क्रिकेट में रोज ही रिकार्ड बनते हैं और टूटते हैं, लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसे रिकार्ड बन जाते हैं जो हमारे जहन में बस जाते हैं. इन रिकार्ड्स को भुला पाना मुश्किल हो जाता है. क्रिकेट इतिहास में आज से 121 साल पहले एक भारतीय दिग्गज द्वारा एक ऐसा ही रिकार्ड कायम किया गया था. जानें आखिर क्या था वह रिकार्ड.

रणजीत सिंह क्रिकेट जगत का एक जाना माना नाम है. रणजीत को भारतीय क्रिकेट का जन्म दाता माना जाता है. भारत के महान क्रिकेटरों में शुमार रणजीत सिंह के नाम एक अद्भुत कीर्तिमान है.

अंग्रेजों की तरफ से खेलने वाले इस भारतीय दिग्गज ने आज से 121 साल पहले आज ही के दिन (22 अगस्त, 1896) क्रिकेट के खेल में इतिहास रचा था. दरअसल, उन्होंने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में एक ही दिन दो शतक लगाने का करनामा किया था.

इस मैच से एक महीने पहले ही रणजीत ने इंग्लैंड की ओर से टेस्ट (जुलाई 1896) में पदार्पण करते हुए नाबाद 154 रन बनाए थे और उसी फार्म को जारी रखते हुए इंग्लैंड के शहर होव में ससेक्स की ओर से खेलते हुए यौर्कशायर के खिलाफ एक ही दिन में दो शतकीय (100 और नाबाद 125 रन) पारियां खेली थीं.

ससेक्स की ओर से खेलते हुए किया था कारनामा

यौर्कशायर ने पहले खेलते हुए अपनी पहली पारी 407 रन बनाए. जवाब में ससेक्स की टीम तीसरे दिन रणजीत सिंजी के शतक (100 रन) के बावजूद 191 रनों पर सिमट गई और फालोआन नहीं बचा पाई. इसके बाद फालोआन पारी में एक बार फिर रणजीत सिंह ने नाबाद 125 रन बना डाले और एक ही दिन दो शतक लगाने का करिश्मा कर दिखाया. रणजीत सिंह के शतक की बदौलत ससेक्स ने 2 विकेट के नुकसान पर 260 रन बना मैच बचा लिया.

इसके साथ ही रणजीत एक ही मैच में दो शतक लगाने वाले ससेक्स के तीसरे बल्लेबाज बनें. इसके साथ ही वह फर्स्ट क्लास क्रिकेट में एक ही दिन दो शतक जमाने वाले एकमात्र क्रिकेटर बनें.

आज भी कायम है यह रिकार्ड

रणजीत सिंह के बाद किसी बल्लेबाज ने प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ऐसा कारनामा नहीं किया है. हालांकि वेस्टर्न आस्ट्रेलिया की ओर से खेलते हुए मैथ्यू एलियट ने 31 दिसंबर 1995 को 104 रन और उसके बाद फालोआन पारी में 135 रन बनाए थे. तब एलियट ने पहली पारी में एक दिन पहले 98 रन बनाकर नाबाद रहे थे. इस वजह से एलियट के शतकों की तुलना रणजीत सिंह से नहीं की जा सकती.

टेनिस खिलाड़ी बनना चाहते थे रणजीत

बचपन में रणजीत की क्रिकेट के प्रति कोई रूचि नहीं थी, बल्कि वह एक टेनिस खिलाड़ी बनना चाहते थे. लेकिन पढ़ाई करने के लिए जब वह इंग्लैंड गए तो क्रिकेट के प्रति उनका प्यार बढ़ता गया. उस वक्त इंग्लैंड में टेनिस से ज्यादा क्रिकेट खेला जा रहा था.

इंग्लैंड में क्रिकेट के प्रति लोगों का प्यार देखते हुए रणजीत ने खुद एक क्रिकेट खिलाड़ी बनना चाहा. उस वक्त इंग्लैंड में ससेक्स क्लब काफी नामी क्लब था. ग्रेजुएशन के बाद रणजीत ने ससेक्स के लिए क्रिकेट खेलना शुरू किया और अच्छा प्रदर्शन करने लगे.

रणजीत सिंह का करियर

प्रथम श्रेणी क्रिकेट में रणजीत का काफी अच्छा रिकार्ड है. रणजीत ने 307 प्रथम श्रेणी मैच खेलते हुए करीब 56 के औसत से 24692 रन बनाए, जिसमें 72 शतक और 109 अर्धशतक शामिल है. रणजीत ने ससेक्स के लिए चार साल तक कप्तानी भी की.

रणजीत ने आस्‍ट्रेलिया के खिलाफ इंग्‍लैंड की तरफ से 15 टेस्‍ट खेले, भारत के लिए कभी कोई मैच नहीं खेला. वे भारत के पहले क्रिकेट खिलाड़ी थे, जिन्होंने इंग्लैंड की तरफ से अपना क्रिकेट करियर शुरू किया. उस वक्त भारत में अंग्रेजों का शासन था और रणजीत का इंग्लैंड टीम में चयन हुआ था. रणजीत के इंग्लैंड टीम में चयन को लेकर काफी विवाद भी हुआ.

जब 1896 में रणजीत का इंग्लैंड की टीम में चयन हुआ तब लार्ड हारिस इस चयन के खिलाफ थे. उनका कहना था कि रणजीत का जन्म इंग्लैंड में नहीं बल्कि भारत में हुआ है, तो इंग्लैंड टीम में उनका चयन नहीं होनी चाहिए.

पहले भारतीय के रूप में इंग्लैंड टीम में चयन

इन सब विवादों के बाद भी आस्ट्रेलिया के खिलाफ रणजीत का चयन हुआ. आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए पहले टेस्ट मैच में रणजीत को मौका नहीं मिला था. लेकिन मैंचेस्टर में खेले गए दूसरे टेस्ट मैच में रणजीत को मौका मिला. अपने करियर के पहले ही मैच में रणजीत ने शानदार प्रदर्शन किया. आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी पहली पारी में रणजीत ने इंग्लैंड की तरफ से 62 रन बनाए. दूसरे पारी में भी रणजीत ने शानदार प्रदर्शन किया, जहां इंग्लैंड के दूसरे बल्लेबाज एक के बाद एक पवेलियन लौट रहे थे, वहीं रणजीत ने एक छोर संभाल रखा था.

अपने पहले मैच में बनाए कई रिकर्ड

अपने पहले मैच में 23 चौकों की मदद से 154* रन बनाए और दुनिया के पहले खिलाड़ी बन गए जिन्हें अपने पहले टेस्ट मैच में पहली पारी में अर्धशतक और दूसरे पारी में शतक बनाने का गौरव हासिल हुआ. सिर्फ इतना ही नहीं रणजीत टेस्ट क्रिकेट के पहले खिलाड़ी थे, जो अपने करियर के पहले टेस्ट मैच में शतक ठोकते हुए नाट आउट रहे. अगर अपने पहले मैच में शतक मारने की बात की जाए तो यह रिकार्ड विल्लम ग्रेस के नाम है. ग्रेस ने पहले खिलाड़ी के रूप में अपने करियर का पहले टेस्ट मैच में शतक ठोकते हुए रिकार्ड कायम किया था, लेकिन इस मैच में ग्रेस 152 रन बनाकर आउट हो गए थे. रणजीत पहले खिलाड़ी थे जिन्होंने मैंचेस्टर के ओल्ड ट्रेफ्फोर्ड मैदान पर 150 से भी ज्यादा रन बनाए.

रणजीत सिंह के नाम से शुरू हुई रणजी ट्राफी

रणजीत ने अपने क्रिकेट करियर का पहला और आखिर मैच आस्ट्रेलिया के खिलाफ और मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रेफ्फोर्ड मैदान पर खेला. आखिरी मैच में रणजीत कुछ खास नहीं कर पाए. इस मैच में रणजीत कुल मिलाकर सिर्फ छह रन बना पाए थे.

1904 में रणजीत भारत वापस आ गए. रणजीत का क्रिकेट के प्रति इतना प्यार था कि 48 साल के उम्र में वह प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलना चाहते थे. 1907 में रणजीत नवानगर के महाराजा बने. वह एक अच्छे क्रिकेटर के तरह वह एक अच्छे ऐडमिनिस्ट्रेटर भी थे.

1934 में रणजीत के नाम पर भारत ने रणजी ट्राफी शुरू हुई. रणजीत भारत के पहले क्रिकेट खिलाड़ी थे, जिन्हें अंतराष्ट्रीय मैचों में मौका मिला था.

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