आजकल फसल की सुरक्षा को ले कर किसान परेशान हैं, क्योंकि बाजार में मौजूद तमाम कीटनाशक फसल को कीड़ों से बचाने में नाकाम हो रहे हैं. इस का ताजा उदाहरण देश भर में बीटी काटन (नरमा) की तबाही है. किसानों की नरमा फसल बरबाद हो चुकी है. इस में इस्तेमाल किए गए कीटनाशक बेअसर रहे हैं. बीटी काटन बीज की खासीयत होती है कि इस में कीट नहीं लगते हैं और यह सामान्य कपास की फसल से ढाई गुना अधिक पैदावार देती है. लेकिन बीज बनाने वाली विदेशी कंपनियों के सारे दावे धरे रह गए. सफेद मक्खी ने कपास पर जम कर कहर बरपाया और किसानों को लाखों रुपए का नुकसान झेलना पड़ा. सफेद मक्खी का खरीफ की फसलों पर सब से ज्यादा हमला होता है. यह मक्खी कपास की सब से बड़ी दुश्मन होती है. यह बरसात के मौसम में सब से ज्यादा पनपती है. कपास के हर पत्ते पर 30 से ज्यादा मक्खियां बैठती हैं. हर मक्खी 100 से ज्यादा अंडे देती है. इस मक्खी का चक्र 30 से 35 दिनों का होता है. इस साल सफेद मक्खी ने करीब 4200 करोड़ रुपए की कपास की फसल को बरबाद किया है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों से मन की बात करते हैं, लेकिन किसानों के मन की बात सुनने वाला कोई नहीं है. हरियाणा, पंजाब और महाराष्ट्र देश के ऐसे राज्य हैं, जहां कपास की बंपर पैदावार होती है, लेकिन इस साल सफेद मक्खी के प्रकोप से कपास की फसल बरबाद हो गई है. किसानों की हालत बदतर हो रही है. हालांकि इस बारे में प्रदेश सरकारों का कहना है कि किसानों को उन के हुए नुकसान की भरपाई मुआवजा दे कर की जा रही है. सरकार का किसानों को मुआवजा देने का मापदंड और तरीका क्या है, यह किसी से छिपा नहीं है. पिछले दिनों गेहूं की फसल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार ने 50-50 रुपए तक के चेक किसानों को दिए थे, जिस पर देश भर में खूब होहल्ला हुआ था. जिन किसानों को मुआवजे की रकम कुछ ठीकठाक मिली भी, तो उन्हें दलालों व पटवारियों को चढ़ावा भी चढ़ाना पड़ा था. यह एक कड़वी हकीकत है, इसलिए किसानों को सरकार का मुंह न ताक कर खुद पर भरोसा करना होगा और प्रगतिशील बनना होगा.
लगाएं फसल रक्षक फसलें
फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों से बचाने के लिए किसान फसल रक्षक फसलें उगा सकते हैं, जो एक खास समय के दौरान कीटों को अपनी ओर खींच कर खास फसल को अनेक कीटों से बचाती हैं. इन फसलों को मुख्य फसल के बीचबीच में कहींकहीं लाइनों में लगाया जाता है या मुख्य फसल के चारों ओर बाड़ की तरह लगाया जाता है.
ऐसी फसल का फायदा
ऐसी फसलें किसान की मुख्य फसल की गुणवत्ता व पैदावार को बनाए रखती हैं और साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य और आबोहवा को भी ठीक रखती हैं. ये फसलें मित्र कीटों को आकर्षित करती हैं और हानिकारक कीटों के प्रकोप से मुख्य फसल को सुरक्षा देती हैं, जिस से मुख्य फसल को फायदा मिलता है. ऐसी फसलें लगाने पर किसानों को कीटनाशकों का इस्तेमाल कम ही करना पड़ता है. कीट आकर्षित करने वाली पारंपरिक फसलें : ऐसी रक्षक फसलों को मुख्य फसल के आगे लगाया जाता है, जिस से रक्षक फसलें मुख्य फसल के मुकाबले ज्यादा कीटों को भोजन व अंडे देने के लिए आकर्षित करती हैं. गतिरोधी फसलें : इस प्रकार की रक्षक फसलें कीटों को अपनी ओर खींचने वाली होती हैं. लेकिन इन का फायदा ज्यादा लंबे समय तक नहीं रहता है.
आनुवंशिक परिवर्तित फसलें : इस तरह की रक्षक फसलें आनुवंशिक रूप से परिवर्तित रहती हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को आकर्षित करती हैं.
बाड़ वाली फसलें : ऐसीरक्षक फसलों को मुख्य फसल के चारों ओर बाड़ के रूप में लगाया जाता है, जैसे कपास के चारों ओर भिंडी की बाड़ लगा सकते हैं. इस में कपास मुख्य फसल और भिंडी रक्षक फसल है.
अनेक फसलें : इस के तहत रक्षक फसलों की विभिन्न प्रजातियों को कीटों को अपनी ओर खींचने के लिए मुख्य फसल के साथ लगाया जाता है.
कीट आकर्षित करने वाली रक्षक फसलों को लगाने का तरीका :
* गोभी की फसल में कीट रोकथाम के लिए गोभी फसल की 25 लाइनों के बाद 2 लाइनों में सरसों लगाई जाती है.
* कपास की इल्ली/सफेद मक्खी की रोकथाम के लिए लोबिया को कपास की 5 कतारों के बाद 1 कतार में लगाया जाता है या तंबाकू को कपास की 20 कतारों के बाद 2 कतारों में लगाया जाता है.
* टमाटर की फसल को फल छेदक/निमेटोड से बचाने के लिए अफ्रीकन गेंदे को टमाटर की 14 लाइनों के बाद 2 लाइन में लगाएं.
* बैगन में तनाछेदक व फलछेदक की रोकथाम के लिए धनिया या मेथी को बैगन की 2 लाइनों के बाद 1 लाइन में लगाया जाता है.
* चने में इल्ली की रोकथाम के लिए धनिया या गेंदे को चने की 4 लाइनों के बाद 1 लाइन में लगाया जाता है.
* अरहर में इल्ली की रोकथाम के लिए गेंदे को अरहर के चारों तरफ बार्डर के रूप में लगाया जाता है.
* सोयाबीन में तंबाकू की इल्ली की रोकथाम के लिए सूरजमुखी या अरंडी को सोयाबीन के चारों तरफ बार्डर के रूप में लगाया जाता है.
किसानों को फसल में हानि पहुंचाने वाले कीटों की पहचान होनी चाहिए और फसल की नियमित रूप से देखभाल करनी चाहिए. अगर फसलरक्षक फसल लगाने के बाद भी मुख्य फसल में कीटों का प्रकोप बढ़ने की संभावना हो तो कीटनाशी का छिड़काव भी करना चाहिए साथ ही नजदीकी कृषि माहिरों से सलाह लेनी चाहिए
जागरूक रहें
* किसान अपनी फसल में 10-15 दिनों के अंतराल पर मुनासिब कीटनाशक का छिड़काव करें, लेकिन कई कीटनाशक मिला कर न छिड़कें.
* फसल की ऊपरी सतह तक ही छिड़काव न करें, बल्कि नीचे पौधों की जड़ों तक सही तरीके से छिड़काव करें.
* कीटनाशक छिड़कते समय पूरे बदन के कपड़े पहनें और मुंह पर कपड़ा या मास्क लगा कर छिड़काव करें.
इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए किसान काल सेंटर के टोल फ्री नंबर 18001801551 पर पूछताछ कर सकते हैं. इस नंबर पर लैंडलाइन व मोबाइल फोन से सुबह 6 बजे से ले कर रात 10 बजे तक जानकारी ले सकते हैं. देश भर में अलगअलग भाषाओं में 25 स्थानों पर किसान काल सेंटर बनाए गए हैं.