Guest : घर में मेहमान आते हैं तो चहलपहल बनी रहती है. लेकिन मेहमान अगर मेहमाननवाजी कराने में आए तो मेजबान के पसीने छूट जाते हैं और चिड़चिड़ापन होने लगती है. जरुरी है कि मेहमान कुछ एथिक्स का ध्यान रखें.

रेखा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, जब से उस ने सुना था कि उस के देवर के बेटे आशीष का एडमिशन पुणे के इंजीनिरिंग कालेज में हुआ है और देवर मोहित अपनी पत्नी रूपा और बेटी अंशिका के साथ उस के घर आ रहे हैं, वह उत्साहित थी. रेखा की एक ही बेटी थी रूही,जो इस समय कनाडा में जौब करती थी. रेखा के पति मनोज औफिस के टूर पर काफी व्यस्त रहते थे तो वह अब यह सोच कर काफी खुश थी कि देवरानी भी दिल्ली से पहली बार उन के घर पुणे आ रही है, कुछ दिन सब साथ रहेंगें, बातें करेंगें, महफिल जमेगी, खूब अच्छा टाइम पास होगा. मायका ससुराल सब दिल्ली में था, किसी का जल्दी पुणे आना नहीं होता था.

पूरा परिवार आया, रेखा ने अच्छे होस्ट की तरह सब की खूब मेहमाननवाजी की. सब की पसंद की खूब चीजें बना कर तैयारी कर रखी थीं. आशीष हौस्टल चला गया, मोहित का परिवार एक हफ्ता रुकने वाला था. मनोज टूर पर थे. रेखा का टूबैडरूम फ्लैट था, अब रूही भी बाहर थी तो उस का रूम पूरी तरह से खाली था. उस के देवर ने कहा, “भाभी, हम रूही के रूम में ही रह लेंगें.”
“हां, अंशिका मेरे रूम में सो जाएगी.”
“नहीं, ताई जी! मैं तो मम्मीपापा के साथ ही सोऊंगी.”
“अरे, अंशिका! तीनों को एक ही बेड पर सोने में दिक्कत होगी. तुम्हारे ताऊजी भी बाहर हैं, आराम से तुम मेरे साथ सो जाओ!”
रूपा ने कहा, “रहने दो, भाभी! कोई गद्दा हो तो रूही के रूम में नीचे बिछा देंगें, अंशिका नीचे सो जाएगी. असल में हम चाहते हैं कि एक ही रूम में रहें. गद्दा है न?”
“हां, है! निकाल देती हूं.”
रूही के रूम में गद्दा नीचे बिछा दिया गया, तीनों एक ही रूम में अपना सामान सेट कर के आराम करने लगे. अब अगले कुछ दिन रेखा के हैरान होने की बारी थी. वे तीनों उसी रूम में दिनरात रहते, खानेपीने या नहानेधोने निकलते.
रूपा ने कहा, “भाभी, हमारा आप का खानेपीने का टाइम अलग है, हम आराम से बाद में खाते हैं, आप खा लिया करो.”
तीन मेहमानों के घर में होते हुए रेखा घर में हमेशा की तरह अकेले बैठ कर खा रही होती. यही होता रहा, वे लोग जरूरी काम से ही रूम से बाहर आते, अपने रूम में ही या तो फोन ले कर बैठे रहते या आपस में बातें करते रहते.

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