वजन न बढ़ जाए.

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