होली पर रंगों से खेलना पुरानी परंपरा है. मगर अब रंगों का रूप बदल गया है. जहां पहले अबीर, गुलाल, टेसू, केसर आदि रंगों से होली खेली जाती थी वहीं आज पेंट मिले पक्के रंगों से खेली जाती है. ये रंग शारीरिक व मानसिक नजरिए से तो पीड़ादायक होते ही हैं, सौंदर्य की दृष्टि से भी कम नुकसानदायक नहीं होते. होली अकसर 2 तरह के रंगों से खेली जाती है-सूखे रंगों से व गीले रंगों से. सूखे रंग त्वचा को उतना नुकसान नहीं पहुंचाते जितने गीले रंग पहुंचाते हैं. मगर आजकल सूखे रंग भी ऐसे मिलावटी पदार्थों से बनाए जाते हैं जो यदि त्वचा पर ज्यादा देर तक लगे रहें तो त्वचा फट जाती है. स्थायी या अस्थायी तौर पर लाल चकत्ते भी उभर सकते हैं.

रंगों का सीधा प्रभाव

सूखे रंगों में अधिकतर गुलाल का प्रयोग होता है. यदि आप ध्यान से देखें तो आप उस में एक चमकीला सा पदार्थ पाएंगे. वह अभ्रक होता है जो बहुत खुरदरा होता है. विभिन्न रंगों में रंगा गुलाल भी चूना, रेत व राख जैसी सस्ती चीजों से बनाया जाता है. इस प्रकार का मिलावटी व घटिया गुलाल यदि ज्यादा देर तक त्वचा व बालों में लगा रहे तो कुप्रभाव डालता है. ऐसे गुलाल को यदि कोई रगड़ कर त्वचा पर लगा दे तो त्वचा छिल भी सकती है. इसलिए त्वचा के बचाव के लिए आप होली खेलने से पहले पूरे शरीर पर वैसलीन या कोल्डक्रीम लगा लें. इस से आप की त्वचा पर रंगों का सीधा प्रभाव नहीं पडे़गा, बल्कि त्वचा इतनी कोमल हो जाएगी कि खुरदरे व पक्के रंग भी त्वचा पर जलन व खुश्की पैदा नहीं करेंगे. हां, कोशिश यह करें कि जैसे ही कोई आप पर सूखा रंग डाले उसे तुरंत त्वचा व बालों से झाड़ दें. यदि आप की त्वचा संवेदनशील हो तो उसे तुरंत ठंडे पानी से धो लें.

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जब उतारना हो रंग

बालों पर भी रंगों का दुष्प्रभाव न पड़े, इसलिए रात को ही बालों में कोई तेल लगा लें. इस से सूखे या गीले रंगों के कारण बालों में रूखापन या खुरदरापन महसूस नहीं होगा. बालों से रंग उतारने के लिए आप चाहे शैंपू से धोएं या साबुन से, मगर पानी गरम ही इस्तेमाल करें. इस से रंग उतारने में आसानी होगी. रंगों से नाखूनों को भी जरूर बचाएं, क्योंकि यदि पक्का रंग नाखूनों पर चढ़ गया तो जल्दी नहीं उतरेगा. नाखूनों पर रंग न चढ़े, इसलिए पहले से ही कोई नेलपौलिश नाखूनों पर लगा लें. इस से रंग नाखूनों पर न चढ़ कर नेलपौलिश पर ही चढ़ेगा. जब आप होली खेल कर नेलपौलिश उतारने लगेंगी तो रंग भी अपनेआप उतर जाएगा. यदि रंग नाखूनों के अंदर या आसपास की त्वचा पर चढ़ जाए तो उसे साबुन से रगड़ने के बजाय 2-3 बार नीबू से रगड़ें. यदि आप की एडि़यां फटी हुई हैं तो पैरों में मोजे पहन कर होली खेलें. वरना फटी एडि़यों में रंग चला गया तो उसे रगड़ कर उतारना मुश्किल होगा. अपने शरीर को अधिक से अधिक कपड़ों से ढक कर रखें ताकि रंग त्वचा पर न लग कर कपड़ों पर ही लगे.

ताकि दुष्प्रभाव न हो

गीले रंगों का प्रयोग पानी अथवा तेल में डाल कर भी किया जा सकता है. ये रंग पक्के तो होते ही हैं, साथ ही इन में कुछ विषैले रासायनिक तत्त्व भी मिले होते हैं. यदि ये शीघ्र न उतारे जाएं तो तब तक नहीं उतरेंगे जब तक नई त्वचा न आ जाए. त्वचा पर ये अपना असर फौरन दिखा सकते हैं और कुछ घंटे बाद भी. इसलिए कोशिश यह करें कि जैसे ही कोई आप के चेहरे पर गीला रंग, कालिख या पेंट मले उसे सूखने से पहले ही हटा लें.

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यदि रंग सूख गया तो उसे उतारने में मुश्किल होगी. इसलिए गीले रंग को जल्दी से किसी कपड़े से पोंछ कर पानी व साबुन से धो लें. यदि रंग बहुत पक्का हो और साबुन से भी न उतरे तो रुई के फाहे में थोड़ा सा मिट्टी का तेल लगा कर उसे रंग वाले स्थान पर हलकाहलका रगड़ें. इस से रंग उतर जाएगा. मगर हां, मिट्टी के तेल को त्वचा पर इस्तेमाल करने के बाद किसी ऐंटीसैप्टिक क्रीम या कोल्डक्रीम का इस्तेमाल जरूर करें. यदि ये चीजें घर में उपलब्ध न हों तो दूध व हलदी का लेप ही थोड़ी देर तक लगा लें. इस से आप की त्वचा पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा.

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