Instagram Influencers : आज युवा अपना सब से ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिता रहा है. वह अपनी समस्या का हल ढूढ़ने की जगह सोशल मीडिया का सहारा लेने लगा है. इन्फ्लुएंसर्स भी बड़ा वर्ग इन युवाओं को अपना फौलोअर्स बना रहा है और इन के द्वारा ऐसा कंटेंट परोसा जा रहा है जो भटकाने का ही काम कर रहा है.

 

यंगस्टर्स इन्फ्लुएंसर्स की फैन फौलोइंग देख कर उन पर आंख बंद कर के भरोसा कर रहे हैं और सोचते हैं कि वे उन्हें सही जानकारी दे रहे हैं जबकि ऐसा नहीं है.

 

यूनेस्को की हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार कंटेंट क्रिएटर फैक्ट चेक करने से कतरा रहे हैं. यूनेस्को द्वारा किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक 62 फीसदी कंटेंट क्रिएटर किसी भी खबर या जानकारी को शेयर करने से पहले स्टैंडर्ड तरीके से उस का फैक्ट चेक नहीं करते हैं.

 

ये इन्फ्लुएंसर सिर्फ प्रोडक्ट्स या सर्विस के प्रचार तक सीमित रहते हैं. ये इन्फ्लुएंसर्स फैशन से ले कर रिलेशन तक, फिजिकल फिटनैस से ले कर स्किन केयर तक, ट्रेवल, इन्वेस्टमेंट, लाइफ स्टाइल, धर्म, राजनीति जैसी हर चीज पर एक्सपर्ट बन कर अपनी राय रखते हैं. और युवा जो इन की दी सलाह पर चलने में सक्षम नहीं होते वे कुंठा, असुरक्षा और हीनता की भावना से घिरने लगते हैं. अपने फैसलों को ले कर उन का आत्मविश्वास डगमगाने लगता है और वे डिप्रेशन, बौडी डिस्मार्फिया, ऐंगजाइटी जैसी मानसिक समस्याओं में घिरने लगते हैं.

 

कोई इन इंफ्लुएंसर्स और इन के फौलोअर्स को समझाए कि जब किताब के एक पेज को पढ़ कर किताब की पूरी जानकारी नहीं मिल सकती तो क्या 15-30 सेकेंड के रील में इन्फ्लुएंसर्स जो जानकारी दे रहे हैं क्या सही दे रहे हैं?

आधी से ज्यादा गलत जानकारी 

 

किसी भी फील्ड के एक्सपर्ट को सालों की मेहनत, पढ़ाई, डिग्री, अनुभव के बाद अपनी फील्ड की जानकारी मिलती है. वे इस के स्पैशलाइज्ड होने के लिए सालों खपाते हैं. बाल सफ़ेद करते हैं लेकिन ये इंफ्लुएंसर्स खुद को 15 से 30 सैकंड की रील में स्पैशलाइज्ड समझने लगते हैं. ये अपने यंग फौलोअर्स को बिना जानकारी इकठ्ठा किए, पढ़े पूरे कौन्फिडेंस के साथ बढ़चढ़ कर जानकारी देते हैं. 

जो भी इन्फ्लुएंसर्स अपने यंग फौलोअर्स को जानकारी दे रहे हैं वे खुद उस फील्ड के एक्स्पर्ट्स नहीं हैं कुछ तो 12 वीं पास हैं, कुछ सिर्फ ग्रेजुएट हैं फिर उन के द्वारा दी जानकारी पर यूथ को क्यों भरोसा करना चाहिए, यह समझने वाली बात है.

यूथ इन इन्फ्लुएंसर्स की फैन फौलोइंग देख कर उन पर आंख बंद कर के भरोसा करते हैं और सोचते हैं कि वे उन्हें सही जानकारी दे रहे हैं जबकि वास्तव में ऐसा नहीं होता.

इंफ्लुएंसर्स सिर्फ रटीरटाई बातें कहते हैं, वह भी यहांवहां से जोड़तोड़ कर इकठ्ठा की गई होती हैं. उन्हें खुद नहीं पता होता कि वे क्या बोल रहे हैं बस वे स्क्रीन पर आ कर वह लाइंस बोल देते हैं और यूथ उन की बातों पर भरोसा कर लेता है.

 

इंफ्लुएंसर्स द्वारा रील्स, शौर्ट वीडियोज़ में दी जाने वाली जानकारी कई किताबों की आधीअधूरी लाइंस का कौकटेल होता है, जिस का कोई सिर पैर नहीं होता. कई बार तो रील का टाइटल कुछ और होता है और उस में कही जाने वाली बात कुछ और होती है. यह किसी भी यूथ को गुमराह करने के लिए काफी है. इन्फ्लुएंसर्स द्वारा दी जाने वाली इस तरह की बिना रिसर्च की आधीअधूरी जानकारी से यूथ में कन्फ्यूजन क्रिएट हो रहा है. वह सही गलत का जजमेंट नहीं कर पा रहा, उस की किसी भी बात या जानकारी को एनालाइज करने की पावर खत्म होती जा रही है.  

 

इंफ्लुएंसर पर ट्रस्ट सोचसमझ कर 

शायद आप नहीं जानते होंगे कि आज ऐसे कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स और वेबसाइट्स मौजूद हैं जहां से कोई भी पैसे दे कर फौलोअर्स, लाइक्स और व्यूज बढ़ाने की सर्विस ले सकता है. यानी कि फौलोअर्स खरीदे जा रहे हैं और इस के लिए बाकायदा सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स की ओर से स्पोन्सर्ड विज्ञापन दिखाए जाते हैं.  

इसलिए किसी भी इंफ्लुएंसर को फौलो करने और उस की जानकारी पर भरोसा करने से पहले संभल जाएं. अगर आप को सोशल मीडिया पर कोई ऐसी आईडी नजर आए जिस के फौलोअर्स अचानक ही बढ़ गए हों तो हो सकता है कि उस ने फौलोअर्स खरीदे हों. जी हां, सोशल मीडिया पर इन दिनों 50 रुपये में 1000 फौलोअर्स, 5 रुपये में 100 लाइक्स और 5 रुपये में 1000 व्यूज तक बढ़ाने के बेसिक पैकेज दे कर लोगों को अपनी ओर खींचा जा रहा है. कई डिजिटल मार्केटिंग एजेंसियां हैं जो व्यूज बढ़ाने के तरीक बताती हैं. फिर चाहे उस के लिए जैसे तिकड़म करने पड़ें.  

आप सोचेंगे कि इतने सस्ते में फौलोअर्स, लाइक्स कैसे मिलते हैं तो आप को बता दें कि ये डेड आईडीज का सहारा ले कर किया जाता है. न ये काम करती हैं और न ही इन पर कोई असली व्यक्ति होता है. यानी यह सब एक गोरख धंधा है यूथ को अपनी राह से भटकाने का.

 

यूथ पर नेगेटिव प्रभाव डालने वाले इंफ्लुएंसर्स से बच कर रहें 

 

आजकल इनफ्लुएंसर्स सट्टेबाजी ऐप और औनलाइन जुआ प्लेटफौर्म के विज्ञापन भी करने लगे हैं और यूथ सोचता है कि इतना बड़ा इनफ्लुएंसर प्रमोशन कर रहा है तो सही ही होगा और इस तरह के विज्ञापन से युवा उन पर विश्वास कर के अपना मोटा नुकसान कर बैठते हैं. कई फाइनेंस की भी जानकारी देते हैं, जिस में घुमाफिरा कर किसी विशेष शेयर को खरीदने की बात कह देते हैं, इस से भी कई लोग नुकसान उठा लेते हैं. इसलिए युवाओं को इन्फ्लुएंसर द्वारा दी जाने वाली जानकारी पर भरोसा न करने की सलाह दी जाती है.

ये इनफ्लुएंसर्स आर्थिक लाभ के लिए फैक्ट्स को तोड़मरोड़ कर प्रस्तुत करते हैं. गलत जानकारियों के साथ खुद को इन्फ्लुएंसर्स के रूप में पेश करते हैं और बेचारा यूथ इन की बातों में आ कर इन की चमकधमक में उन्हें फौलो करने लगता है.  

 

फौलोअर्स के बेस पर नहीं करें इन्फ्लुएंसर्स का चुनाव 

आज युवा अपना सब से ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिता रहा है. वह अब किताबों में अपनी समस्या का हल ढूंढने की जगह सोशल मीडिया का सहारा लेने लगा है. ऐसे में एक बड़ा वर्ग इन युवाओं को अपना फौलोअर्स बना रहा है और इस वर्ग द्वारा ऐसा कंटेंट परोसा जा रहा है जिसे युवा अपनी राह से भटक रहा है, उन की बातों में आ रहा है. ये इन्फ्लुएंसर्स पैसे ले कर ऐसे कंटेंट की ब्रांडिंग कर रहे हैं जो यूथ के लिए नुकसानदायक है.  

 

रील्स के माध्यम से इन्फ्लुएंसर्स कुतार्किक बातें करते हैं कई तो धार्मिक उन्माद बढ़ाने तक का काम करते हैं. इतिहास के बारे में भी गलत जानकारी दी जा रही है. माइथोलौजिकल गपों से पूरा इंटरनेट भरा पड़ा है, इस में इन्फ्लुएंसर्स की बड़ी भूमिका है जो अनापशनाप कुछ भी बिना तथ्यों के कहते रहते हैं.  

सोशल मीडिया में इन्फ्लुएंसर्स द्वारा दिखाई जाने वाली 30 सेकंड की रील्स को मनोरंजन के लिए देखना तो कुछ हद तक ठीक भी है लेकिन इन रील्स को यूथ नौलेज कंजंप्शन का जरिया भी मानने लगा है जो उन के लिए खतरनाक है.

कई इन्फ्लुएंसर्स यूट्यूब शौर्ट्स, इंस्टाग्राम पर सेहत, डाइट और न्यूट्रिशन के बारे में भर भर कर जानकारी दे रहे हैं और यूथ इन्हें आम जिंदगी में अप्लाइ भी कर रहे हैं. यूथ को इस जानकारी को अपनी ज़िंदगी में अप्लाई करने से पहले यह समझना होगा कि ये इन्फ्लुएंसर्स सर्टिफाइड डाक्टर्स, न्यूट्रीशनिस्ट या हैल्थ एक्सपर्ट नहीं हैं. कई हैल्थ के उटपटांग टिप्स देते हैं. एक इन्फ्लुएंसर का दूसरे की बात काटना इसलिए भी जरुरी हो जाता है ताकि लोग उसे अहि मानें, इसलिए इन की बातें आपस में मेल भी नहीं खातीं. बहुत से प्रोडक्ट का प्रचार करने के लिए जबरन तारीफें करते हैं.

 

98% गलत जानकारी पर आंख मूंद कर भरोसा 

 

हाल ही में आई माय फिटनेस पैलऔर डब्लिन सिटी यूनिवर्सिटीकी एक जोइंट स्टडी के मुताबिक 57% मिलेनियल और जेन-जी यूजर्स सोशल मीडिया रील्स में दी जा रही जानकारी को सच मान कर अपनी जिंदगी में अप्लाई कर रहे हैं. स्टडी में ये भी पता चला कि न्यूट्रीशन और डाइट के बारे में सिर्फ 2% वीडियोज में ही सही इंफौर्मेशन दी गई है. यानी 98% लोग गलत जानकारी दे रहे हैं, जिसे यूथ आंख मूंद कर फौलो किए जा रहा है. 

हैल्थ और न्यूट्रिशन के ये वीडियोज की बातों को फौलो करना बेहद खतरनाक हो सकता है क्योंकि इन वीडियोज में लोग एक जेनेरिक किस्म का डाइट प्लान बताया जाता है जो हर देखने वाले के लिए सही नहीं हो सकता क्योंकि हर किसी का बीएमआई इंडेक्स, उस के गोल्स और न्यूट्रीशनल जरूरतें अलगअलग होती हैं. दो लोगों का एक्टिविटी लेवल अलग हो सकता है.  किसी की सिटिंग जौब हो सकती है तो किसी की फील्ड जौब. ऐसे में दोनों की डाइट एक जैसी कैसे हो सकती है ?

सोशल मीडिया पर इन्फ्लुएंसर किसी भी सब्जेक्ट का एक्सपर्ट बन कर ज्ञान दे रहा है और जो युवा इसे बिना सोचेसमझे फौलो कर रहे हैं, उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो में कहा गया, “आजकल हर कोई सफेद बालों की समस्या से परेशान है. लेकिन अगर आप यह रेसिपी अपने बालों में लगाते हैं, तो बुढ़ापे में भी सफेद बाल नहीं होंगे.” 

यह वीडियो ब्यूटी और पर्सनल केयर इंफ्लुएंसर, सुमन द्वारा अपलोड किया गया था. वीडियो में दिखाया गया कि एक इंफ्लुएंसर ने बैंगन को तेल में डुबो कर गरम किया, फिर उस में रोजमैरी और शिकाकाई डाला. इस तेल को एक जार में भर कर उसे बालों में लगाने का तरीका बताया. पर क्या प्रूफ है कि इस से बाल काले ही हो जाएंगे? नहीं हुए तो क्या इन्फ्लुएंसर सार्वजनिक माफ़ी मांगेगी?

इस वीडियो के वायरल होने के बाद यह सवाल उठने लगा है कि क्या सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार के हेयर केयर टिप्स को सही मान कर फौलो करना चाहिए. 

उभरे और मोटे होंठ आज हर युवा लड़की की ख्वाहिश बनते जा रहे हैं. होंठों को मोटा बनाने के लिए लड़कियां कई तरह की कास्मेटिक सर्जरी, फिलर्स और ब्यूटी हैक्स ट्राई कर रही हैं. ऐसे में पिछले दिनों दिल्ली की एक मशहूर इंफ्लुएंसर सुभांगी आनंद ने इंस्टाग्राम पर होंठों को मोटा करने का एक ऐसा हैक शेयर किया है जिस ने हर किसी को चौंक दिया. 

शुभांगी का यह वीडियो इंस्टाग्राम पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में शुभांगी आनंद हरी मिर्च का इस्तेमाल नेचुरल लिप प्लम्पर की तरह करती नजर आ रही हैं. वीडियो में देखा जाता है कि शुभांगी पहले हरी मिर्च काटती हैं और फिर उसे होंठों पर लगाती हैं. 2 सेकेंड के बाद ही उन के होंठ बिल्कुल फूले और मोटे नजर आ रहे हैं.

कई इंटरनेट यूजर्स ने इसे खतरनाक बताया. जबकि कुछ लड़कियां इसे ट्राई करने और सही होने का दावा कर रही हैं. मैडम को शायद यह नहीं पता कि यह होंटो को मोटा करने की विधि नहीं बल्कि सुझाने की विधि है. जबकि हैल्थ एक्सपर्ट्स ने मिर्ची के इस्तेमाल से होंठों को मोटा करने के तरीके को गलत और स्किन साइड इफैक्ट्स वाला बताया है क्योंकि होंठों की त्वचा बहुत ही पतली और नाजुक होती है. ऐसे में हरी मिर्च का तीखापन और उस में मौजूद कैप्साइसिन होंठों को नुकसान पहुंचा सकता है. हरी मिर्च के तीखे तत्व होंठों की प्राकृतिक नमी को खत्म कर सकते हैं. इस की वजह से होंठ ड्राई और फटे हुए नजर आ सकते हैं. हरी मिर्च होंठों पर लगाने से खून आने का खतरा भी रहता है.  

 

फाइनैंस एडवाइस देते इंफ्लुएंसर्स 

सोशल मीडिया पर इन दिनों फाइनेंसियल एडवाइस देते इन्फ्लुएंसर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है. कोई क्रिप्टो में पैसे लगाने की सलाह देता है कोई शेयर मार्किट में. हद तो यह है कि कई बेटिंग में भी पैसा लगाने की बात करते हैं. ये गलत डेटा शेयर करते हैं. 

ऐसे इन्फ्लुएंसर्स के हजारोंलाखों सब्सक्राइबर्स होते हैं. इन के वीडियोज पर अच्छीखासी संख्या में व्यूज़ भी आते हैं. कई बार उन की रील्स या वीडियो देख कर युवा निवेशक अपने पैसा लगा देते है जो उन्हें बहुत भारी पड़ता है. 

सच तो ये है कि बहुत कम युवा सोशल मीडिया पर ज्ञान के सही स्रोत तक पहुंच पाते हैं.  सोशल मीडिया ने असल जिंदगी और डिजिटल लाइफ के बीच का फर्क ही मिटा दिया है. युवा अब एक काल्पनिक दुनिया में जी रहे हैं. वे परिवार से, दोस्तों से, किताबों से और प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं. यूथ को इस बात को समझना होगा कि कौन से इन्फ्लुएंसर्स उन के हित में हैं और कौन उन्हें भ्रमित कर रहे हैं. बिना सोचेसमझे उन की कही हर बात का अनुसरण करना यूथ को खतरे में डाल सकता है.

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