Social Media Trolls : देश की सुरक्षा के लिए आर्मी होती है जो देश की सीमाओं की रक्षा के लिए दिनरात मुस्तैदी से काम करती है लेकिन इधर कुछ वर्षों से देश में एक और आर्मी का गठन हुआ है जो सत्ता के नैरेटिव की सुरक्षा के लिए दिनरात काम कर रही है. सत्ता के खिलाफ बोलने वालों पर यह ट्रोल आर्मी जौम्बी की तरह टूट पड़ती है. कौन हैं ये जौम्बी आर्मी के लोग, पढ़िए.
देश का सैनिक देश की सुरक्षा के लिए शहीद होता है और इस ट्रोल आर्मी के सिपाही शहीदों की पत्नियों को गालियां बकते हैं उन का चरित्रहरन करते हैं निर्लज्जता की सारी सीमाओं को पार कर ये लोग सरेआम महिलाओं की इज्जत को तारतार करते हैं.
हिमांशी नरवाल के खिलाफ ट्रोल आर्मी की हैवानियत
पहलगाम में 22 अप्रैल को आतंकियों ने हमला कर दिया था, जिस में लैफ्टिनेंट विनय नरवाल की भी मौत हो गई थी. आतंकियों द्वारा किए इस जघन्यतम वारदात के बाद मेनस्ट्रीम मीडिया ने जम कर नफरत फैलाई. हिंदूमुसलिम के नफरती नैरेटिव को फैलाने में मेनस्ट्रीम मीडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी.
इस बीच लैफ्टिनेंट विनय नरवाल की विधवा पत्नी हिमांशी नरवाल ने 1 मई को एएनआई को दिए एक बयान में हिंदूमुसलिम के नैरेटिव की धज्जियां उड़ाते हुए कहा कि ‘जिन लोगों ने गलत किया है, उन्हें सजा मिलनी चाहिए लेकिन हम नहीं चाहते कि लोग कश्मीरियों और मुसलिमों से नफरत करें.’
हिमांशी नरवाल के इस बयान के बाद ट्रोल आर्मी सक्रिय हो गई. हिमांशी को भद्दीभद्दी गालियां दी जाने लगीं. हिमांशी का चरित्रहरण किया जाने लगा. हिमांशी के खिलाफ सोशल मीडिया पर ट्रोल आर्मी ने बेशर्मी और हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं.
आखिरकार राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लिया और कहा कि “किसी महिला को उस की वैचारिक अभिव्यक्ति के लिए ट्रोल करना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है. लैफ्टिनेंट विनय नरवाल की मौत के बाद जिस तरह से उन की पत्नी हिमांशी नरवाल को उन के एक बयान को ले कर सोशल मीडिया पर निशाना बनाया जा रहा है, वह बेहद निंदनीय और दुर्भाग्यपूर्ण है. किसी भी सहमति या असहमति को शालीनता और संविधान के दायरे में रह कर व्यक्त किया जाना चाहिए.”
धर्म और जाति नहीं मानने की सजा
कोलकाता की 17 साल की सृजनी नाम की लड़की जिस ने आईएससी बोर्ड में 400 में 400 नंबर प्राप्त कर पूरे पश्चिम बंगाल का नाम रौशन किया है. सृजनी को उस की इस उपलब्धि के लिए देशभर से सराहना मिल रही हैं वहीं ट्रोल आर्मी इस लड़की के पीछे पड़ गई है कारण यह है कि सृजनी ने बोर्ड फार्म में जहां धर्म लिखना था, वहां लिखा “मानवता”, जहां सरनेम था, उसे खाली छोड़ दिया.
गूगल पर सृजनी का इतिहास खंगाला जाने लगा और ग्रोक एआई से बैकग्राउंड निकाल लिया गया. मां प्रोफैसर निकली और पिता साइंटिस्ट, वह भी भटनागर अवार्ड विनर. एक रिपोर्टर के पूछे जाने पर सृजनी ने जो कहा वो ट्रोल आर्मी के लिए काफी था. “मैं धर्म, जाति या जैंडर से नहीं बल्कि इंसान होने से पहचानी जाऊं. यही मेरी पहचान है.”
ऐसा कह कर सृजनी ने धर्म और जाति के नाम पर फैलाए गए नैरेटिव को चुनौती दे डाली. जो लोग भारत को धर्म और जाति में बांटना चाहते हैं सृजनी ने उन्हें एक खाली कालम से हरा दिया. जौम्बी आर्मी को मिर्ची लग गई. 17 साल की होनहार छात्रा को गालियां दी जाने लगीं. सृजनी के मांबाप को भी नहीं बक्शा जा रहा. संस्कारों की ठेकेदारी करने वाली ट्रोल आर्मी नंगानाच करने लगी.
राजनैतिक स्वार्थों के लिए ट्रोल आर्मी का सहारा
सत्ता को हथियाने के लिए और सत्ता में बने रहने के लिए राजनैतिक दलों को अपनी विचारधारा के पक्ष में कई झूठे नैरेटिव गढ़ने पड़ते हैं और जनता इस झूठे नैरेटिव को सच समझ कर उन्हें सर आंखों पर बिठाए रखे इस के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं.
मेनस्ट्रीम मीडिया पर कंट्रोल हो जाए तो सत्ता के झूठे नैरेटिव का व्यापक प्रचार होता है और जनता के दिमागों तक वहीं खबरें पहुंचाई जाती हैं जो सत्ता के झूठे नैरेटिव को सच साबित करती हैं. कांग्रेस के दौर में भी ऐसा होता था जब मेनस्ट्रीम मीडिया सत्ता के नैरेटिव को जनता के सामने आखिरी सच की तरह पेश करती थी.
2014 के बाद देश में बीजेपी की सत्ता आई जिस के पास अपनी विचारधारा थी. धर्म और राष्ट्रवाद के घालमेल से नएनए नैरेटिव गढ़े गए और मेनस्ट्रीम मीडिया का इस्तेमाल कर जनता के दिमाग तक पहुंचाया गया और जनता को बरगलाने के लिए पिछले 11 वर्षों से लगातार यह प्रयास चल रहा है लेकिन इस बीच सोशल मीडिया भी मजबूत हुआ है जिस से सत्ता के झूठे नैरेटिव की पोल खुलते देर नहीं लगती.
सत्ता के पक्ष में मेनस्ट्रीम मीडिया के द्वारा फैलाए गए झूठ पर तुरंत प्रतिक्रिया होती है और सच बाहर आ जाता है. विपक्षी दलों या सत्ता के नैरेटिव के खिलाफ सोशल मीडिया पर बोलने वाले लोगों पर कंट्रोल करना सरकार के लिए संभव नहीं है इसलिए एक ऐसी ट्रोल आर्मी बनाई गई है जो ऐसे लोगों के खिलाफ मोर्चा खोले रहती है और नीचता की हद तक जा कर उन का चरित्रहरण करती है.
महिला हो, विकलांग हो, विद्यार्थी हो, एथलीट हों, सैनिकों की विधवाएं हों या बूढ़े लोग यह ट्रोल आर्मी किसी को नही छोड़ती. इस ट्रोल आर्मी के पास न कोई नैतिकता होती है और न ही कोई शर्म.